scorecardresearch
सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी की MSP के ल‍िए तरसे क‍िसान, भारत में त‍िलहन त‍िरस्कार का है इंटरनेशनल कनेक्शन! 

सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी की MSP के ल‍िए तरसे क‍िसान, भारत में त‍िलहन त‍िरस्कार का है इंटरनेशनल कनेक्शन! 

Oilseed Crops Price: अपनी एक र‍िपोर्ट में कृष‍ि मंत्रालय ने खुद स्वीकार क‍िया है क‍ि ओपन मार्केट में मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी का दाम एमएसपी से कम है. हालांक‍ि, इन सभी फसलों के दाम की दुर्गत‍ि को देखते हुए यह सवाल महत्वपूर्ण हो गया है क‍ि खाद्य तेलों का आयातक होने के बावजूद भारत के क‍िसानों को त‍िलहन फसलों का एमएसपी भी क्यों नसीब नहीं हो रहा है? 

advertisement
त‍िलहन फसलों का क्यों नहीं म‍िल रहा सही दाम? त‍िलहन फसलों का क्यों नहीं म‍िल रहा सही दाम?

खाद्य तेल वाली फसलों की भारी कमी के बावजूद क‍िसानों को इसका सही दाम नहीं म‍िल रहा है, जबक‍ि भारत सालाना लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात कर रहा है. इस वक्त चार प्रमुख त‍िलहन फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के ल‍िए भी तरस रही हैं. मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी इन सभी की खेती करने वाले क‍िसान इस बात को लेकर हैरान हैं क‍ि एक तरफ खाने वाला तेल आयात हो रहा है तो दूसरी ओर उनकी फसलों को सही कीमत क्यों नहीं म‍िल पा रही है. सवाल यह है क‍ि क्या इसी तरह से भारत खाद्य तेलों में आत्मन‍िर्भर बनेगा? जब क‍िसानों को सही दाम ही नहीं म‍िलेगा तो फ‍िर वो त‍िलहन की खेती को क्यों आगे बढ़ाएंगे. दरअसल, भारत में त‍िलहन फसलों के इस त‍िरस्कार का एक इंटरनेशनल कनेक्शन भी है.

कृष‍ि मंत्रालय ने खुद स्वीकार क‍िया है क‍ि इन चार फसलों की खेती करने वाले क‍िसानों को इस साल अब तक ओपन मार्केट में एमएसपी नहीं म‍िल पाया है. हालांक‍ि, इन सभी फसलों के दाम की दुर्गत‍ि को देखते हुए यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क‍ि खाद्य तेलों का आयातक होने के बावजूद भारत के क‍िसानों को त‍िलहन फसलों का एमएसपी भी क्यों नसीब नहीं हो रहा है. कायदे से तो त‍िलहन फसलों को बहुत अच्छा दाम म‍िलना चाह‍िए. आख‍िर क्यों क‍िसान इसकी सही कीमत के ल‍िए तरस रहे हैं? 

इसे भी पढ़ें: MSP: सी-2 लागत के आधार पर एमएसपी क्यों मांग रहे हैं क‍िसान, क‍ितना होगा फायदा?

रूस और यूक्रेन कनेक्शन 

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है क‍ि सरकार की आयात पॉल‍िसी की वजह से ऐसा हो रहा है. दूसरी ओर खाद्य तेलों के कारोबार से जुड़े लोग इस हालात के पीछे एक और वजह को जोड़ते हैं, ज‍िसका कनेक्शन रूस और यूक्रेन से है. अख‍िल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है इस वक्त रूस और यूक्रेन दोनों देश बहुत सस्ता सूरजमुखी तेल बेच रहे हैं. इसल‍िए भारत के खाद्य तेल कारोबारी इसका फायदा उठा रहे हैं. आमतौर पर यहां सबसे ज्यादा पाम ऑयल आयात होता है, लेक‍िन प‍िछले तीन महीन में सूरजमुखी ने पाम ऑयल  का स्थान ले ल‍िया है. 

इंपोर्ट ड्यूटी का झटका 

आमतौर पर सूरजमुखी तेल पाम और सोयाबीन से महंगा होता है लेक‍िन इस समय यह सबसे सस्ता हो गया है. इसल‍िए इसका आयात बढ़ गया है. आयात बढ़ने के कारण भारत के क‍िसानों को त‍िलहन फसलों का दाम सही नहीं म‍िल रहा है. अगर क‍िसानों को एमएसपी भी नहीं म‍िलेगा तो वो हतोत्साह‍ित होंगे और अगले साल तक त‍िलहन फसलों का रकबा घट जाएगा. 

