पंजाब में धान की खेती से हटने और पानी की बचत के लिए सरकार कई तरह के प्रयास कर रही है. इसी में फसल विविधीकरण भी है जिसमें धान से इतर अलग फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसे देखते हुए पंजाब सरकार मक्के की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इसी दिशा में पंजाब में 6 जिलों में मक्के की खेती के लिए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई है. किसानों को मक्के की खेती से जुड़ने के लिए पंजाब सरकार 17500 रुपये प्रति एकड़ की वित्तीय मदद दे रही है. यह जानकारी खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दी. आइए जानते हैं उन्होंने किसानों और कृषि के लिए क्या जानकारी दी.
पंजाब के मुख्य मंत्री भगवंत सिंह मान ने नीति आयोग की टीम के सामने राज्य का पक्ष जोरदार ढंग से रखा और समर्थन की मांग की, ताकि एक ओर पंजाब का समग्र विकास सुनिश्चित हो. नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद और प्रोग्राम डायरेक्टर संजीत सिंह के नेतृत्व वाली टीम के साथ विचार-विमर्श के दौरान मुख्य मंत्री ने कहा कि पंजाब के व्यापार और औद्योगिक क्षेत्र में फिर से जान फूंकने के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर पंजाब के सीमावर्ती जिलों को भी सहारा देने की जरूरत है. सीमावर्ती जिलों के लिए विशेष रियायती पैकेज की मांग करते हुए, उन्होंने प्रत्येक सीमावर्ती जिले में एग्रो फूड प्रोसेसिंग जोन स्थापित करने की वकालत की, जिसमें विशेष ध्यान बासमती चावल उद्योग और लीची जैसे बागवानी उत्पादों पर दिया.
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कांटेदार तारों के बीच की जमीन के मालिकों के लिए मुआवजे में बढ़ोतरी की मांग करते हुए कहा कि किसानों की 17,000 एकड़ से अधिक जमीन कांटेदार तारों के पार है. भगवंत सिंह मान ने कहा कि वर्तमान में किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 10,000 रुपये मुआवजा दिया जाता है, जिसे बढ़ाकर 30,000 रुपये किया जाए. उन्होंने आगे कहा कि यह मुआवजा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से देने के बजाय पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा दिया जाए, क्योंकि ये मेहनती किसान देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
कृषि क्षेत्र के बारे में बात करते हुए, उन्होंने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में राज्य के मेहनती किसानों की अग्रणी भूमिका को याद किया. भगवंत मान ने बताया कि पंजाब देश का लगभग 12 प्रतिशत और विश्व का लगभग दो प्रतिशत चावल पैदा करता है. उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में फसल विविधता को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
मुख्यमंत्री ने फसल विविधता और कम पानी वाली धान की किस्मों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग की मांग की. उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन 2025 के दौरान पंजाब सरकार ने राज्य में खरीफ मक्का को बढ़ावा देने के लिए छह जिलों में पायलट परियोजना शुरू की है, इसके लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को ऐसी पहल का समर्थन करके 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर का नकद भुगतान करने के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि राज्य के सभी मक्का उत्पादक मौजूदा फसल विविधता कार्यक्रम से जुड़ सकें.
इसी तरह, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के दक्षिण-पश्चिमी जिलों में कपास खरीफ की मुख्य फसल है और इसकी अधिकांश खेती बठिंडा, मानसा, फाजिल्का और श्री मुक्तसर साहिब जिलों में होती है. उन्होंने कपास की खेती के तहत अधिक रकबा लाने, धान की प्रत्यक्ष बुवाई तकनीक को बढ़ावा देने और गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए सहयोग मांगा. उन्होंने कहा कि गुलाबी सुंडी एक बड़े खतरे के रूप में सामने आई है और इसकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का खर्च बढ़ा है.
उन्होंने कहा कि जब तक इसकी रोकथाम करने वाले नए बीज सामने नहीं आते, तब तक पी.बी.डब्ल्यू. के प्रबंधन के लिए इस सुंडी की प्रजनन क्रिया को रोकने वाली तकनीक के लिए सहयोग दिया जाए. भगवंत सिंह मान ने यह भी कहा कि 20 और AI आधारित पी.बी.डब्ल्यू. फेरोमोन ट्रैप भी दिए जाएं, जो इस सुंडी के हमले के बारे में अग्रिम चेतावनी देते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में कपास पर गुलाबी सुंडी के हमले के बारे में अग्रिम जानकारी दी जाए, जैसा कि पहले सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च, नागपुर द्वारा किया जाता रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मजदूरी की लागत कपास की खेती में होने वाले प्रमुख खर्चों में से एक है क्योंकि यह उत्पादन की कुल लागत का लगभग 14 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए उत्तरी क्षेत्र पंजाब में कपास की खेती में मशीनीकरण के दायरे का मूल्यांकन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को किसानों को रियायती दरों पर कपास के बीज उपलब्ध कराकर सहायता दी जानी चाहिए. भगवंत सिंह मान ने कहा कि कपास से धान के तहत रकबे में वृद्धि का मुख्य कारण कपास में कम मुनाफा है, जबकि कपास की फसल पानी बचाने वाली फसल है और भूजल के गिरते स्तर को बचाने के लिए धान के तहत रकबे को कपास के तहत लाया जा सकता है.
मुख्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए किसानों को मुनाफे का अवसर देकर रकबे के आधार पर कपास की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए, उन्होंने दोहराया कि पंजाब के पास किसी भी अन्य राज्य के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में पानी की गंभीर स्थिति को देखते हुए सतलुज यमुना लिंक (एसवायएल) नहर के बजाय यमुना-सतलुज-लिंक (वायएसएल) नहर के निर्माण पर विचार किया जाना चाहिए. भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियां पहले ही कम पानी के साथ बह रही हैं, जिसके कारण पानी को अतिरिक्त पानी वाले स्रोतों से कम पानी वाले स्रोतों की ओर मोड़ा जाना चाहिए.
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