Maize Farming: 3 हजार हेक्‍टेयर मक्‍का फसल पर इस कीट ने बोला हमला, किसानों को भारी नुकसान

Maize Farming: 3 हजार हेक्‍टेयर मक्‍का फसल पर इस कीट ने बोला हमला, किसानों को भारी नुकसान

जम्मू-कश्मीर के एक जिले में मक्का की फसल पर एक घातक कीट का असर देखने को मिला है, जिससे हजारों हेक्टेयर में नुकसान हुआ है. किसान परेशान हैं और अधिकारियों ने इसकी रोकथाम को लेकर कदम उठाए हैं.

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3 हजार हेक्‍टेयर मक्‍का फसल पर इस कीट ने बोला हमला, किसानों को भारी नुकसानमक्‍का फसल पर फॉल आर्मीवर्म का प्रकाेप (फोटो- एएनआई)

जम्‍मू-कश्‍मीर के उधमपुर में इन दिनों 3 हजार हेक्‍टेयर क्षेत्र में फैली मक्‍का की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट ने कहर बरपाया हुआ है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है और वे फसल को लेकर चिंति‍त हैं. यह समस्‍या खासकर मानसर पंचायत में देखने को मिल रही है. फॉल आर्मीवर्म (स्पोडोप्टेरा फ्रुजीपरडा) एक बहुभक्षी कीट है, यह मुख्य रूप से मक्का और 80 से अधिक अन्य फसलों को खाता है. इनमें गेहूं, ज्वार, बाजरा, गन्ना, सब्जी की फसलें और कपास शामिल हैं.

देर से बुवाई के कारण असर 

फॉल आर्मीवर्म कीट खाद्य सुरक्षा के लिए एक वैश्विक खतरा है, जो खाद्य उत्पादन और ग्रामीण आजीविका पर बुरा असर डाल रहा है. मुख्य कृषि अधिकारी हरबंस सिंह ने कहा कि फॉल आर्मीवर्म फसल की देर से बुवाई के कारण असर डाल रहा है. सिंह ने किसानों को फसलों की जल्दी बुवाई की सलाह दी है. उन्‍होंने कहा कि किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने के लिए 3,000 हेक्टेयर भूमि पर कीटनाशक छिड़के गए हैं. 

जांच करने खेतों में जा रही टीम

हरबंस सिंह ने कहा, "ज़िले में 26,000 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है. यहां फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप पिछले दो-तीन सालों से है, जो मुख्‍य रूप से फसल की देर से बुवाई के कारण देखने को मिल रहा है. इसलिए मैं किसानों को फसलों की जल्दी बुवाई और फसल चक्र अपनाने की सलाह दूंगा. लगभग 3,000 हेक्टेयर क्षेत्र में इसका प्रकोप है और हमारी टीमें जांच के लिए खेतों में जा रही हैं. हम कीटनाशक और संक्रमण से बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं..."

मक्‍का किसान ने बयां की पीड़ा 

मक्का की खेती करने वाले किसान करनैल सिंह ने फसलों के नुकसान को लेकर अपना दर्द बयां किया और सरकार से स्थिति की जांच करने की अपील की. करनैल सिंह ने बताया, "हमारी ज़्यादातर फ़सलें कीड़ों के कारण नष्ट हो गई हैं. सरकार को इस बात की जांच करवानी चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. इतनी बर्बादी से हमारी आय प्रभावित होगी..."

सेब किसानों की बदली तकदीर

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के राजौरी ज़िले में, अति-घनत्व वाली सेब की खेती ने बागवानी क्षेत्र में बदलाव ला दिया है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य सेब उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों की आय को दोगुना करना है. राजौरी के थानामंडी ब्लॉक के किसान उच्च गुणवत्ता वाले सेब उत्पादन के कारण अपनी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी का अनुभव कर रहे हैं.

किसानों को आधुनिक बागवानी की ट्रेनिंग

अति-उच्च-घनत्व वाली सेब की खेती की ओर रुख ने स्थानीय गरीबों के लिए रोजगार के अवसर और बेहतर आजीविका के विकल्प प्रदान किए हैं. किसानों को आधुनिक बागवानी पद्धतियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे उपज को अधिकतम कर सकें और गुणवत्ता में सुधार कर सकें. यह कार्यक्रम थानामंडी, धरहाल, कोटरंका, बुधल और मंजाकोट सहित कई ब्लॉकों में लागू किया जा रहा है. इस पहल को समर्थन देने के लिए साज और बुधल क्षेत्रों में उच्च-तकनीकी नर्सरियाँ स्थापित की गई हैं.

साज नर्सरी के प्रभारी अब्दुल रजाक ने बताया कि वे उच्च-तकनीकी नर्सरियों में बीज से सेब, बेर, अखरोट और खुबानी के पौधे उगाते हैं और फिर उन्हें ग्राफ्टिंग के बाद रोपते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की इस पहल के बाद लोगों को लाभ हो रहा है. "हमारे पास पांच उच्च-तकनीकी नर्सरियां हैं. ये बहुत उपयोगी हैं, क्योंकि पौधे जल्दी तैयार हो जाते हैं और बाहर रोपने के लिए तैयार हो जाते हैं... हमारे यहां और मंडी क्षेत्र में भी बहुत सारे बाग हैं." (एएनआई)

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