महाराष्ट्र में आगामी 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव को देखते हुए किसानों के मुद्दों पर राजनीति गरमाई हुई है. कांग्रेस ने किसानों को कपास का सही दाम नहीं मिलने की बात कहते हुए सरकार से एमएसपी पर खरीद की मांग की है. कपास का दाम एमएसपी से 500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नीचे चला गया है. इसके साथ ही कपास के आयात पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. बता दें कि भारतीय कपास संघ ने 7 फीसदी उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया है, जिसके बाद करीब 25 लाख गांठ कपास आयात की संभावना जताई गई है. जबकि, किसानों और संघ के पास पहले से ही कपास का भारी स्टॉक मौजूद है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने रविवार को केंद्र से कपास के आयात पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. उन्होंने दावा किया कि इससे किसान प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने मांग की कि कपास की खरीद 7,122 रुपये के एमएसपी पर की जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में पटोले ने कहा कि कपास उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र देश में दूसरे स्थान पर है और यहां के 40 लाख से अधिक किसान इसकी खेती करते हैं.
एजेंसी के अनुसार नाना पटोले ने पत्र में कहा कि महाराष्ट्र में पर्याप्त कपास उत्पादन के बावजूद 22 लाख गांठ कपास के आयात की खबरों ने घरेलू कपास की कीमतों में संभावित तेज गिरावट के बारे में चिंता जताई है. कांग्रेस नेता ने कहा कि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) के पास भी 11 लाख मिलियन गांठ कपास बिना बिके स्टॉक में मौजूद है. उन्होने कहा कि किसानों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए केंद्र को कपास के आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए और CCI को गारंटी मूल्य यानी एमएसपी पर कपास खरीदने का निर्देश देना चाहिए.
नाना पटोले ने कहा कि मौजूदा कपास की कीमत 6,500 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो 7,122 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि बाजार में कम कीमत के कारण किसान अपना कपास बेचने से परहेज कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कपास का स्टॉक किसानों के साथ-साथ सीसीआई के पास भी है. जब देश में पहले से ही इतना बड़ा स्टॉक है, तब कपास का आयात करने से कपास बाजार ध्वस्त हो जाएगा, जिससे किसानों पर काफी असर पड़ेगा और केवल व्यापारियों को फायदा होगा.
कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में कपास किसान पहले से ही कम कीमतों, कृषि उपकरणों पर 12 से 18 फीसदी जीएसटी और बेमौसम बारिश के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि प्रतिकूल मौसम ने इस साल 19 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है और केंद्र सरकार की ओर से घोषित मुआवजे केवल कागजों पर ही रह गए हैं. पटोले ने आगे दावा किया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के बजाय बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाती है.
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