Groundnut Farming: खरीफ में खेती के लिए जबरदस्त हैं ये 5 किस्में, तुरंत कर लें बुवाई

Groundnut Farming: खरीफ में खेती के लिए जबरदस्त हैं ये 5 किस्में, तुरंत कर लें बुवाई

Groundnut Variety: खरीफ सीजन में किसान अपने खेतों में मूंगफली की खेती की तैयारी में लग जाते हैं. लेकिन कई बार किसानों को खेती से पहले ये परेशानी होती है कि आखिर वो कौन सी किस्म की खेती करें जिससे अधिक उत्पादन हो. ऐसे में आज हम आपको मूंगफली की पांच उन्नत किस्मों के बारे में बताएंगे. 

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खरीफ में खेती के लिए जबरदस्त हैं ये 5 किस्में, तुरंत कर लें बुवाईमूंगफली की खेती: Groundnut Farming

भारत में मूंगफली की खेती प्रमुख तिलहन फसल के तौर पर की जाती है. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. लेकिन मूंगफली की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी होता है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. बता दें कि मूंगफली की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. ऐसे में अगर आप मूंगफली की खेती करना चाहते हैं तो ये पांच किस्में बेस्ट हैं. इन किस्मों की खेती कर आप बंपर उपज ले सकते हैं. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो किस्में और क्या हैं उनकी खासियत.

मूंगफली की पांच उन्नत किस्में 

कोणार्क स्पेनिश: मूंगफली की इस किस्म को वर्षा आधारित और सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस किस्म में तेल की मात्रा 49 फीसदी होती है. साथ ही इसमें प्रोटीन की मात्रा 29 फीसदी है. ये कीट पर्ण रोगों, मृदा जनित रोगों के लिए प्रतिरोधी है. इसमें प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 24 क्विंटल तक पाया जाता है. वहीं, ये किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है. साथ ही ये किस्म ओडिशा और पश्चिम बंगाल में खेती के लिए बेहतर है.

अंबर: यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्मों में से एक है. इसकी फलियों में 72 प्रतिशत तक दाने पाए जाते हैं. वहीं, इस किस्म से प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल तक उपज ली जा सकती है. साथ ही बुवाई के करीब 115 से 120 दिन बाद फसल की खुदाई की जा सकती है.

गंगापुरी: मूंगफली की इस किस्म को कम समय में अधिक उत्पादन देने के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 95 से 100 दिन के आसपास तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं. वहीं, किसानों को इस किस्म से प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 से 22 क्विंटल तक मिलता है. इसके दानों में तेल की मात्रा 50 प्रतिशत तक पाई जाती है.

ज्योति: खरीफ सीजन में खेती के लिए ये किस्म बेस्ट है. मूंगफली की इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधे पर गांठें गुच्छे के रूप में पाई जाती हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 110 से 115 दिन बाद पककर तैयार हो जाते हैं और प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल से ज्यादा होता है.

एम ए-10: मूंगफली की इस किस्म को उत्तर प्रदेश में चित्रा के नाम से भी जाना जाता है. इसको मध्यम समय में अधिक पैदावार देने के लिए जाना जाता है. ये किस्म रोपाई से लगभग 125 से 130 दिन बाद तैयार हो जाता है. इनका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच पाया जाता है. इसके दानों में तेल की मात्रा 48 प्रतिशत के आसपास पाई जाती है.

ऐसे करें मूंगफली की खेती

मूंगफली की खेती करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और मिट्टी का कटाव कम होता है. ऐसे में मूंगफली की खेती के लिए, सही मिट्टी का चयन करना चाहिए. मूंगफली की खेती के लिए, हल्की पीली दोमट मिट्टी अच्छी होती है. साथ ही खेती के लिए, जल निकासी वाली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए. मूंगफली की खेती के लिए, खेत की तैयारी के समय, गोबर की सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए. फिर तैयार किए गए खेत में बीज की बुवाई करना चाहिए.

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