
केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव के बीच किसानों को बड़ा झटका दे दिया है. प्याज की निर्यात बंदी अभी कायम रहेगी. केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं को खुश रखने के लिए 7 दिसंबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक के लिए प्याज की निर्यात बंदी की थी. यानी एक्सपोर्ट पर बैन लगाया था. जिसे अब आगे बढ़ा दिया गया है. 'किसान तक' ने पहले ही संभावना जताई थी कि चुनाव को देखते हुए सरकार प्याज की निर्यात बंदी आगे बढ़ा सकती है और यह बात सच निकली, केंद्र सरकार ने देर रात नोटिफिकेशन जारी करके 31 मार्च से आगे भी अगले आदेश तक प्याज की निर्यात बंदी जारी रखने की बात कही है. इससे किसानों में भारी गुस्सा है.
डायरेक्टर जनरल ऑफ़ फॉरेन ट्रेड की ओर से देर रात इस बारे में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है कि अगले आदेश तक प्याज का एक्सपोर्ट बैंन जारी रहेगा. कहां किसान उम्मीद कर रहे थे कि चुनाव में उन्हें राहत मिलेगी उल्टे उन्हें इस आदेश से बड़ा झटका लगा है. क्योंकि यह आदेश अनिश्चितकाल के लिए है और इससे उनका पूरा रबी सीजन बर्बाद हो सकता है.
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महाराष्ट्र प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है इसलिए यहां के किसानों को इस आदेश से सबसे ज्यादा नुकसान होगा. महाराष्ट्र में देश की करीब 43 परसेंट प्याज पैदा होता है. इसलिए जब तक निर्यात बंदी वापस नहीं होगी तब तक यहां के किसानों को बहुत कम दाम मिलेगा. किसानों का कहना कि केंद्र सरकार लगातार प्याज किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है. वह ऐसी नीति लागू कर रही है जिससे मार्केट में दाम लागत से भी कम हो गया है.
महाराष्ट्र में साल में तीन बार प्याज की खेती होती है. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण रबी सीजन होता है. क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा किसान प्याज की खेती करते हैं और सबसे ज्यादा एरिया होता है. वजह यह है की रबी सीजन का ही प्याज स्टोर किया जाता है, जो दिवाली तक काम आता है. दाम कम करने के लिए 7 दिसंबर 2023 को जब सरकार ने एक्सपोर्ट बैन किया था तब खरीफ सीजन था. पूरा खरीफ सीजन खत्म हो गया और सरकार ने एक्सपोर्ट बैन वापस नहीं लिया. जिससे उन्हें एक से पांच-छह रुपये किलो तक के न्यूनतम दाम पर प्याज बेचना पड़ा.
कांदा उत्पादक संगठन महाराष्ट्र के अध्यक्ष भारत दिघोले के अनुसार हर किसान का इसकी वजह से तीन से चार लाख रुपये का नुकसान हुआ और अब अगर प्याज का एक्सपोर्ट बैन जारी रहेगा तो किसानों की कमर टूट जाएगी. वह दोबारा इसकी खेती का नाम नहीं लेंगे.
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