देश में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है. केंद्र सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए 341.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने (Wheat Procurement) का टारगेट तय किया है. जो पिछले वर्ष रखे गए 444 लाख मिट्रिक टन के लक्ष्य से काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल जो हालात थे उसमें कोई खास बदलाव नहीं आया है. रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी चल रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं का दाम (Wheat Price) भारत से अधिक करीब 3200 रुपये प्रति क्विंटल है. पिछले वर्ष हीटवेव आई थी और इस साल बेमौसम बारिश, आंधी और ओलावृष्टि ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. इन स्थितियों के बीच किसान अच्छे दाम की उम्मीद में गेहूं होल्ड करने पर ज्यादा जोर देंगे. क्योंकि उन्होंने पिछले साल बहुत अच्छा भाव देखा है.
कमोडिटी रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि पिछले दस दिन से गेहूं की फसल बारिश का सामना कर रही है. ऐसे में नुकसान बहुत हुआ है, कोई इससे इनकार नहीं कर सकता. लगातार बारिश की वजह से गुणवत्ता तो खराब हुई ही है इससे उपज भी घटेगी. खासतौर पर हरियाणा और पंजाब में, जहां से सेंट्रल पूल (बफर स्टॉक) के लिए करीब 55 फीसदी गेहूं की खरीद होती रही है. मौसम ने जो हालात पैदा किए हैं उसे देखकर यही लगता है कि किसान गेहूं अपने पास होल्ड करेंगे ताकि उन्हें अच्छा दाम मिल सके. इस बात को सरकार भी भांप रही है, इसीलिए नई फसल आने के बावजूद अब तक गेहूं एक्सपोर्ट पर लगी रोक खत्म नहीं की गई है.
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उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक तीन अप्रैल 2023 को देश में गेहूं का औसत थोक भाव 2630.25 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जब नई फसल आने के समय इतना दाम है तो आप आप अंदाजा लगा सकते हैं आगे क्या हाल होगा. वो भी उस हालात में जब बारिश की वजह से देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर गेहूं की फसल खराब हुई है. गेहूं की कटाई भी आसान नहीं होगी. क्योंकि फसल जमीन पर गिर गई है इससे कंबाइन से उसे काटना मुश्किल होगा. अब ज्यादातर खेतों में मजदूरों के जरिए कटाई करवानी होगी जो काफी महंगी पड़ेगी. उत्पादन लागत बढ़ेगी तो किसान उसे सस्ते में नहीं बेचेंगे.
पिछले वर्ष 444 लाख मिट्रिक टन का टारगेट पूरा होता नहीं दिख रहा था तब लक्ष्य को संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन किया गया. लेकिन, यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया. खरीद सिर्फ 187.9 लाख टन ही हो पाई. सरकार ने गेहूं, आटा, सूजी और मैदा के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया. बाद में ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत रियायती दर पर 33 लाख टन गेहूं बेचा लेकिन, दाम उतना कम नहीं हुआ कि वो एमएसपी के स्तर यानी 2125 रुपये प्रति क्विंटल तक आ जाए. देश में गेहूं का औसत दाम अब भी एमएसपी से 500 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है. इसीलिए किसान संगठन गेहूं की एमएसपी पर 500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस मांग रहे हैं. किसान नेता गुरनाम सिंंह चढूनी ने यह मांग उठाई है.
राज्य | लक्ष्य (2022-23) | कितनी हुई थी खरीद | नया टारगेट (2023-24) |
पंजाब | 132 | 96.45 | 132.00 |
मध्य प्रदेश | 129 | 46.03 | 80.00 |
हरियाणा | 85 | 41.86 | 75.00 |
उत्तर प्रदेश | 60 | 3.36 | 35.00 |
राजस्थान | 23 | 0.10 | 5.00 |
बिहार | 10 | 0.04 | 10.00 |
उत्तराखंड | 2.2 | 0.02 | 2.00 |
गुजरात | 2 | 0.00 | 2.00 |
हिमाचल प्रदेश | 0.27 | 0.03 | 0.30 |
जम्मू-कश्मीर | 0.35 | 0.00 | 0.20 |
दिल्ली | 0.18 | 0.00 | ---- |
कुल खरीद | 444 | 187.9 | 341.50 |
Source: FCI
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा है कि इस वर्ष गेहूं की अच्छी खरीद के लिए शुभ संकेत मिले हैं. अकेले मध्य प्रदेश में जहां पिछले साल लगभग 18 लाख किसान वास्तविक आंकड़ों में सार्वजनिक खरीद अभियान में भाग ले रहे थे, जबकि इस साल 31 लाख से अधिक किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, इस साल गेहूं का अनुमानित उत्पादन लगभग 1121 लाख मीट्रिक टन है. भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय कार्यालयों की नवीनतम रिपोर्ट के आधार पर बताया गया है कि हाल की बारिश ने गेहूं के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला है.
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