मोटे अनाजों से जलवायु पर‍िवर्तन के सकंट से न‍िपटेगा भारत, इंटरनेशनल ईयर ऑफ म‍िलेट बनेगा हथ‍ियार!

मोटे अनाजों से जलवायु पर‍िवर्तन के सकंट से न‍िपटेगा भारत, इंटरनेशनल ईयर ऑफ म‍िलेट बनेगा हथ‍ियार!

फींगर मिलेट, सोरगम और पर्ल मिलेट प्रमुख मिलेट हैं. प्रमुख मिलेट को फसल कटने के बाद कम से कम प्रसंस्करण की जरूरत होती है और थ्रेशिंग के बाद सीधे उपयोग किया जा सकता है. छोटे मिलेट फॉक्सटेल, कोदो, बार्नयार्ड, प्रोसो, ब्राउन टॉप और लिटिल मिलेट भूसी वाले अनाज हैं. ये बीज के छिलके के साथ आते हैं जिसे फ़सल के बाद प्रसंस्करण के एक भाग के रूप में खपत से पहले अलग किया जाता है.

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मोटे अनाजों से जलवायु पर‍िवर्तन के सकंट से न‍िपटेगा भारत, इंटरनेशनल ईयर ऑफ म‍िलेट बनेगा हथ‍ियार!इंटरनेशल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 का आगाज

दु‍न‍ियाभर के देश मौजूदा समय में जलवायु पर‍िवर्तन के संकट से गुजर रहे हैं. इस वजह से बैमौसम बार‍िश और सूखे जैसे हालात आम हो गए हैं. नतीजतन फसलों पर व‍िपर‍ीत असर पड़ा है. वहीं वैज्ञान‍िक इस दशक को जलवायु पर‍िवर्तन के ल‍िहाज से सबसे संवेदनशील बता रहे हैं. साथ ही इस संकट से न‍िपटने की बातें भी होने लगी हैं. इसी कड़ी में भारत दुन‍िया को रास्ता द‍िखाते हुए नजर आ रहा है. ज‍िसमें भारत ने मोटे अनाजों से जलवायु पर‍िवर्तन के संकट से न‍िपटने की रूपरेखा तैयार की है. भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट (international year of millet) के तौर पर मनाने का फैसला ल‍िया है. इसका आगाज मंगलवार को इटली की राजधानी रोम में भारत सरकार की तरफ से क‍िया गया है. इस मौके पर भारत का एक प्रतिनिधिमंडल रोम गया हुआ है. इसकी अध्यक्षता केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे कर रही हैं.

दुन‍िया के सामने भारत की बात 

ओपनिंग सेरेमनी में करंदलाजे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन पूरी दुनिया के सामने रखा. संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है. इसके बाद भारत अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 महोत्‍सव की अगुवाई कर रहा है. इसी के साथ खाद्यान्‍न 'मिलेट' विश्‍व में चर्चा का विषय बन गया है. ओपनिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी संबोधन में शोभा करंदलाजे ने कहा, International Year of Millets 2023 वैश्विक उत्पादन बढ़ाने, कुशल प्रसंस्करण और खपत सुनिश्चित करने और और भोजन में प्रमुख घटक के रूप में मिलेट को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है. विश्‍व में मानव जाति के कल्‍याण के लिए समग्र मिलेट मूल्य-श्रृंखला द्वारा सहकारी दृष्टिकोण के माध्यम से millets के महत्‍व को प्रदर्शित किया जाना चाहिए. डीएएंडएफडब्ल्यू इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 को 'जन आंदोलन' बनाकर इसकी व्‍यापक सफलता के लिए मंत्रालयों और राज्यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के साथ सहयोग कर रहा है.

अकाल फसल हैं मिलेट्स 

मिलेट को अकाल फसल माना जाता है क्योंकि वे एकमात्र ऐसी फसल हैं जो अकाल की स्थिति में उपज सुनिश्चित करती हैं. मिलेट दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रोजी-रोटी चलाने, खाने और पोषण सुरक्षा में इसके योगदान के कारण महत्वपूर्ण हैं. मिलेट हमारे भोजन की टोकरी में विविधता लाता है. मिलेट को 'स्मार्ट फूड' माना जाता है क्योंकि इसकी खेती करना आसान होता है, यह ज्यादातर जैविक होता है और इसमें उच्च पोषण होता है. फिंगर मिलेट को आमतौर पर 'रागी' कहा जाता है और यह ग्रामीण दक्षिण भारत का मुख्य भोजन है. कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार प्रमुख रागी उत्पादक राज्य हैं.