क‍िसानों को हो रहे नुकसान की एक और वजह खाद्य तेलों पर कम इंपोर्ट ड्यूटी भी है. सरकार ने खाद्य तेलों की महंगाई घटाने के ल‍िए प‍िछले वर्षों के मुकाबले इसे काफी कम कर द‍िया था. अभी दाम काबू में हैं लेक‍िन सरकार की च‍िंता चुनाव है, इसल‍िए वो इसे बढ़ा नहीं रही है. इंपोर्ट ड्यूटी कम रहने से आयात ज्यादा होता है ज‍िससे दाम घट जाता है. 

क‍िस फसल का क‍ितना है दाम.

क‍िसान व‍िरोधी आयात पॉल‍िसी  

सरसों के सही दाम को लेकर सत्याग्रह करने वाले क‍िसान नेता रामपाल जाट का कहना है क‍ि मूंगफली, सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी ये भारत की प्रमुख तिलहन फसलें हैं. इन्हें उगाने वाले किसानों को तो इसलिए पुरस्कार मिलना चाहिए कि वो ऐसी फसल उगा रहे हैं जिसमें भारत आत्मनिर्भर नहीं है. लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें पुरस्कार की जगह कम दाम का 'सरकारी' दंड मिल रहा है. 

केंद्र सरकार की आयात पॉल‍िसी क‍िसान व‍िरोधी है. यह ऐसी पॉल‍िसी है ज‍िससे भारत के किसानों की बजाय दूसरे देशों के किसानों को पैसा मिल रहा है. भारत का पैसा रूस-यूक्रेन, अर्जेंटीना, इंडोनेश‍िया और मलेश‍िया के पास जा रहा है. आखिर भारत के किसानों ने ऐसी कौन सी गलती की है ज‍िसकी वजह से उन्हें सरकार तिलहन की फसल उगाने के बावजूद सही दाम नहीं द‍िला पा रही.

दो साल में क‍ितना बदला दाम

  • मूंगफली का दाम 8 अप्रैल 2024 को 6013.01 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था, जो खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 के ल‍िए तय इसकी एमएसपी 6377 रुपये से कम है. दो साल पहले यानी 8 अप्रैल 2022 को इसका दाम 5847.74 रुपये क्व‍िंटल था. हालांक‍ि तब (2021-22) में इसका एमएसपी 5550 रुपये था. यानी ओपन मार्केट में क‍िसानों को मूंगफली का दाम एमएसपी से ज्यादा म‍िल रहा था.
  • सरसों का दाम 8 अप्रैल 2024 को 5183.65 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. जबक‍ि रबी मार्केट‍िंग सीजन 2024-25 में इसकी एमएसपी 5650 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तय की गई है. दो साल पहले यानी 8 अप्रैल 2022 को दाम 6274.84 रुपये था. हालांक‍ि तब (2022-23) में इसका एमएसपी 5050 रुपये क्व‍िंटल था. यानी दो साल पहले सरसों क‍िसानों को एमएसपी से ज्यादा भाव म‍िल रहा था. 
  • सोयाबीन का दाम 8 अप्रैल 2024 को 4551.44 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. जबक‍ि खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 में इसका एमएसपी 4600 रुपये तय है. अगर दो साल पहले 8 अप्रैल 2022 का आंकड़ा देखें तो ओपन मार्केट में दाम 7177.97 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. हालांक‍ि उस वक्त (2021-22) में इसका एमएसपी 3950 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. यानी क‍िसानों को ओपन मार्केट में सोयाबीन का दाम एमएसपी से काफी ज्यादा म‍िल रहा था. 
  • सूरजमुखी का दाम 8 अप्रैल 2024 को स‍िर्फ 3851 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. जबक‍ि खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 में इसका एमएसपी 6760 रुपये तय है. दो साल पहले 8 अप्रैल 2022 को ओपन मार्केट में सूरजमुखी का दाम 6259.42 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल था. हालांक‍ि तब (2021-22)  में इसका एमएसपी 6015 रुपये था. यानी तब क‍िसानों को सूरजमुखी का एमएसपी से ज्यादा दाम म‍िल रहा था. 

(केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर) 

इसे भी पढ़ें: ये कैसा खेल: इंडस्‍ट्री को म‍िला सस्‍ता गेहूं, किसानों को हुआ नुकसान और कंज्यूमर के ल‍िए बढ़ गया दाम!