हर‍ित क्रांत‍ि के बाद कम हो गई थी हैस‍ियत...फ‍िर भी मोटे अनाजों का 'बादशाह' है भारत 

हर‍ित क्रांत‍ि के बाद कम हो गई थी हैस‍ियत...फ‍िर भी मोटे अनाजों का 'बादशाह' है भारत 

खाद्य एवं कृष‍ि संगठन (FAO) के मुताब‍िक दुन‍िया भर में 735.55 लाख हेक्टेयर में हो रही है म‍िलेट्स की खेती. इसमें से अकेले 143 लाख हेक्टेयर एर‍िया भारत में है. म‍िलेट ईयर के जर‍िए आम लोगों में फ‍िर से लोकप्रिय होंगे मोटे अनाज, क‍िसानों को म‍िलेगा फायदा.

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हर‍ित क्रांत‍ि के बाद कम हो गई थी हैस‍ियत...फ‍िर भी मोटे अनाजों का 'बादशाह' है भारत मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक कौन है?

इस समय दुन‍िया का सबसे बड़ा मोटा अनाज उत्पादक देश भारत ही है. जहां प्राचीन काल से इन्हें उगाया और खाया जा रहा था, लेक‍िन हर‍ित क्रांत‍ि आने के बाद इनकी घोर उपेक्षा हुई. गेहूं-धान के मुकाबले इनकी हैस‍ियत कम हो गई. इसके बावजूद कुछ क‍िसानों ने इन अनाजों को उगाना और इनके गुणों को जानने वालों ने इन्हें खाना बंद नहीं क‍िया था. आज जब दुन‍िया में इन अनाजों के उत्पादन की बात हो रही है तब ऐसे लोगों की बदौलत ही भारत का नाम सबसे ऊपर द‍िखाई देता है. ऐसे में समझ सकते हैं क‍ि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने यूं ही साल 2023 को इंटरनेशनल म‍िलेट ईयर (International Year of Millets) के रूप में मनाने का न‍िर्णय नहीं ल‍िया. 

यूनाइटेड नेशन के खाद्य एवं कृष‍ि संगठन (FAO) ने 7 द‍िसंबर को इटली की राजधानी रोम में आयोजित एक कार्यक्रम के जर‍िए व‍िध‍िव‍त म‍िलेट ईयर की शुरुआत कर दी है. इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है क‍ि क्या अब दुन‍िया भर में इन अनाजों को उगाने की होड़ लगेगी या फ‍िर इसे लेकर लोगों का रवैया वही पुराना ही रहेगा. भारत सरकार की क्रॉप डायवर्सिफिकेशन कमेटी के सदस्य ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि म‍िलेट ईयर के जर‍िए मोटे अनाजों को खाने वाले और उगाने वाले दोनों बढ़ेंगे. इसका एर‍िया काफी बढ़ जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह रहे हैं क‍ि "भारत मोटे अनाजों की खेती और सेवन दोनों को बढ़ावा देगा."    

बढ़ सकती है सरकारी खरीद 

संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य एवं कृष‍ि संगठन के मुताब‍िक दुन‍िया भर में 735.55 लाख हेक्टेयर में म‍िलेट्स की खेती हो रही है.  इसमें से अकेले 143 लाख हेक्टेयर का एर‍िया भारत में है. ड‍िपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्ल‍िक ड‍िस्ट्रीब्यूशन के आंकड़ों के मुताब‍िक 2016-17 में तो मोटे अनाजों की सरकारी खरीद स‍िर्फ 72,254 टन ही हुई थी. अब यह बढ़कर 13 लाख टन पहुंच चुकी है. तो इसे लेकर अब सरकार की भी धारणा बदल रही है. आनंद का कहना है क‍ि म‍िलेट ईयर के जर‍िए आम जनमानस में मोटे अनाज फ‍िर से लोकप्रिय होंगे. इससे क‍िसानों और खाने वालों दोनों को फायदा होगा. क्योंक‍ि ये अनाज कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं.

मोटे अनाजों के प्रमुख उत्पादक देश.

वर्षा आधारित क्षेत्रों में ज्यादा खेती

विश्व स्तर पर, भारत मिलेट्स के तहत क्षेत्र कवरेज में पहले स्थान पर है, इसके बाद नाइजर और सूडान का स्थान है. इसी तरह, भारत दुनिया में मिलेट्स उत्पादन में पहले स्थान पर है, उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, नाइजीरिया का स्थान है. ये एशिया और अफ्रीका के अर्ध-शुष्क कटिबंधों (विशेष रूप से भारत, माली, नाइजीरिया और नाइजर) की फसलें हैं. इन फसलों की खेती विभिन्न प्रकार की कृषि स्थितियों जैसे मैदानों, तटीय क्षेत्र और पहाड़ियों के साथ-साथ विभ‍िन्न तरह की म‍िट्ट‍ियों और अलग-अलग वर्षा क्षेत्रों में की जाती है. लगभग 78 फीसदी मिलेट क्षेत्र वर्षा आधारित खेती के अंतर्गत आता है. वैश्‍विक स्तर पर, भारत में मोटे अनाजों का क्षेत्र 19.43 और उत्पादन 18 होता है. 

भारत और मोटे अनाज 

भारत में मोटे अनाज 133 से 143 लाख हेक्टेयर में उगाए जाते हैं. जिसमें 162 लाख टन तक का उत्पादन होता है और उपज 1225 किलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर तक होती है. राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में 80 फीसदी से अधिक मिलेट का उत्पादन होता है. केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के मुताब‍िक अधिक उपज देने वाली फसलों (लाभकारी फसलों) के लिए क्षेत्र को बदलने के कारण मोटे अनाजों का क्षेत्र कम हो गया है, लेकिन उत्पादकता वर्ष 1950-51 की तुलना में 3 गुना से अधिक बढ़ गई है. 

भारत में मोटे अनाजों का उत्पादन (Source: Ministry of Agriculture).

प्रमुख मोटे अनाजों का उत्पादन 

  • देश में ज्वार का कुल औसत एर‍िया 44.25 लाख हेक्टेयर है, जिसमें उत्पादन 44.17 लाख टन और उत्पादकता 998 किलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर है. इसके औसत उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, उसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं. औसत उपज के मामले में, सबसे अधिक उत्पादकता आंध्र प्रदेश में है, उसके बाद मध्य प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश का स्‍थान है. 
  • देश में बाजरा का कुल औसत उत्पादन 72.96 लाख हेक्टेयर है, जिसमें 97.44 लाख टन उत्पादन और उत्पादकता 1335 किलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर है. राजस्थान सबसे अधिक औसत उत्पादन दे रहा है, जिसके बाद उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश का स्थान है.
  • रागी के तहत, कर्नाटक फसल के औसत क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों के मामले में पहले स्थान पर है और तमिलनाडु प्रमुख उत्पादक राज्यों के बीच उच्चतम औसत उत्पादकता का योगदान दे रहा है. देश में रागी का कुल औसत क्षेत्रफल लगभग 10.92 लाख हेक्टेयर है, जिसमें उत्पादन 17.35 लाख टन और उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 1589 किलोग्राम है. 

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