पराली प्रबंधन पर सटीक काम नहीं हो पाने के चलते पराली जलाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ताजा रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में बीते शनिवार को खेतों में आग लगने की 379 घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें संगरूर जिले में सबसे ज्यादा 66 घटनाएं हुईं. जबकि, इससे पहले शुक्रवार को खेतों में आग लगने की 587 मामलों के साथ दर्ज की गई. संगरूर में सबसे ज्यादा 79 मामले सामने आए. इससे राज्य में अब तक कुल पराली जलाने के मामलों की संख्या 3,900 से अधिक हो गई है.
खेतों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के कई प्रयासों के बावजूद किसान पराली प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं हो पाने समेत अन्य कारणों से फसल अपशिष्ट जलाने के लिए मजबूर हैं. पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार 15 सितंबर से 2 नवंबर तक राज्य में खेतों में आग लगने की 3,916 घटनाएं हुई हैं.
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार बीते दिन शनिवार को फिरोजपुर जिले में खेतों में आग लगने की 50 घटनाएं दर्ज की गईं, तरनतारन में 42, अमृतसर में 27, बठिंडा में 28, मोगा में 26, पटियाला में 21 और कपूरथला और लुधियाना में 15-15 घटनाएं दर्ज की गईं. इसके अलावा फाजिल्का (एक), रूपनगर (दो), होशियारपुर (दो), फरीदकोट (छह), जालंधर (आठ), मलेरकोटला (पांच), बरनाला (छह) और एसबीएस नगर (तीन) मामले सामने आए हैं.
पिछले कुछ दिनों में खेतों में आग लगने की घटनाओं में भारी उछाल आया है. इससे पहले पंजाब में गुरुवार को खेतों में आग लगने की 484 घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें संगरूर में सबसे अधिक 89 मामले दर्ज किए गए थे. उससे पहले मंगलवार को खेतों में आग लगने की 219 घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे उस दिन सीजन की कुल संख्या 2,356 हो गई.
31 लाख हेक्टेयर से ज्यादा धान के रकबे के साथ पंजाब हर साल लगभग 180 से 200 लाख टन धान की पराली पैदा करता है. राज्य में 2023 में 36,663 खेत में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो पिछले साल की तुलना में ऐसी घटनाओं में 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. इससे पहले राज्य में 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज कीं, जिसमें संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए.
पंजाब में इन दिनों धान की सरकारी खरीद चल रही है. अक्टूबर-नवंबर में धान फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई के लिए समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से जल्दी साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. किसान संगठनों का कहना है कि पराली के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों की लागत छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति से बाहर है.
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