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इस बार पंजाब में 2 लाख हेक्टेयर में होगी कपास की बुवाई, अधिकारियों ने कर ली सारी तैयारी

इस बार पंजाब में 2 लाख हेक्टेयर में होगी कपास की बुवाई, अधिकारियों ने कर ली सारी तैयारी

अधिकारियों ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में फसल की विफलता के कारण, किसानों को आर्थिक झटका लगा है. राज्य सरकार ने किसानों को समर्थन देने के लिए कई कदम उठाए हैं. बीज पर सब्सिडी देकर यह सुनिश्चित किया है कि केवल अनुमोदित किस्मों का ही उपयोग किया जाए और सफेद मक्खी के हमले की संभावना को कम करने के लिए कपास उगाने वाले क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती पर प्रतिबंध लगाया गया है.

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पंजाब में कपास की खेती में होगी बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो) पंजाब में कपास की खेती में होगी बढ़ोतरी. (सांकेतिक फोटो)

पंजाब में किसान इस बार बंपर रकबे में कपास की खेती करेंगे. इसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई हैं. राज्य के कृषि निदेशक जसवन्त सिंह का कहना है कि विभाग ने 2024-25 खरीफ चक्र में 2 लाख हेक्टेयर में कापस की बुवाई करने का लक्ष्य रखा है. उनका कहना है कि साल 2021-22 में 'सफेद सोने' रोग की वजह से कपास का उत्पादन प्रभावित हुआ. इससे किसानों ने इसकी खेती से दूरी बना ली. ऐसे में रकबे में गिरावट देखी गई. हालांकि, इस राज्य में गेहूं और सरसों सहित अन्य रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद कपास की बुआई शुरू हो जाएगी.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने 15 मई तक कपास की बुआई पूरी करने की सलाह दी है. एक आंकड़े में कहा गया है कि पंजाब में कपास का क्षेत्रफल हर साल कम हो रहा है. साल 2021 में, यह 2.52 लाख हेक्टेयर था और 2022 में यह घटकर 2.48 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया. इसी तरह 2023 में पंजाब में कपास का रकबा 1.73 लाख हेक्टेयर था, जो अब तक का सबसे कम है. हालांकि, 2020 में, राज्य ने लगभग कपास का उत्पादन 50 लाख क्विंटल दर्ज किया था. लेकिन अगले तीन वर्षों में कई कारणों से दक्षिण मालवा बेल्ट के किसानों ने कपास की खेती से किनारा करना शुरू कर दिया.

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4 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने की योजना बनाई

कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि शुरू में अधिकारियों ने किसानों को अधिक पानी वाले धान की खेती करने से रोकने के लिए इस खरीफ सीजन में कपास का रकबा 4 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने की योजना बनाई थी, लेकिन जमीनी हकीकत जानने के बाद, लक्ष्य क्षेत्र को घटाकर आधा कर दिया गया. एक अधिकारी ने कहा कि 2 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य को पूरा करना भी एक चुनौती होगी. हालांकि, चुनौती स्वीकार करते हुए निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि कृषि अधिकारी किसानों को कपास नहीं तो मक्का बोने के लिए प्रेरित करने के लिए काम कर रहे हैं.

सरकार ने किया था सब्सिडी देने का ऐलान

निदेशक ने कहा कि 2023 में कृषि विभाग ने 2024-25 के खरीफ सीजन में कपास की फसल में गुलाबी बॉलवर्म संक्रमण से निपटने के लिए मोम आधारित फॉर्मूलेशन, स्पेशलाइज्ड फेरोमोन और ल्यूर एप्लीकेशन टेक्नोलॉजी (एसपीएलएटी) पर सब्सिडी देने की योजना बनाई. हालांकि, उच्च लागत के कारण इसे रोक दिया गया था. इस पहल का उद्देश्य घाटे में चल रहे कपास उत्पादकों के बीच चावल की खेती को रोकने के लिए विश्वास बहाल करना था. परियोजना के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता प्राप्त करने की योजना थी, लेकिन इसे इस सीजन के लिए हटा दिया गया है. लेकिन हम किसानों को SPLAT और PBKnot का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और बाजार में इसकी पर्याप्त उपलब्धता की उम्मीद करेंगे.

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