पशुओं के लिए पोषण का खजाना है यह घास, एक बार लगाने पर 4 साल तक करें कटाई पशुओं के लिए पोषण का खजाना है यह घास, एक बार लगाने पर 4 साल तक करें कटाई
अगर पशुपालक अधिक मात्रा में चारे की खेती करना चाहते हैं, तो वे दीनानाथ घास को उगा सकते हैं. इस घास की खासियत ये है कि ये लंबे समय तक उपज देती है. साथ ही ये पशुओं के लिए भी काफी पौष्टिक चारा है. ऐसे में आइए जानते हैं इसकी खेती से जुड़ी सभी जानकारी.
पोषण का खजाना है यह घाससंदीप कुमार - Noida,
- Jul 17, 2025,
- Updated Jul 17, 2025, 5:45 PM IST
किसानों के लिए खेती के अलावा पशुपालन कमाई का एक बेहतर जरिया बनते जा रहा है. लेकिन बरसात में पशुपालन करने वाले किसानों के लिए चारे का प्रबंध करना सबसे बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि जानवरों के अच्छे पोषण के लिए हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है. ऐसे में अब पशुपालकों की इस समस्या का भी समाधान मिल गया है. दरअसल, किसान अब एक ऐसे घास की खेती कर सकते हैं जो एक बार लगाने पर क बार तक काटा जा सकता है. इस घास का नाम है दीनानाथ. दरअसल, ये चारा पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है. ऐसे में आज हम इस घास से जुड़ी सभी जानकारी आपको बताएंगे.
क्या है दीनानाथ घास?
- दीनानाथ घास, जिसे पेनिसेटम पेडिसेलेटम भी कहा जाता है.
- यह एक उच्च क्वालिटी वाला चारा घास है.
- ये मवेशियों के लिए पौष्टिक भोजन का स्रोत है.
- दीनानाथ घास अपनी तेजी से विकास और मुश्किल परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता के लिए जाना जाता है.
कैसे करें दीनानाथ घास की खेती?
- दीनानाथ घास की खेती करने के लिए, आप सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करें.
- फिर बुवाई के लिए बीज का उपयोग करें.
- दीनानाथ घास की खेती गर्म और नम जलवायु में करना चाहिए.
- वहीं, बुवाई करते समय इन बातों का ध्यान रखें कि खेत में 1.5 सेमी से अधिक गहराई पर बीज न बोएं.
- बीज को 1-2 सेमी की गहराई पर बोना बेहतर होता है.
दीनानाथ घास के लिए कैसी मिट्टी अच्छी होती है?
- यह घास अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में अच्छी तरह से उगती है.
- दीनानाथ घास के लिए अच्छी जल निकासी वाली, दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है.
- भारी चिकनी मिट्टी या जलभराव वाली भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं होती है.
- अनउपजाऊ भूमि पर भी, उचित जल निकासी और पर्याप्त उर्वरक देकर दीनानाथ घास को उगाया जा सकता है.
कब करें दीनानाथ घास की बुवाई?
- दीनानाथ घास की बुवाई आमतौर पर जून-जुलाई के महीने में करना चाहिए.
- इसकी खेती खरीफ के मौसम में की जाती है.
- दीनानाथ घास वर्षा आधारित फसल है और इसे गर्म, उमस भरे बरसाती मौसम में अच्छी वृद्धि मिलती है.
- सिंचित क्षेत्रों में, मार्च-अप्रैल में भी बुवाई की जा सकती है.
दीनानाथ घास की अच्छी किस्में कौन सी है?
- दीनानाथ घास की कुछ खास किस्में हैं जो बंपर उपज देती है.
- इन किस्मों में बुन्देल दीनानाथ- 1, बुन्देल दीनानाथ- 2, पूसा- 19 और टीएनडीएन आदि शामिल है.
- ये सभी किस्में अच्छी पैदावार देती हैं और अधिकतर क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं.
दीनानाथ घास को तैयार होने में कितना समय लगता है?
- दीनानाथ घास लगभग 70-75 दिनों में पहले कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
- इस घास की कटाई भूमि से 10 सेमी ऊपर से करनी चाहिए, ताकि पौधे की पुनः बढ़वार हो सके.
- इसके बाद अन्य कटाई 40-45 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए.
- वहीं, दीनानाथ घास पूरे साल हरा चारा देने वाली फसल है.
- दीनानाथ घास को बहुवर्षीय फसल माना जाता है.
- इसका फसल चक्र ऐसा है कि पकने पर इसके बीज खेत में गिर जाते हैं और अगले खरीफ मौसम में इनसे अपने आप ही पौधे उगने लगते हैं.
- इस तरह से एक बार बुआई करने के बाद दीनानाथ घास खेत में 3-4 साल तक अपने आप उगती रहती है.
दीनानाथ घास की सिंचाई कब और कैसे करें?
- दीनानाथ घास बारिश वाली फसल है, ऐसे में इसको ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है.
- बस ध्यान रखें कि बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.
- खरीफ के मौसम में, यदि बारिश के बीच ज्यादा समय का अंतर हो, तो सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है,
- गर्मी के समय में, 3-5 सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है, जबकि अन्य मौसमों में, 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं.
कौन सी खाद डालने पर कितनी मिलेगी उपज?
- दीनानाथ घास के लिए, बुआई से पहले सड़ी हुई गोबर की खाद उपयुक्त होता है.
- इसकी खेती में आप वर्मी कंपोस्ट का उपयोग कर सकते हैं.
- इसके अलावा, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश युक्त उर्वरक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- इस घास से प्रति हेक्टेयर लगभग 30-35 टन हरा चारा प्राप्त होता है.
- बीज उत्पादन के लिए, प्रति हेक्टेयर लगभग 3-5 क्विंटल बीज प्राप्त हो सकता हैं.
निष्कर्ष
किसान चारे को लेकर परेशान रहते हैं, खासकर गर्मी और बरसात में. मगर अब किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि दीनानाथ घास उनकी समस्या दूर कर देगी. इस घास को लगाना आसान है, साथ ही एक बार लगाने पर चार बार कटाई कर सकते हैं. यह घास दूध बढ़ाने के साथ पशुओं में पोषण की समस्या भी दूर करती है.