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Arhar Dal Price: अरहर दाल के दाम में 'उबाल' क्यों, अच्छी कीमत के बावजूद कैसे घट गई खेती?

Arhar Dal Price: अरहर दाल के दाम में 'उबाल' क्यों, अच्छी कीमत के बावजूद कैसे घट गई खेती?

अरहर दाल का थोक भाव एमएसपी के मुकाबले करीब 3500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल ज्यादा है. क्योंक‍ि ड‍िमांड और सप्लाई में करीब 11 लाख टन की कमी है. सवाल यह है क‍ि जब केंद्र सरकार दलहन फसलों में आत्मन‍िर्भर होने का नारा लगा रही है तो फ‍िर तूर दाल की खेती बढ़ने की बजाय घट क्यों रही है? 

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अरहर दाल का उत्पादन क्यों घटा? अरहर दाल का उत्पादन क्यों घटा?

भारत में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली दालों में से एक अरहर (तूर) का दाम प‍िछले दो साल में ही लगभग दो गुना हो चुका है. इतनी तेजी से और क‍िसी भी दाल का दाम नहीं बढ़ा है. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की र‍िपोर्ट के अनुसार 10 जुलाई को इसका थोक दाम सरकार द्वारा तय क‍िए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 3476 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल अध‍िक रहा. इसकी वजह यह है क‍ि अरहर दाल की मांग और आपूर्त‍ि में भारी कमी है. भारत में सालाना लगभग 45 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है, जबक‍ि इसका उत्पादन इस साल 33.85 लाख टन ही रह गया है. ड‍िमांड और सप्लाई में करीब 11 लाख टन की कमी है. इस गैप की वजह से तूर दाल के दाम में तेजी से इजाफा हो रहा है. 

कृष‍ि मंत्रालय के अनुसार 10 जुलाई को देश में तूर दाल का दाम 10476.04 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा, जबक‍ि इसका एमएसपी 7000 रुपये है. जबक‍ि इसी तारीख को 2022 में इसका दाम स‍िर्फ 5306.58 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. यानी दो साल में ही तूर दाल के दाम में 97.41 फीसदी का इजाफा हो चुका है. वजह एक ही है क‍ि उत्पादन कम हो रहा है. उत्पादन कम होने की वजह ये है क‍ि इसकी खेती बढ़ने की बजाय घट रही है. अब सवाल यह है क‍ि जब केंद्र सरकार दलहन फसलों में आत्मन‍िर्भर होने का नारा लगा रही है तो फ‍िर तूर दाल की खेती बढ़ने की बजाय घट क्यों रही है? 

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क्यों घटा अरहर का उत्पादन? 

कानपुर स्थ‍ित इंड‍ियन इंस्टीट्यूट ऑफ पल्सेज र‍िसर्च (IIPR) के डायरेक्टर डॉ. जीपी दीक्ष‍ित ने क‍िसान तक से बातचीत में कहा क‍िअरहर दाल खरीफ सीजन की फसल है और इसकी 90 फीसदी खेती वर्षा आधार‍ित है, इसल‍िए मौसम में क‍िसी भी अप्रत्याश‍ित बदलाव से इसकी खेती के एर‍िया और उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ता है. साल 2022-23 और 2023-24 के दौरान तूर दाल के प्रमुख उत्पादक सूबों कर्नाटक और महाराष्ट्र में कभी सूखा पड़ा तो कभी बहुत अध‍िक बार‍िश हुई. ज‍िसकी वजह से फसल बर्बाद हो गई और उत्पादन पर बहुत असर पड़ा है. 

हालांक‍ि, डॉ. दीक्ष‍ित जोर देकर इस बात को भी कहते हैं क‍ि हम 48 लाख टन तक का उत्पादन ले चुके हैं, जो हमारे देश में तूर दाल की मांग को पूरा करने के ल‍िए काफी है. 'क‍िसान तक' के एक सवाल के जवाब में आईआईपीआर के डायरेक्टर ने माना क‍ि पूर्वी उत्तर प्रदेश, ब‍िहार और झारखंड में अरहर का एर‍िया अब नाम मात्र का रह गया है,ृ जबक‍ि पहले यहां अरहर दाल की बंपर पैदावार हुआ करती थी. उन्होंने कहा क‍ि अब इन तीनों राज्यों में क‍िसानों ने क्रॉप पैटर्न बदल द‍िया है. इनमें अरहर दाल 270 द‍िन में होती है, जबक‍ि इतने द‍िन में क‍िसान गेहूं, धान की दो फसल ले लेता है. 

अरहर का एर‍िया और उत्पादन.

आयात पर बढ़ी न‍िर्भरता 

अरहर दाल के उत्पादन में कमी आने का असर हमारे आयात ब‍िल पर पड़ा है, ज‍िसमें अरहर का अहम योगदान है. अगर सभी दालों को म‍िलाकर बात करें तो साल 2022-23 के दौरान भारत ने 15,780.56 करोड़ रुपये की दालों का आयात क‍िया था, जो 2023-24 में बढ़कर लगभग डबल हो गया है. इस साल दलहन का आयात ब‍िल 31,071.63 करोड़ है. 

वर्तमान व‍ित्त वर्ष में आयात के आंकड़े और चौंकाने वाले हैं. अप्रैल-2024 में भारत ने 6,16,683 मीट्र‍िक टन दालों का आयात क‍िया है, ज‍िस पर 3428.64 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े हैं. यह भारत में अब तक एक महीने में दाल आयात के ल‍िए खर्च की जाने वाली सबसे अध‍िक रकम है. 

इस साल बुवाई का हाल

इस साल अभी तक मॉनसून की बार‍िश अच्छी है. कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख अरहर उत्पादक राज्यों में मौसम इसकी खेती के ल‍िए अनुकूल है. ऐसे में 8 जुलाई तक अरहर की बुवाई देश में 20.82 लाख हेक्टेयर एर‍िया में हो चुकी है जो प‍िछले साल के मुकाबले 16.73 लाख हेक्टेयर अध‍िक है. प‍िछले साल यानी 2023 में 8 जुलाई तक महज 4.09 लाख हेक्टेयर में ही अरहर की बुवाई हो सकी थी. 

इस साल अब तक मौसम साथ दे रहा है और उधर, सरकार ने अरहर दाल की 100 फीसदी खरीद की गारंटी भी दे दी है, ऐसे में भारतीय कृष‍ि अनुसंधान पर‍िषद के अध‍िकार‍ियों को उम्मीद है क‍ि इस साल अरहर दाल का एर‍िया बढ़ेगा और बंपर पैदावार होगी, ज‍िससे आगे चलकर इसके दाम में नरमी देखने को म‍िल सकती है.  

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