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क्यों सुस्त पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, क्या टारगेट पूरा नहीं कर पाएगी केंद्र सरकार? 

क्यों सुस्त पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, क्या टारगेट पूरा नहीं कर पाएगी केंद्र सरकार? 

Wheat Procurement: अभी तक कोई भी राज्य गेहूं खरीद का अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर सका है. प‍िछले आठ द‍िन में महज चार लाख मीट्र‍िक टन की ही एमएसपी पर खरीद हो सकी है. टारगेट पूरा करने के ल‍िए अभी 80 लाख टन गेहूं और चाह‍िए. ऐसे में सरकार प‍िछले साल की तरह खरीद टारगेट को र‍िवाइज्ड कर सकती है.

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एमएसपी पर क‍ितना गेहूं खरीदा गया (Photo-Kisan Tak). एमएसपी पर क‍ितना गेहूं खरीदा गया (Photo-Kisan Tak).

बफर स्टॉक के ल‍िए गेहूं की खरीद सुस्त पड़ गई है. आठ द‍िन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर महज चार लाख मीट्र‍िक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है. ज‍बक‍ि नौ राज्यों में खरीद प्रक्रिया चल रही है. पंजाब और हर‍ियाणा जैसे राज्यों में भी खरीद ठप सी हो गई है. सबसे बड़े गेहूं उत्पादक उत्तर प्रदेश का तो पूछ‍िए ही नहीं. यह प‍िछले साल के भी आंकड़े तक नहीं पहुंचा है. हालात ऐसे हैं क‍ि राजस्थान को छोड़कर कोई भी राज्य गेहूं खरीदने का टारगेट पूरा करता हुआ नहीं द‍िख रहा है. भारतीय खाद्य न‍िगम यानी एफसीआई के मुताब‍िक 22 मई तक देश भर में स‍िर्फ 261.5 लाख मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो सकी है. जबक‍ि 14 मई तक 257.5 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद हुई थी. अब आप खुद अंदाजा लगाईए क‍ि खरीद का क्या हाल है. जबक‍ि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में केंद्र ने 341.5 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा हुआ है. 

केंद्र सरकार ने इस साल गेहूं खरीदने का जो लक्ष्य रखा है उसके मुताब‍िक अभी 80 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं और खरीदा जाएगा. लेक‍िन ज‍िस गत‍ि से खरीद हो रही है उससे इस लक्ष्य को पूरा करना आसान नहीं लगता. तीन राज्यों पंजाब, हर‍ियाणा और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा गेहूं खरीदा जा रहा था. यहां भी खरीद अब बहुत कम हो गई है. ये तीनों राज्य भी अपना टारगेट पूरा करते हुए नहीं द‍िख रहे हैं. 

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खरीद की रफ्तार क्यों धीमी हुई? 

कमोड‍िटी र‍िसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है क‍ि केंद्र सरकार ने इस साल अधिकतम 37 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक की कटौती की शर्त के साथ खराब गेहूं भी एमएसपी पर खरीदा है. पंजाब और हर‍ियाणा में तो इस कटौती की भरपाई दोनों राज्य सरकारों ने अपने पास से की है. ऐसे में क‍िसानों को एक तरह से खराब गेहूं पर भी पूरी एमएसपी म‍िली है. इसल‍िए क‍िसानों ने बेमौसम बार‍िश और ओलावृष्ट‍ि से खराब हुए गेहूं को फटाफट एमएसपी पर सरकारी मंड‍ियों में बेच द‍िया.  

अब उनके पास जो अच्छी गुणवत्ता का गेहूं बचा है उसे उन्होंने स्टोर कर ल‍िया है. ताक‍ि खरीद सीजन खत्म होने के बाद उन्हें और अच्छा दाम म‍िल सके. इसल‍िए सरकारी खरीद का आंकड़ा अब बढ़ नहीं रहा है. क‍िसानों को कहीं न कहीं इस बात की जानकारी है क‍ि सरकार गेहूं एक्सपोर्ट को इसील‍िए नहीं खोल रही है क्योंक‍ि क‍िसी स्तर पर क्राइस‍िस तो है. एक साल से अध‍िक वक्त से सरकार ने गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है. 

केंद्र ने 13 मई 2022 को गेहूं एक्सपोर्ट पर रोक लगाई थी, जो अब भी बरकरार है. इसके बावजूद इस समय भी कई शहरों में गेहूं का दाम एमएसपी से ऊपर चला गया है. एमएसपी 21.25 रुपये प्रत‍ि क‍िलो है. जबक‍ि ओपन मार्केट में रेट 20 से लेकर 25 रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक चल रहा है. ऐसे में अब केंद्र सरकार के गेहूं खरीद लक्ष्य को पूरा होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.    

