केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने गुरुवार को इंदौर (मध्य प्रदेश) में भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों, किसानों, कृषि विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के विशेषज्ञों, प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों, केंद्रीय कृषि सचिव, आईसीएआर के डीजी सहित केंद्र के आला अफसरों, सोया उद्योग प्रतिनिधियों के साथ सोयाबीन की बेहतर फसल के लिए व्यापक मंथन किया.
सोयाबीन हितग्राहियों से संवाद में शिवराज सिंह ने कहा कि बहुत उपयोगी चर्चा हुई है. ये कर्मकांड नहीं, बल्कि किसानों के कल्याण की ईमानदार कोशिश है. ब्राजील, यूएसए में 10-15 हजार हेक्टेयर के फार्म होते हैं, हमारे यहां अधिकांश किसानों के पास एक, दो, पांच एकड़ के खेत हैं, इसलिए यहां खेती कठिन है. खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, किसान उसकी आत्मा है. मैं जबसे कृषि मंत्री बना हूं, तबसे मुझे खेती-किसानी के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता. दिल्ली में आईसीएआर के कैंपस में हम दिनभर बैठकर बेहतर करने की कोशिश करते रहते हैं, इसी में से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से विचार आया. जब नई बीज किस्में रिलीज करने की बात मैंने प्रधानमंत्री जी से कही, तो उन्होंने कहा था कि हम कार्यक्रम खेत में करेंगे, ताकि किसानों के बीच बात जाएं.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि खेती की जवाबदारी जिन पर है, वो अलग-अलग दिशा में काम कर रहे थे. हमारे पास 16 हजार वैज्ञानिक हैं, हमारे पास टैलेंट, क्षमता और बुद्धि है, लेकिन वो लैब में बैठे हैं. रिसर्च का फायदा तो हुआ, लेकिन किसान खेत में बैठा है. वो खेत में खेती कर रहा है, लैब और लैंड मिलते नहीं थे. ऐसे में मेरे मन में आया कि लैब से लैंड को जोड़ दिया जाए. खेती की एक टीम बने, सबसे पहले किसान, कृषि वैज्ञानिक, राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी, इसके साथ स्टैकहोल्डर्स, ये मिलकर काम करेंगे तो अच्छे परिणाम आएंगे. इसीलिए विकसित कृषि संकल्प अभियान प्रारंभ हुआ, जिसमें 2170 टीमें गांव-गांव गईं, किसानों से संवाद किया. वहां कोई रैली या सभा नहीं थी, इसमें से कई चीजें निकलकर सामने आईं. 300 से ज्यादा इनोवेशन तो किसानों ने कर दिए, वैज्ञानिक उनसे सीखकर आएं. जैसे लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए उस पर ग्लूकोज का घोल चढ़ा दिया, ऐसी कई चीजें वैज्ञानिकों ने सीखीं.
शिवराज सिंह ने कहा कि जिस चीज की जरूरत है, उस चीज की रिसर्च हो, अब रिसर्च किसान भाइयों के खेत से तय होगी, न कि दिल्ली से. इस बीच उन्नत बीज की समस्या सामने आई, बीज की पहचान कैसे करें. प्राइवेट कंपनी से लिया, बोया, खराब निकला. अब कार्रवाई भी हो जाए तो क्या मतलब. इसलिए, रिसर्च अब किसानों की समस्या देखकर होगी. जो समस्या आई है, उनका समाधान वैज्ञानिक सुझाएंगे. अधिकारी उन समाधान को किसानों के बीच ले जाएंगे. वन नेशन-वन एग्रीकल्चर-वन टीम के मंत्र के साथ हम आगे चलेंगे. उन्होंने कहा कि आज ऐसे बीज की वैरायटी की बात आई है, जो सूखे में भी टिक जाए और ज्यादा पानी आ जाए तो भी टिक जाए. येलो मोजैक फसल दो दिन में तबाह कर देता है. जीनोम एडिटिंग पद्धति का अब हम इस्तेमाल करेंगे.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एक बात आई है अमानक स्तर की पेस्टिसाइड और खाद की, जिस पर उन्होंने आश्वस्त किया कि अमानक स्तर के बीज और पेस्टिसाइड बनाने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा. किसान पहचान कर लें, इसके लिए उपकरण भी तैयार करना होगा. शिवराज सिंह ने कहा कि हमें सोयाबीन की ईल्ड बढ़ाना है. जैसी योजना चल रही है, वो चले लेकिन किसान को लाभ देने के लिए हम योजना बदलेंगे. उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रोटीन सोयाबीन में है, तेल का कंटेंट सिर्फ 18% है, इसका हम उपयोग नहीं कर पाते हैं. सोयाबीन के अलग-अलग उत्पाद कैसे बनें, इस पर हम काम करेंगे, इससे मूल्य भी बढ़ेगा. शिवराज सिंह ने कहा कि किसान के हितों से कोई समझौता भारत सरकार नहीं करेगी, हमारे किसानों के हित हमारे लिए सर्वोपरि है.
शिवराज सिंह ने कहा कि 1 लाख 33 हजार करोड़ रुपये का तेल हम इंपोर्ट कर रहे हैं और हमारे यहां सोयाबीन का एरिया कुछ लोग बदलने की सोच रहे हैं. हम नीति ऐसी बनाएंगे कि उत्पादन भी बढ़े और ठीक दाम भी मिले, खरीदी के तरीके भी ऐसे होंगे, जिससे किसानों से ठीक से खरीद पाएं. उन्होंने कहा कि किसानों की सेवा भगवान की पूजा है. मोदी जी का विजन हमारे लिए वरदान है. आज जितने मुद्दे आए हैं, उन पर हम काम करेंगे. हम दुनिया की पद्धतियों का अध्ययन भी करेंगे. सोयाबीन किसानों का भला हो, उसमें हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम रोडमैप बनाएंगे और टारगेट सेट करके काम करेंगे. कृषि की दशा और किसानों की स्थिति सुधारने के लिए जल्द ही रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा.
शिवराज सिंह ने कहा कि हमने तय किया है कि केवीके के वैज्ञानिक सप्ताह में 3 दिन किसानों के साथ होंगे, मैं हफ्ते में 2 दिन किसानों के बीच ही रहूंगा, उसके बिना आप चीजें नहीं समझ सकते. मैं भी खेत में, आप भी खेत में, वैज्ञानिक भी खेत में और अब इंडस्ट्री वाले भी खेत में आ जाएं. इस बार हम फसल पर नजर रखेंगे. बीमारियों पर हम नजर रखें. इसी साल हमारा सीड का प्लान बन जाना चाहिए. हमने सोयाबीन से शुरुआत की है, अगला लक्ष्य है कपास, इसके बाद गन्ना और दलहन.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में कम समय और कम मेहनत से बीज उपचार के लिए विकसित अत्याधुनिक मशीन देखी, ट्रैक्टर से सोयाबीन की बुआई की और प्रक्षेत्र संसाधन परिसर का शिलान्यास किया और संस्थान के निदेशक डा. कुंवर हरेंद्र सिंह सहित वैज्ञानिकों से नवाचारों की जानकारी ली. यहां महाराष्ट्र के कृषि मंत्री मानिकराव कोकाटे, सांसद शंकर लालवानी, इंदौर के विधायकगण मौजूद थे.
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