झारखंड अब केवल खनिजों और जंगलों के लिए नहीं, बल्कि मोती की खेती के लिए भी जाना जा रहा है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर ग्रामीण किसानों को मोती की खेती सिखा रही हैं और उन्हें इस अनोखे व्यवसाय से जोड़ रही हैं. 2019-20 में झारखंड सरकार ने राज्य योजना के तहत मोती की खेती पर एक छोटा सा पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. धीरे-धीरे इसकी सफलता देखकर सरकार ने इसे बड़ा रूप देना शुरू किया.
हज़ारीबाग को देश का पहला "मोती पालन क्लस्टर" घोषित किया गया है. केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत इस क्षेत्र में ₹22 करोड़ रुपए का निवेश किया है. यह योजना झारखंड सरकार के सहयोग से चलाई जा रही है.
राज्य में कई खास प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं, जहां किसानों और युवाओं को मोती की खेती की पूरी जानकारी दी जा रही है. इन्हें सिखाया जाता है कि कैसे मीठे पानी में सीप पालकर उनमें मोती बनाए जा सकते हैं.
जो किसान पहले पारंपरिक खेती से बहुत कम कमाते थे, अब वही किसान मोती की खेती से 10 गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं. एक सीप से तैयार मोती बाज़ार में बहुत ऊंचे दामों में बिकते हैं.
इस योजना से न केवल किसान लाभ कमा रहे हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी रोजगार का एक नया रास्ता मिला है. कम लागत और थोड़ी सी ट्रेनिंग के बाद कोई भी व्यक्ति मोती की खेती शुरू कर सकता है.
मोती की खेती में खास प्रकार की सीपों को मीठे पानी में पाला जाता है. इन सीपों के अंदर एक छोटा मोती का बीज डाला जाता है. कुछ महीनों में सीप के अंदर असली मोती बन जाता है, जिसे बाजार में बेचा जाता है.
सरकार का उद्देश्य है कि झारखंड को देश का सबसे बड़ा मोती उत्पादन राज्य बनाया जाए. इससे न केवल स्थानीय लोगों की आय बढ़ेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.
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