हर‍ियाणा, पंजाब और एमपी भी पीछे   

पंजाब अभी अपने लक्ष्य से 11 लाख मीट्र‍िक टन पीछे है. मध्य प्रदेश 9 लाख और हर‍ियाणा 12 लाख मीट्र‍िक टन पीछे हैं. जबक‍ि सरकार को इन्हीं तीन सूबों पर सबसे ज्यादा भरोसा है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है क‍ि प‍िछले साल की तरह इस बार भी सरकार गेहूं खरीद के टारगेट को र‍िवाज्ड कर सकती है. प‍िछले वर्ष सरकार ने 444 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था. 

लेक‍िन, क‍िसानों ने सरकार की बजाय व्यापार‍ियों को गेहूं बेचना शुरू कर द‍िया. क्योंक‍ि ओपन मार्केट में एमएसपी से अच्छा दाम म‍िल रहा था. इसकी वजह हीटवेव से फसल को नुकसान और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हमारे यहां से र‍िकॉर्ड एक्सपोर्ट था. ऐसे में सरकार ने अपने लक्ष्य को संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन क‍िया. लेक‍िन, र‍िवाइज्ड लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया था. खरीद स‍िर्फ 187.9 लाख टन ही हो सकी थी.

उत्तर प्रदेश का सबसे बुरा हाल 

देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक उत्तर प्रदेश है. कुल उत्पादन में इसकी ह‍िस्सेदारी 32 फीसदी से अध‍िक है. लेक‍िन, यहां अब तक मात्र 2,10,499 मीट्र‍िक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है. जबक‍ि 35 लाख मीट्र‍िक टन खरीदने का लक्ष्य है. प‍िछले साल यानी रबी मार्केट‍िंग सीजन 2022-23 के दौरान यूपी को 60 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदना था लेक‍िन यहां स‍िर्फ 3.36 लाख टन की ही खरीद हो सकी थी. प‍िछले दो वर्ष से बफर स्टॉक में यहां का गेहूं नहीं आ पा रहा है.  

क‍िस राज्य में क‍ितनी हुई खरीद? 

  • पंजाब के पास 132 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है. जबक‍ि 22 मई तक 121 लाख टन ही खरीद पूरी हुई है. आठ द‍िन पहले यानी 14 तक तक यहां 120 लाख टन की खरीद हुई थी. यानी यहां भी खरीद काफी कम हो गई है. पंजाब में 31 मई तक सरकारी खरीद जारी रहेगी. 
  • मध्य प्रदेश में 22 मई तक 71 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया है. जबक‍ि यहां पर 80 लाख मीट्र‍िक टन खरीद का लक्ष्य है. एफसीआई के अनुसार एमपी में 14 मई तक स‍िर्फ 69 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया था. यहां 15 जून तक खरीद प्रक्रिया जारी रहेगी. 
  • हर‍ियाणा में 15 मई के बाद खरीद का कोई आंकड़ा नहीं आया है. क्योंक‍ि यहां खरीद बंद हो चुकी है. इस द‍िन तक स‍िर्फ 63.17 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया था. जबक‍ि 75 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद का लक्ष्य है. प‍िछले साल तक हर‍ियाणा में कुल खरीद 41.86 लाख मीट्र‍िक टन हुई थी. 
  • राजस्थान देश का करीब 10 फीसदी गेहूं पैदा करता है. यहां पर 5 लाख मीट्र‍िक टन खरीद का लक्ष्य द‍िया गया था. जबक‍ि 22 मई तक 4,18,137 टन की खरीद हो चुकी है. यहां पर लक्ष्य पूरा होता हुआ द‍िखाई दे रहा है. सूबे में खरीद प्रक्रिया 30 जून तक जारी रहेगी. 

नौ द‍िन में स‍िर्फ 75 टन की खरीद

ब‍िहार में 10 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. लेक‍िन 21 मई तक स‍िर्फ 539 मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो सकी है. यहां 12 मई तक 467 मीट्र‍िक टन की खरीद हुई थी. यानी इतने बड़े राज्य में नौ द‍िन में महज 72 मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया है. ब‍िहार आमतौर पर फसलों की सरकारी खरीद में काफी पीछे रहा है. प‍िछले 14 साल में कभी भी यहां गेहूं की खरीद अच्छी नहीं रही. इस दौरान सबसे अच्छी खरीद साल 2011-12 में हुई थी जब बफर स्टॉक के ल‍िए 5.57 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया था.  

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