देश में सोयाबीन की पेराई में तेजी देखी जा रही है. देश की अलग-अलग मंडियों में इसकी आवक भी तेज देखी जा रही है. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की मंडियों में सोयाबीन की आवक तेज बनी हुई है. इससे सोयाबीन की उपलब्धता बढ़ी है. लिहाजा इसकी पेराई में भी जबर्दस्त तेजी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर-दिसंबर 2022 की तिमाही में सोयाबीन की पेराई 51 फीसद तक बढ़कर 32.50 लाख टन पर पहुंच गई है. एक साल पहले पेराई की मात्रा इसी अवधि में 21.50 टन थी.
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस बात की जानकारी दी. एसोसिएशन ने एक बिजनेस अखबार को बताया कि दिसंबर अंत तक बाजार में सोयाबीन की आवक 50 लाख टन पर पहुंच गई है जो कि एक साल पहले 40 लाख टन हुआ करती थी. पेराई बढ़ने से सोयाबीन तेल और सोयाबीन मील का उत्पादन बढ़ेगा. पेराई में तेजी आने से अक्टूबर-दिसंबर 2022 के दौरान सोयाबीन मील का उत्पादन 26.10 लाख टन पर पहुंच गया है जो एक साल में 52 परसेंट की तेजी दिखाता है. साल भर पहले सोयाबीन मील का उत्पादन 17.16 लाख टन हुआ था.
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इसका बड़ा फायदा सोयामील के निर्यात में देखा जा रहा है. अक्टूबर-दिसंबर में सोयामील का उत्पादन बढ़ने से इसके निर्यात में 49 परसेंट का उछाल है. इस अवधि में सोयामील का निर्यात 4.06 लाख टन तक बढ़ा है. फीड यानी कि दाने के रूप में इसका इस्तेमाल भी अधिक बढ़ा है. एक साल पहले सोयामील की खपत 16.50 लाख टन था जो इस अक्टूबर-दिसंबर में 12 फीसद बढ़कर 18.50 लाख टन हो गया. खाने के क्षेत्र में भी सोयमील का इस्तेमाल 43 परसेंट तक बढ़ा है.
सोयाबीन की उपज इस बार इतनी बंपर हुई है कि एक जनवरी तक क्रशिंग प्लांट, व्यापारी और किसानों के पास लगभग 99 लाख टन का स्टॉक जमा है. एक साल की पहले की तुलना में यह स्टॉक 15 परसेंट अधिक है. सोयामील के आयात में कमी देखी गई है. पिछले साल का 25.15 लाख टन अतिरिक्त सोयाबीन (कैरी फॉरवर्ड) और 120.40 लाख टन की अधिक उपज के होने के चलते इस साल स्टॉक 145.55 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. एक साल पहले यह स्टॉक 120.72 लाख टन हुआ करता था जिसमें इस साल 20 परसेंट की तेजी है.
सोयाबीन का इस्तेमाल कई चीजों में होता है. आप सोया तेल खरीदने जाएं या सोयी फीड, सबसे सोयाबीन होता है. आजकल सोया मिल्क भी आता है जिसका बहुत प्रचलन है. जो लोग डेयरी प्रोडक्ट नहीं खाते वे सोया मिल्क और टोफू जैसे सोया पनीर का इस्तेमाल करते हैं. सोया सॉस और सोया पेस्ट भी खूब इस्तेमाल होता है. सोयाबीन की खेती पूर्वी एशिया में बहुत होती है.
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इस साल भारत में बंपर उपज होने से उम्मीद है कि सोया तेल के दाम भी गिरेंगे. कई महीनों से तेलों के दाम में उछाल है. लेकिन सोया तेल में कुछ राहत मिलता दिख रहा है. जिन सेक्टर में सोया मील और सोया फीड का उपयोग होत है, उसमें भी महंगाई कम होगा. पोल्ट्री उद्योग में सोया फीड का उपयोग होता है. सोया फीड सस्ता होने से अंंडे और चिकन के दाम गिर सकते हैं.
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