पश्चिम बंगाल में आलू के भाव में बड़ी गिरावट दर्ज की जा रही है. हालत ये है कि आलू का दाम कहीं 300, तो कहीं 320 रुपये प्रति बोरी चल रहा है. आलू के दाम में इतनी बड़ी गिरावट से राज्य के किसान भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं. इस साल आलू खुदाई के सीजन में खेत में आलू की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं थीं. यह कीमत 400 से 450 रुपये के बीच थी. बाद में अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में कई किसानों ने आलू को कोल्ड स्टोरेज में जमा कर दिया. किसानों को लगा कि आगे चलकर आलू का भाव अधिक मिलेगा. इस उम्मीद में उन्होंने कोल्ड स्टोरेज में आलू रख दिया. इसके लिए अच्छा खासा शुल्क भी चुकाया. मगर स्थिति अब ज्यादा खराब हो गई है.
बंगाल में अभी धान की खेती का समय है. इस समय कई किसान आलू बेचकर धान की खेती का खर्च निकालते हैं. लेकिन, आलू की कीमत बहुत गिर गई है. खुदाई के समय से भी दाम कम हो गए हैं. कोल्ड स्टोरेज से निकले आलू 300 रुपये से 320 रुपये में बिक रहे हैं. इसका अधिकतम भाव साढ़े तीन सौ रुपये किलो है. यानी किसानों को प्रति किलोग्राम आलू के लिए छह-सात रुपये मिल रहे हैं. इससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है.
धान की खेती का खर्च निकालने के लिए कई किसान इस समय कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू बेच देते हैं. हालांकि, दाम कम होने से वे भारी पसोपेश का सामना कर रहे हैं. कई किसान कह रहे हैं कि इससे बेहतर होता कि वे आलू खेत में ही बेच देते. क्योंकि, नवंबर या दिसंबर महीने तक वे व्यापारियों की तरह आलू को कोल्ड स्टोरेज में जमा नहीं रख सकते. इसके लिए उन्हें अधिक शुल्क देना होता है. साथ ही खेती के खर्च के लिए उन्हें यह पहले ही बेचना पड़ता है.
वहीं, एक तरफ किसानों को आलू का भाव 7 रुपये किलो मिल रहा है जबकि कोलकाता के खुले बाजार में आलू 18 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है. कहीं-कहीं तो दाम और भी ज्यादा हैं. किसानों को प्रति किलोग्राम 10 रुपये भी भाव नहीं मिल रहे हैं. इसमें बिचौलिये अधिक मुनाफाखोरी कर रहे हैं. खुले बाजार में आलू के दाम उस तरह से कम नहीं हो रहे हैं जिस तरह से किसानों को कम रेट पर भाव मिल रहा है.
किसानों का कहना है कि इस दाम पर तो लागत भी नहीं निकल पाएगी. बाद में व्यापारी मुनाफा कमा लेंगे. हालांकि, हुगली के तारकेश्वर के आलू व्यापारी प्रभात रंग ने बताया है कि अभी भी कोल्ड स्टोरेज में 75 प्रतिशत आलू बचा हुआ है. अनुमानित 25 प्रतिशत आलू ही निकला है. इसलिए आने वाले समय में क्या स्थिति होगी, यह कहा नहीं जा सकता. यदि राज्य के आलू को अन्य राज्यों में भेजा जाए तो कीमतें कुछ बढ़ सकती हैं. दाम कम होने पर किसानों को भारी नुकसान होगा.
वहीं, कई लोगों का मानना है कि यह सही नहीं है. उनके अनुसार, आलू की कीमतों में इतना बड़ा अंतर नहीं होना चाहिए. ग्राहक ज्यादा दाम देकर आलू खरीद रहे हैं. दूसरी ओर किसान आलू की लागत के लिए तरस रहे हैं. किसानों को और अधिक दाम मिलना चाहिए. आलू के दाम की निगरानी के लिए टास्क फोर्स का भी गठन हुआ है. इस टास्क फोर्स के सदस्य रवींद्रनाथ कोले ने स्वीकार किया है कि आलू के दाम कम हो गए हैं. किसानों को नुकसान भी हो रहा है.
रवींद्रनाथ ने यह भी बताया कि सरकार के पास इस संबंध में जानकारी है. उन्होंने कहा, 'हम संबंधित विभाग के अधिकारी से बात करेंगे. वह निश्चित रूप से इस बारे में मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से बात करेंगे. सरकार को सामूहिक तौर पर किसानों के पक्ष में निर्णय लेना होगा. इस बार आलू की बंपर फसल हुई है. अधिकांश आलू कोल्ड स्टोरेज में है. इसी कारण दाम थोड़े कम ही हैं. मुख्यमंत्री निश्चित रूप से कोई कदम उठाएंगी.'(संजय पात्रा की रिपोर्ट)
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