सात साल पहले 18 फरवरी 2016 को शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में पंजाब भी शामिल हो सकता है. पंजाब इस योजना से अब तक दूर ही रहा है. वहां इसके लिए बजट अनाउसमेंट हो गया है. तेलंगाना और झारखंड को भी इससे जोड़ने की कोशिश जारी है. पीएम फसल बीमा योजना के सीईओ रितेश चौहान ने एक प्रजेंटेशन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इसकी जानकारी दी है. यह योजना राज्यों और किसानों, दोनों के लिए स्वैच्छिक है. इस समय 21 राज्य इसमें शामिल हैं. आंध्र प्रदेश हाल ही में योजना से जुड़ा है. अब तक 27 राज्यों में एक या उससे अधिक मौसम में फसल बीमा योजना लागू हो चुकी है. समय-समय पर कुछ राज्य इससे जुड़ते और बाहर निकलते रहते हैं.
पिछले छह साल (2016-17 से 2021-22 तक) में बीमा कंपनियों को 170127.6 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला है, जबकि किसानों को 130015.2 करोड़ का क्लेम. यानी कंपनियों ने 40112 करोड़ रुपये की कमाई की है. फिलहाल, पंजाब की बात करें तो आम आदमी पार्टी सरकार आने के बाद उसने इस योजना से राज्य को जोड़ने का फैसला किया है. ताकि फसल नुकसान की भरपाई आसान हो. इस समय पंजाब, बिहार, गुजरात, झारखंड, मेघालय, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल पीएम फसल बीमा योजना में शामिल नहीं हैं.
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पंजाब में फसल का नुकसान कभी भी 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होता था, लेकिन पिछले दो से तीन वर्षों से धान और कपास में फसल का नुकसान 15 प्रतिशत से अधिक हो गया है. जिससे राज्य सरकार को किसानों को मुआवजे के तौर पर मोटी रकम देनी पड़ रही है. बताया गया है कि धान और कपास किसानों को मुआवजे के रूप में 1500 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा.इसलिए राज्य सरकार ने इससे जुड़ने का फैसला किया. योजना से अगर पंजाब जुड़ता है तो यह बड़ी बात होगी.
आंध्र प्रदेश को फसल बीमा योजना में दोबारा शामिल होने के बाद तेलंगाना के भी इसमें शामिल होने की संभावना है. तेलंगाना प्रीमियम सब्सिडी (राज्य की हिस्सेदारी) की बहुत ज्यादा रकम होने का हवाला देते हुए योजना से बाहर हो गया था. अब उसने शामिल होने के लिए केंद्र के सामने कुछ शर्तें रखी हैं, जबकि आंध्र प्रदेश खरीफ 2022 से इस योजना में शामिल हो गया है. आंध्र प्रदेश ने इस योजना से बाहर होने के बाद डॉ. वाईएसआर मुफ्त फसल बीमा योजना शुरू की थी. सूखे से परेशान झारखंड भी फिर से फसल बीमा योजना में शामिल होना चाहता है. इसने तीन साल पहले खुद को इससे अलग कर लिया था. इसके बाद उसने झारखंड राज्य फसल राहत योजना शुरू की थी.
पीएम फसल बीमा योजना के तहत, किसान रबी फसलों के लिए प्रीमियम के रूप में बीमा रकम का 1.5 फीसदी और खरीफ फसलों के लिए प्रीमियम के रूप में 2 फीसदी का भुगतान करते हैं. वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम 5 प्रतिशत लगता है. शेष प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकार मिलकर देते हैं.
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