धान की सरकारी खरीद को लेकर देश के कई राज्यों में अब तक तेजी नहीं दिखी है. देश में केंद्र द्वारा रखे गए कुल खरीद लक्ष्य का सिर्फ 24 फीसदी काम ही 9 नवंबर तक पूरा हो सका है. केंद्र ने इस साल सेंट्रल पूल के लिए 724.02 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का टारगेट सेट किया है, जिसमें से अब तक महज 175 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो पाई है. दिलचस्प बात यह है कि केंद्र द्वारा दिए गए लक्ष्य की सबसे ज्यादा खरीद हरियाणा ने की है. सूबे ने अपने लक्ष्य की 84 फीसदी खरीद पूरी कर ली है, जो देश में सबसे ज्यादा है. कोई भी राज्य इस आंकड़े के आसपास भी नहीं है. यानी इस साल अब तक एमएसपी पर धान खरीदने के मामले में सबसे ज्यादा रफ्तार हरियाणा की है, जहां पर विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नायब सिंह सैनी ने किसानों को एक-एक दाने की खरीद का भरोसा दिलाया था.
दूसरी ओर, हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब ने अब तक केंद्र द्वारा दिए गए लक्ष्य का सिर्फ 63 फीसदी धान ही खरीदा है. पंजाब में धान खरीद की सुस्त रफ्तार को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान संगठन भगवंत मान सरकार के खिलाफ इस मुद्दे पर मोर्चा खोले हुए हैं. बहरहाल, सवाल ये है कि आखिर हरियाणा ने धान खरीद को लेकर ऐसा कौन सा काम किया कि वो केंद्र द्वारा देश भर के राज्यों को दिए गए टारगेट को हासिल करने में सबसे आगे खड़ा दिख रहा है? मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने एक बयान में धान खरीद में तेजी की वजह बताई है.
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सैनी ने कहा कि राज्य में तय समय 1 अक्टूबर से पहले ही धान की खरीद शुरू कर दी गई थी. जहां अधिकांश सूबों में 1 अक्टूबर से धान खरीद की प्रक्रिया शुरू की गई, वहीं हरियाणा ने केंद्र से अनुमति लेकर यह काम 27 सितंबर से ही शुरू कर दिया था. कुछ मंडियों में धान की जल्दी आवक होने लगी थी, इसलिए सरकार ने खरीद के पुराने कैलेंडर का इंतजार नहीं किया.
सैनी ने कहा कि हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड ने किसानों को मोबाइल ऐप से डिजिटल गेट पास बनाया. जिससे किसानों को मंडी में धान लेकर एंट्री करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा. फसल खरीद के बाद 72 घंटे के अंदर-अंदर किसानों के खातों में पैसा पहुंचाने का न सिर्फ फैसला लिया गया बल्कि उस पर अमल किया गया.
खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान धान के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर 4,84,927 किसान रजिस्टर्ड हैं. इस बार धान खरीद के लिए 60 लाख मीट्रिक टन की खरीद का लक्ष्य मिला था, जिसमें से 50,46,873 मीट्रिक टन की खरीद पूरी हो गई है. जिसकी एवज में किसानों को 11,296 करोड़ रुपये से अधिक की रकम मिल चुकी है.
सैनी ने कहा कि हरियाणा सरकार की नीति की वजह से पड़ोसी राज्यों के किसान भी राज्य में फसल बेचने के इच्छुक हैं. राज्य सरकार ने धान के आढ़तिया कमीशन को 46 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 55 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. इस अतिरिक्त 9 रुपये प्रति क्विंटल के भार को राज्य सरकार खुद वहन कर रही है. ताकि खरीद प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़े. कस्टम मिल्ड राइस (सीएमआर) डिलीवरी के लिए सभी राईस मिलर्स को 31 अगस्त, 2024 तक 62.58 करोड़ रुपये बोनस दिया है.
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