दिल्ली ही नहीं उससे सटे एनसीआर के इलाके में भी एक खास तरह का आलू खाया जाता है. साल के 9 महीने तक तो इसी खास आलू की सप्लाई होती है. बाकी के तीन महीने सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर पंजाब का आलू खाता है. इस खास आलू की सप्लाई यूपी के एक छोटे से इलाके से होती है. 9 महीने तक यही इलाका दिल्ली-एनसीआर में आलू की डिमांड को पूरा करता है. जमीन में तो यह खास आलू दूसरी वैराइटियों के आलू की तरह से ही पैदा होता है, लेकिन कोल्ड स्टोरेज में इसका रखरखाव इसे खास बना देता है.
आगरा और अलीगढ़ में कुफरी बाहर, कुफरी चिप्सोना, कुफरी सदाबहार, कुफरी सूर्या, कुफरी आनंद,कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी ख्याति और कुफरी गरिमा बड़ी मात्रा में पैदा किया जाता है. दोनों ही जगह का आलू खासतौर पर सबसे ज्यादा नेपाल, भूटान, वर्मा, बांग्लादेश और श्रीलंका में को एक्सपोर्ट किया जाता है.
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अलीगढ़ के बड़े आलू किसान विनोद ने किसान तक को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में शुगर फ्री आलू पंसद किया जाता है. इस आलू में मिठास नहीं होती है. लेकिन इस आलू को कोल्ड स्टोरेज के अंदर शुगर फ्री बनाया जाता है. जमीन से तो यह दूसरे सामान्य आलू की तरह से ही निकलता है. एक लम्बे वक्त तक कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने के चलते उसके अंदर मिठास आ जाती है. लेकिन दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई होने वाले आलू को कोल्ड स्टोरेज के अंदर एक खास तापमान में रखा जाता है. उस तापमान में एक लम्बे वक्त तक रहने के बाद भी आलू में मिठास नहीं आती है. लेकिन आलू पर यह प्रयोग सिर्फ अलीगढ़ का सासनी इलाका और हाथरस जिला ही करता है.
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विनोद ने बताया कि सासनी और हाथरस के आलू किसान करीब दो से सवा दो करोड़ आलू के पैकेट (50 किलो का एक) कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं. यही आलू धीरे-धीरे दिल्ली-एनसीआर की बड़ी मंडियों आजादपुर,ओखला और गाजीपुर में सप्लाई होता रहता है. जानकारों की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में थोड़ा सा आलू आगरा का भी आता है. लेकिन उसकी मात्रा ना के बराबर ही है.
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