उत्पादन लागत से भी कम हुआ सोयाबीन का दाम, खाद्य तेलों में इस तरह कैसे आत्मन‍िर्भर होगा भारत? 

उत्पादन लागत से भी कम हुआ सोयाबीन का दाम, खाद्य तेलों में इस तरह कैसे आत्मन‍िर्भर होगा भारत? 

Soybean Price: ज‍िस फसल की खेती करने के ल‍िए क‍िसानों को इंसेंट‍िव म‍िलना चाह‍िए था उसे उगाने की 'सरकारी सजा' म‍िल रही है. एक तरफ हम हर साल करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात कर रहे हैं तो दूसरी ओर अपने देश के क‍िसानों को त‍िलहन फसलों की एमएसपी तक नहीं दे पा रहे हैं. आख‍िर ऐसा क्यों हो रहा है? 

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उत्पादन लागत से भी कम हुआ सोयाबीन का दाम, खाद्य तेलों में इस तरह कैसे आत्मन‍िर्भर होगा भारत? एमएसपी के ल‍िए तरसे सोयाबीन क‍िसान.

नास‍िक ज‍िले के न‍िफाड़ तालुका में आने वाला एक गांव है सरोले थडी. यहां के क‍िसान कैलाश गंगाधर नागरे ने प‍िछले साल 6 एकड़ में सोयाबीन की खेती की थी, लेक‍िन सही दाम न म‍िलने की वजह से वर्तमान सीजन में उन्होंने इसकी जगह मक्का लगाया. मक्के की फसल में सोयाबीन की तरह घाटा नहीं है. नागरे का कहना है क‍ि इस साल भी सोयाबीन के दाम का बुरा हाल है, इसल‍िए इसकी खेती करने वाले क‍िसान पछता रहे है. यह उस फसल का हाल है ज‍िसमें भारत आत्मन‍िर्भर नहीं है. सोयाबीन की खेती करने वाले लाखों क‍िसानों की परेशानी बढ़ गई है. क्योंक‍ि कई मंड‍ियों में इसका दाम उत्पादन लागत से भी कम हो गया है. क‍िसान घाटे में इसकी ब‍िक्री करने पर मजबूर हैं. 

नवंबर में नई उपज आ जाएगी, लेक‍िन उससे पहले प‍िछले साल के बचे हुए सोयाबीन का बाजार में बुरा हाल है. वजह एक ही है इंपोर्ट ड्यूटी की नीत‍ि. ज‍िसमें क‍िसान प‍िस रहे हैं. भारत में सोयाबीन त‍िलहन की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है. नागरे का कहना है क‍ि क‍िसानों को सोयाबीन की कम से कम 6000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की कीमत म‍िलेगी तब उन्हें फायदा होगा. यहां तो एमएसपी से भी कम दाम म‍िल रहा है. इस तरह तो भारत कभी भी खाद्य तेलों के मामले में आत्मन‍िर्भर नहीं हो पाएगा. 

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क‍ितना है दाम

केंद्र सरकार ने A2+FL फार्मूले के आधार पर सोयाबीन की उत्पादन लागत 3261 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल बताई हुई है. इस पर 50 फीसदी मुनाफा जोड़कर 4892 रुपये प्रति क्विंटल का दाम तय क‍िया गया है. जबक‍ि ज्यादातर मंड‍ियों में क‍िसानों को इससे कम ही दाम म‍िल रहा है. कई मंड‍ियों में उत्पादन लागत से भी कम कीमत म‍िल रही है. 

महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केट‍िंग बोर्ड के अनुसार 25 अगस्त को अमरावती ज‍िले की अंजनगांव सुर्जी मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम 3200, अध‍िकतम 4000 और औसत दाम 3700 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. इससे पहले 24 अगस्त को लासलगांव व‍िंचूर में न्यूनतम दाम 3000, अध‍िकतम दाम 4231 और औसत भाव 4130 रुपये क्व‍िंटल रहा. वर्धा ज‍िले की हिंगणघाट मंडी में न्यूनतम दाम स‍िर्फ 2600 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. अध‍िकतम दाम 4365 और औसत दाम 3600 रुपये रहा.  

अगर C2+50 फीसदी वाले फार्मूले पर लागत की बात करें तो सरकार खुद बताती है क‍ि यह 4291 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल पड़ेगा. ऐसे में समझ सकते हैं क‍ि इस साल क‍िसानों को सोयाबीन की खेती में क‍ितना घाटा उठाना पड़ रहा है. नागरे का कहना है क‍ि 2021 में हमने 7000-8000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल पर सोयाबीन बेचा था और आज स‍िर्फ 3000 से 4000 रुपये में बेच रहे हैं. सबकी चीजों का दाम बढ़ता है और क‍िसान की उपज का दाम घट गया है. 

इंपोर्ट ड्यूटी ने बढ़ाई परेशानी 

महाराष्ट्र के क‍िसान नेता अन‍िल घनवत का कहना है क‍ि खाद्य तेलों की इंपोर्ट ड्यूटी लगभग जीरो परसेंट रह गई है, जबक‍ि पहले करीब 45 फीसदी थी. इसल‍िए दूसरे देशों से यहां पर सस्ता माल आ रहा है. सरकार को कम से कम इतनी इंपोर्ट ड्यूटी लगानी चाह‍िए ताक‍ि बाहर से आने वाले सोया ऑयल का दाम इतना हो क‍ि भारत में क‍िसानों को सोयाबीन एमएसपी से कम कीमत पर न बेचनी पड़े. सोयाबीन त‍िलहन फसल है, ज‍िसमें हम आत्मन‍िर्भर नहीं हैं. ऐसे में ज‍िन क‍िसानों को सोयाबीन की खेती करने पर इंसेंट‍िव म‍िलना चाह‍िए था उन्हें सरकार कम दाम का दंड दे रही है. 

क्या कह रहे हैं व्यापारी 

उधर, अख‍िल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है क‍ि कोई भी कारोबारी वहीं से कोई उत्पाद खरीदेगा जहां से सस्ता पड़ेगा. अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेर‍िका में सोयाबीन की बंपर फसल हुई है. इसल‍िए वहां से आयात यहां पर एमएसपी ज‍ितना दाम देने के मुकाबले सस्ता पड़ रहा है. अगर हम लोग आयात शुल्क को बढ़ाएंगे तो सोयाबीन के बड़े उत्पादक देश अपनी एक्सपोर्ट ड्यूटी कम कर देंगे. कारोबार‍ियों को सस्ता सोया ऑयल म‍िलता रहेगा. इसका तरीका यह है क‍ि भारत के क‍िसानों को सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजार मूल्य और एमएसपी के बीच के अंतर की भरपाई करे. 

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