आंध्र प्रदेश में आम के किसानों के लिए बड़ी मुसीबत की स्थिति है. इस स्थिति में अब वो अपनी उपज को हाइवे के किनारे फेंकने के लिए मजबूर हो गए हैं. आंध्र प्रदेश के हाइवे से आने वाले वीडियोज में साफ नजर आ रहा है कि कैसे सड़क के किनारे टनों आम पड़े हुए हैं. राज्य में इस साल आम के किसानों की हालत खराब है और वो लगातार सरकारों से मदद की गुहार लगा रहे हैं. किसान इस साल अपनी उपज से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी नहीं निकाल पा रहे हैं. जिन किसानों ने साल भर कड़ी मेहनत और पसीने से फसल उगाई, उनके लिए उस इस हालत में देखना काफी कष्टकारी है.
आंध्र प्रदेश के चित्तूर से आया एक वीडियो दिल दुखाने वाला है. यहां पर एक आम किसान को जब अपनी उपज की सही कीमत नहीं मिली तो उसने अपने आमों को सड़क पर फेंक दिया. वह सिर्फ 2.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर आम को बेचने का नुकसान सहन न कर पा रहा था. आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से तोतापुरी आम किसानों के 4 रुपये प्रति किलोग्राम के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का ऐलान किया गया है. लेकिन इसके बावजूद चित्तूर जिले की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है.अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिक्रिया की कमी के चलते कई फ्रूट-पल्प यूनिट्स अभी भी बंद हैं. वहीं जिन लोगों ने फल विक्रेताओं के लिए अपने दरवाजे खोले गए हैं, वो भी जरूरत से ज्यादा स्टॉक स्वीकार करने के परिणामों के बारे में चिंतित हैं. उन्हें डर है कि कहीं वो अपनी क्षमता से अधिक न खरीद लें.
साल 2022 में जिले के विभाजन के कारण तिरुपति में फलों की प्रोसेसिंग यूनिट कम रह गई हैं. इनमें से एक बड़ा हिस्सा चित्तूर जिले में चला गया है. नतीजतन, तिरुपति के आम उत्पादक पड़ोसी जिले गंगाधर नेल्लोर और पुथलापट्टू की ओर भी जा रहे हैं. इस बीच, कई किसानों ने सरकार की सलाह के विपरीत, जल्दबाजी में फसल काटने का फैसला किया और लाभकारी मूल्य की कमी के कारण अपनी फसल को फलों के गूदे की इकाइयों के आसपास या मंडियों के पास फेंक दिया.
तिरुपति के सांसद मदिला गुरुमूर्ति ने केंद्र सरकार से आंध्र प्रदेश के आम किसानों के लिए मदद मांगी है. उन्होंने खासतौर पर चित्तूर और तिरुपति जिलों में आम की कीमतों में गिरावट और बाजार समर्थन की कमी के कारण संकट का सामना कर रहे किसानों की मदद करने की अपील की है. गुरुमूर्ति ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक मेमोरेंडम सौंपा है और इसमें उन्होंने कहा है कि आंध्र प्रदेश में आम की खेती का सबसे बड़ा क्षेत्र है जो 12.35 लाख एकड़ में फैला हुआ है. यह भारत के कुल उत्पादन का 16.5 प्रतिशत है. उत्पादकता और बाजार पहुंच से संबंधित मुद्दों के कारण यह उत्पादन में दूसरे स्थान पर है.
उन्होंने कहा कि तोतापुरी किस्म उगाने वाले किसानों को अपनी उपज सिर्फ 1 से 4 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. यह 12 रुपये प्रति किलोग्राम के एमएसपी से काफी कम है. इससे कई लोगों के लिए कटाई करना अव्यवहारिक हो गया है. ऐसे में फसलें नहीं कट पा रही हैं और काफी नुकसान हो रहा है. गुरुमूर्ति ने इस क्षेत्र में 52 में से 28 आम प्रोसेसिंग यूनिट्स के बंद होने का जिक्र भी किया है. उनका कहना है कि इससे कई नौकरियां चली गईं और आम की सप्लाई चेन में भी काफी रुकावट आई है.
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