गेहूं की सरकारी खरीद इस साल पिछले वर्ष के आंकड़े को पार कर गई है. पिछले साल के मुकाबले एक लाख टन से अधिक की खरीद हो चुकी है, जबकि अभी कुछ सूबों में 30 जून तक यह प्रक्रिया चलती रहेगी. उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक 22 मई को शाम तक देश के 18,18,958 किसान सरकार को एमएसपी पर गेहूं बेच चुके थे और उन्हें इसके बदले उनके बैंक खातों में 52628.7 करोड़ रुपये ट्रांसफर हो चुके थे. इस साल खरीद 265 लाख टन पर सिमटने की उम्मीद है, जो सरकार द्वारा रखे गए लक्ष्य (373 लाख टन) से 108 लाख मीट्रिक टन कम होगा.
मंत्रालय के मुताबिक इस साल अब तक 261.75 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. जबकि पिछले साल रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में खरीद 260.71 लाख मीट्रिक टन पर सिमट गई थी. यानी एक लाख मीट्रिक टन से अधिक की खरीद बढ़ गई है. इस बार जितनी खरीद हुई है वो पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा है. साल 2022-23 में 187.92 लाख टन की खरीद हुई थी. इसके बावजूद सरकार के सामने और गेहूं खरीदने की चुनौती है, क्योंकि उसका स्टॉक पिछले वर्ष से कम है.
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इस साल गेहूं की सरकारी खरीद बढ़ने का अनुमान तो है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले सरकारी भंडार में 30.73 लाख टन की कमी है. उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार एक मई 2023 को भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों के पास 290.28 लाख टन गेहूं उपलब्ध था.
जबकि एक मई 2024 को पिछले साल से काफी कम सिर्फ 259.55 लाख टन गेहूं मौजूद है. इसलिए सरकार के सामने इस गैप को भरने की चुनौती है. यह गैप तब भरेगा जब इस साल गेहूं की सरकारी खरीद कम से कम 300 लाख टन के करीब पहुंच जाए. हालांकि, ऐसा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.
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