भारत में म‍िलेट्स को बढ़ावा

संबोधन में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा, भारत सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मिलेट किसानों (millet farmers) को क्लस्टर प्रदर्शनों के लिए 6000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता प्रदान की जा रही है. NFSM तहत आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018-19 से 2020-21 के बीच 
स्मॉल फार्मर्स एग्री बिजनेस कंसोर्सियम यानी कि sfacindia द्वारा पोषक अनाज Millets पर 50 किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया गया है. 

वर्ष 2019 से 2020 तक, मिलेट के उत्पादन में वृद्धि के लिए विभिन्न पहल करने के लिए आईसीएआर को कुल 958.65 लाख रुपये जारी किए गए हैं. स्टार्टअप का भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय उपयोग बढ़ाने के लिए सप्लाई चेन और बाजार के विकास के लिए एसएचजी और एफपीओ की भूमिका को डीएएंडएफडब्ल्यू द्वारा प्राथमिकता दी गई है ताकि इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 से पहले millets को बढ़ावा दिया जा सके. मिलेट पोएसी परिवार में छोटे बीज वाली घास की प्रजातियां हैं, जो आमतौर पर दुनिया भर में अनाज के रूप में उगाई जाती हैं.

मिलेट की खासियतें

फींगर मिलेट, सोरगम और पर्ल मिलेट प्रमुख मिलेट हैं. प्रमुख मिलेट को फसल कटने के बाद कम से कम प्रसंस्करण की जरूरत होती है और थ्रेशिंग के बाद सीधे उपयोग किया जा सकता है. छोटे मिलेट फॉक्सटेल, कोदो, बार्नयार्ड, प्रोसो, ब्राउन टॉप और लिटिल मिलेट भूसी वाले अनाज हैं. ये अपचनीय बीज के छिलके के साथ आते हैं जिसे फ़सल के बाद प्रसंस्करण के एक भाग के रूप में खपत से पहले अलग किया जाता है. सबसे अधिक मिलेट की उपज रबी मौसम (अक्टूबर-मार्च) और गर्मी के मौसम (जनवरी-अप्रैल) में की जा सकती है. चावल और गेहूं की तुलना में इसमें बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए इसे सूखा से बच जाने वाला फसल माना जाता है.

भारत में बंपर पैदावार

जैसा कि प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी संबोधन में कहा गया, भारत मिलेट का एक प्रमुख उपभोक्ता है और इसकी घरेलू उपज की खपत का लगभग 38% हिस्सा है. वर्षा आधारित कृषि की स्थिति, किसानों के स्वदेशी ज्ञान के साथ न्यूनतम इनपुट की आवश्यकता मिलेट को भारत में एक प्रासंगिक कृषि का विषय बनाती है. उत्पादन और क्षेत्रफल के मामले में चावल, गेहूं, मक्का और जौ के बाद ज्वार विश्व की 5वीं प्रमुख अनाज की फसल है. ज्वार का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह लगभग 100 देशों में उगाया जाता है. मिलेट में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है जो ग्लूकोज के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मिलेट छोटे किसानों के लिए सबसे सुरक्षित फसलें हैं क्योंकि वे कठोर, गर्म और सूखे के वातावरण में सबसे कठोर, लचीली और जलवायु के अनुकूल फसलें हैं.

ग्लूटेन फ्री हैं मोटे अनाज

मिलेट उपलब्ध पोषक तत्वों का उपयोग करने में कुशल है और बेहतर कृषि स्थितियों और इनपुट के अतिरिक्त उपयोग के लिए भी अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं और उपज में वृद्धि करते हैं. मिलेट जलयुक्त फसल है क्योंकि वे अक्सर शुष्क क्षेत्रों में बढ़ने की क्षमता वाली एकमात्र फसल होती है, जिसके लिए केवल 300-400 मिमी पानी की आवश्यकता होती है. मिलेट कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने और उपयोग करने में उच्च क्षमता रखता है, जिसे C4 फसलों के रूप में जाना जाता है. "ग्लूटेन मुक्त" खाद्य पदार्थ हाल के दिनों में चलन में रहे हैं और बाद में मिलेट दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसकी सबसे अधिक "ग्लूटेन मुक्त" होने की क्वालिटी है.

 

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