देश में अब खरीफ फसलों की बुवाई तेज हो गई है. मॉनसून के जल्दी आगमन के चलते इस बार बुवाई क्षेत्र तेजी से बढ़ा है. लाखों किसानों ने अपने खेतों में सोयाबीन, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उड़द, मूंग, तिल आदि फसलें रोपी या बोई हैं, जबकि कई किसान अभी बुवाई और रोपनी में लगे हुए है. ऐसे में जो किसान फसल बो चुके हैं, उन्हें यह ध्यान रखने की जरूरत है कि 12-15 दिन बाद इन फसलों में खरपतवारों का नियंत्रण किया जाना बेहद जरूरी है.
कृषि एक्सपर्ट्स ने कुक्क समन्वित खरपतवार नियंत्रण पद्धति, फसल पद्धति, यांत्रिक विधि (कुल्पा और डोरा) और रसायनिक विधि से इन फसलों में खरपतवार को नियंत्रित करने की सलाह दी है.
सकरी पत्ती वाली खरपतवार: दूम, मोथा, सांवा
चौड़ी पत्ती वाली खरपतवार : बोधना, दिवालिया, कनकौआ
कृषि एक्सपर्ट ने खरपतवार को कंट्रोल करने के लिए किसानों को खरपतवारनाशी रसायनों का छिड़काव करने की सलाह दी है. सोयाबीन किसानों को फसल की बुवाई के 3 दिन के भीतर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए खरपतवारनाशकों डक्लोसुलम 84 WDG का 80-100 लीटर पानी में 26-30 ग्राम मिलाकर घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं और सेल्फेन्ट्राकोन 39.6 SC 750 मिली दोनों प्रकार की पत्ती वाली खरपतवारों के लिए प्रयोग करने की सलाह दी है. इसके अलावा भी किसान अन्य असरदार खरपतवारनाशी दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.
खरपतवारनाशी दवा का घोल बनाने के लिए हमेशा साफ पानी का इस्तेमाल करें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे छिड़काव के लिए सामान्य बैकपैक स्प्रेयर में फाइन नोजल (Flat Fan Nozzle) का इस्तेमाल करें. इससे दवा खरपतवार की सतह पर अच्छी तरह से चिपकती है. छिड़काव के दौरान समय का ध्यान रखना भी जरूरी है. किसानों को सलाह है कि वे सुबह या शाम के समय ही छिड़काव करें.
इस दौरान ध्यान रखें कि हवा की गति कम हो और तापमान मध्यम हो. वहीं, मॉनसून सीजन चल रहा है ऐसे में किसान मौसम की जानकारी देखकर ही छिड़काव करें. पहले और बाद की बारिश छिड़काव को कम असरदार या बेअसर कर सकती है. अगर बारिश का मौसम कई दिनों तक लगातार बन भी रहा है तो कम से कम 4 से 6 घंटे तक का गैप मिलना जरूरी है. इतना समय न मिलने पर दवा का असर असर घट सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today