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जूस और शराब के लिए उगाई जाती है अंगूर की ये किस्म, इसकी खेती से बढ़ा सकते हैं कमाई

जूस और शराब के लिए उगाई जाती है अंगूर की ये किस्म, इसकी खेती से बढ़ा सकते हैं कमाई

पूसा नवरंग अंगूर की एक संकर किस्म है, जिसे हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म अधिक उत्पादन देने के साथ-साथ बहुत जल्दी पक कर तैयार हो जाती है. इसके फलों में लगने वाले गुच्छों का आकार मध्यम होता है.

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अंगूर की किस्म अंगूर की किस्म

परंपरागत खेती में लगातार कम होते मुनाफे की वजह से अब किसान नई तरह की फसलों और बागवानी की तरफ रुख कर रहे हैं. बागवानी में मुनाफा देने वाला एक ऐसा ही विकल्प है अंगूर को उगाना. वर्तमान में कई सारे किसान फलों की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं. ऐसे में आपके लिए अंगूर की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकती है. अंगूर की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जो जूस और शराब के लिए फेमस हैं.

इसी में एक किस्म है पूसा नवरंग जो जूस और शराब बनाने में काम आती है. इस किस्म की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं गर्मियों में बाजार में इसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत.

पूसा नवरंग की जानें खासियत

पूसा नवरंग अंगूर की एक संकर किस्म है, जिसे हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है. यह किस्म अधिक उत्पादन देने के साथ-साथ बहुत जल्दी पक कर तैयार हो जाती है. इसके फलों में लगने वाले गुच्छों का आकार मध्यम होता है और उनके फल बीज रहित गोलाकार और काले रंग के होते हैं. इस किस्म के अंगूर में लाल रंग के गुच्छे भी होते हैं. साथ ही इस किस्म के अंगूर का उपयोग अधिक मात्रा में जूस और शराब बनाने में किया जाता है.

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ऐसे तैयार करें खेती के लिए मिट्टी

बात अंगूर की खेती की करें तो इसके लिए सबसे पहले खेतों को अच्छे तरीके से तैयार कर लेना चाहिए. अंगूर की खेती करने के लिए खेतों की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लें. उसके बाद इसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें. यदि खेतों को खुला छोड़ देते हैं तो खेत की मिट्टी में अच्छे तरीके से धूप लग जाती है. इसके बाद रोटावेटर लगाकर दो से तीन बार तिरछी जताई कर दें, जिससे खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जाए. इसके कुछ दिनों के बाद 15 से 18 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद को डाल देनी चाहिए.

इसके बाद दोबारा जुताई कर दें जिससे खेत की मिट्टी में खाद अच्छे तरीके से मिल जाए. फिर खेतों में गड्ढे तैयार कर लें. उन गड्ढों की दूरी आप अपने अनुसार रख सकते हैं. गड्ढों को तैयार करते समय उचित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें और जब गड्ढे अच्छे तरीके से तैयार हो जाएं तो अंगूर की कलम को खेत में लगा दें. कलम को लगाते समय अवश्य ध्यान रखें कि कलम एक वर्ष पुरानी होनी चाहिए. अंगूर के कलम को खेत में लगाने के बाद हल्की की मात्रा में सिंचाई कर दें.

अंगूर उत्पादन में महाराष्ट्र सबसे आगे

भारत में बागवानी फसलों में अंगूर की खेती का एक प्रमुख स्थान है. भारत के विभिन्न राज्य जैसे पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अत्यधिक मात्रा में इसकी खेती की जाती है. लगभग 70 फ़ीसदी अंगूर का उत्पादन महाराष्ट्र राज्य में किया जाता है.