भारत सरकारी भंडारों से टूटे चावल की बिक्री को खुले बाजार में बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि इस कदम से निर्यात और इथेनॉल उत्पादन के लिए अनाज की सप्लाई बढ़ सकती है. एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है. बताया जा रहा है कि चावल का स्टॉक ज्यादा होने की वजह से यह फैसला लिया जा सकता है. वहीं कहा जा रहा है कि एशिया के कुछ देशों में इस फैसले से चावल का संकट दूर हो सकेगा.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोट में कहा गया है कि भारत जो दुनिया में चावल का टॉप एक्सपोर्टर है उसने साल 2025 की शुरुआत में एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है. इस प्राजेक्ट के तहत उसके खाद्य कार्यक्रम के तहत वितरित चावल में टूटे चावल का अनुपात 25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा. जबकि बाकी बचे हुए चावल का प्रयोग उद्योगों के लिए होगा. सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना से सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (FCI) को अपने बढ़ते भंडार को कम करने और आगामी फसल के लिए कुछ जगह खाली करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही इथेनॉल निर्माताओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति में भी सुधार होगा.
अभी जो सिस्टम है उसके तहत FCI किसानों से गारंटी कीमतों पर बिना पिसाई वाला चावल खरीदती है. इसके बाद उसे प्रोसेसिंग के लिए प्राइवेट मिलर्स को देती है. बदले में उसे जो चावल मिलता है, उसमें अक्सर एक-चौथाई तक टूटे हुए चावल होते हैं. हालांकि खाद्य मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया गया है. बताया जा रहा है कि इस पहल से भारतीय परिवारों को मुफ्त खाद्य कार्यक्रम के तहत बेहतर गुणवत्ता वाला चावल मिल सकेगा. साथ ही एफसीआई अपनी भंडारण लागत कम कर सकेगा. वहीं बाजार में टूटे चावल की अतिरिक्त आपूर्ति के कारण इथेनॉल क्षेत्र को सस्ते कच्चे माल का लाभ मिलेगा.
इस कदम से चीनी मिलों पर गन्ने के रस से बनने वाले ग्रीन फ्यूल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव भी कम हो सकता है. इससे चीनी उत्पादन बढ़ेगा और सरकार इस चीनी के अधिक निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है. बताया जा रहा है कि भारत में चावल का भंडार कम से कम दो दशकों में इस समय के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. इसकी वजह से एक और रिकॉर्ड फसल के आने के साथ भंडारण की चिंता बढ़ गई है.
औसत से ज्यादा मॉनसूनी बारिश के पूर्वानुमानों ने एक और बंपर फसल की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है. इसके बाद यह चिंता बढ़ गई है कि अतिरिक्त अनाज खुले भंडारण स्थलों में सड़ सकता है. एफसीआई के अनुसार, जून में सरकार के चावल भंडार का कुल भंडार लगभग 38 मिलियन टन था. आंकड़ों की मानें तो इसमें 32 मिलियन टन से अधिक अप्रसंस्कृत अनाज भी था, जो लगभग 22 मिलियन टन चावल के बराबर है. देश में चलाई जा रही कई वेलफेयर स्कीम्स के लिए के लिए गेहूं और चावल का भंडार रखा जाता है. इसमें करीब 800 मिलियन लोगों को हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज शामिल है.
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