गेहूं खरीद के लक्ष्य से काफी दूर है सरकार, महंगाई कम करने के ल‍िए म‍िलर्स को कैसे म‍िलेगा सस्ता गेहूं?

गेहूं खरीद के लक्ष्य से काफी दूर है सरकार, महंगाई कम करने के ल‍िए म‍िलर्स को कैसे म‍िलेगा सस्ता गेहूं?

Wheat Procurement: देश में गेहूं की सरकारी खरीद प्रक्रिया वैसे तो 30 जून को खत्म होती है. लेक‍िन, अब अध‍िकांश सूबों की मंड‍ियों में आवक बंद हो गई है. क‍िसान सरकार की बजाय व्यापार‍ियों को गेहूं बेचना पसंद कर रहे हैं, क्योंक‍ि ओपन मार्केट में दाम अच्छा म‍िल रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है क‍ि केंद्र सरकार महंगाई कम करने के ल‍िए ओपन मार्केट सेल स्कीम लागू कर पाएगी या नहीं? 

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गेहूं खरीद के लक्ष्य से काफी दूर है सरकार, महंगाई कम करने के ल‍िए म‍िलर्स को कैसे म‍िलेगा सस्ता गेहूं? गेहूं की क‍ितनी हुई सरकारी खरीद.

एमएसपी पर गेहूं खरीद की वर्तमान रफ्तार को देखते हुए इस साल भी सरकारी टारगेट पूरा होने की उम्मीद नहीं है. केंद्र सरकार ने इस साल 372.9 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा हुआ है, जबक‍ि अभी तक महज 257 लाख मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो सकी है. ऐसे में इस साल ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) को को लागू होने की उम्मीद कम द‍िखाई दे रही है. सरकार ओएमएसएस के तहत आटा तैयार करने वाले म‍िलर्स को सस्ता गेहूं बेचती है, ताक‍ि महंगाई न बढ़े. प‍िछले साल इस स्कीम के तहत बाजार में 100 लाख मीट्र‍िक टन सस्ता गेहूं बेचकर दाम को कंट्रोल में रखने का दावा क‍िया गया है. 

देश में गेहूं की सरकारी खरीद प्रक्रिया वैसे तो 30 जून को खत्म होती है. लेक‍िन, अब अध‍िकांश सूबों की मंड‍ियों में आवक बंद हो गई है. क‍िसान सरकार की बजाय व्यापार‍ियों को गेहूं बेचना पसंद कर रहे हैं, क्योंक‍ि ओपन मार्केट में दाम अच्छा म‍िल रहा है. यहां तक क‍ि राजस्थान और मध्य प्रदेश में एमएसपी पर बोनस म‍िलने के बावजूद खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. व‍िशेषज्ञों को उम्मीद है क‍ि अगर सरकारी खरीद 260 से 270 लाख मीट्र‍िक टन पर स‍िमट जाती है तो सरकार नवंबर-द‍िसंबर के बाद ही कुछ गेहूं ओएमएसएस के तहत बेच पाएगी. लेक‍िन अभी इस स्कीम के शुरू होने की उम्मीद नहीं द‍िख रही है. 

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कल्याणकारी योजनाओं पर क‍ितना खर्च 

वर‍िष्ठ कृष‍ि पत्रकार प्रभुदत्त म‍िश्रा का कहना है क‍ि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की वार्षिक आवश्यकता 225 लाख मीट्र‍िक टन है. सरकार ने इसमें कटौती करके 186 लाख टन कर द‍िया है. इस बीच गेहूं उत्पादन 1,150 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. र‍िकॉर्ड उत्पादन अनुमान के बाद भी अगर सरकारी खरीद नहीं हो रही है तो सरकार को इस मामले में सतर्क रहने की जरूरत है. अधिक से अध‍िक अनाज स्टॉक में होना चाह‍िए ताक‍ि क‍िसी संकट के समय देश को परेशानी न हो. सरकार 80 करोड़ से अध‍िक लोगों को मुफ्त राशन दे रही है. 

पंजाब-हर‍ियाणा का योगदान 

देश में स‍िर्फ दो ऐसे राज्य हर‍ियाणा और पंजाब हैं जो अपना गेहूं खरीद लक्ष्य हास‍िल करने के नजदीक पहुंच गए हैं. पंजाब को 132 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य द‍िया गया है, जबक‍ि अब तक उसने 123 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद कर ली है. इसी तरह हर‍ियाणा को 80 लाख मीट्र‍िक टन का टारगेट द‍िया गया है और उसने 71 लाख टन गेहूं खरीद ल‍िया है. सरकारी गोदाम भरने में इन दोनों का सबसे बड़ा योगदान है. बाकी राज्य अपने लक्ष्य से बहुत दूर हैं. गुजरात, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ में तो सरकार गेहूं का एक भी दाना नहीं खरीद पाई है. 

ब‍िहार में खरीद का ऐसा हाल 

ब‍िहार भी गेहूं खरीद के मामले में फ‍िसड्डी है. यहां 2 लाख मीट्र‍िक टन का लक्ष्य था, जबक‍ि 17 मई सुबह तक स‍िर्फ 9,398 मीट्र‍िक टन गेहूं ही खरीदा गया है. उत्तराखंड में 50 हजार मीट्र‍िक टन का टारगेट है, जबक‍ि अब तक महज 762 मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो सकी है. ह‍िमाचल प्रदेश में 10 हजार मीट्र‍िक टन की जगह अब तक मात्र 2,576 मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो सकी है. एक भी राज्य ने अब तक अपने लक्ष्य को हास‍िल नहीं क‍िया है. 

बोनस देने के बावजूद ये हाल 

मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं बेचने पर क‍िसानों को 125 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का बोनस म‍िल रहा है. बीजेपी ने व‍िधानसभा चुनाव से पहले अपने संकल्प पत्र में 2700 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की दर पर गेहूं खरीदने की 'गारंटी' दी थी, लेक‍िन जब पार्टी सत्ता में आई तो दोनों राज्यों के नए मुख्यमंत्री इतना पैसा देने से मुकर गए. दोनों राज्य सरकारें स‍िर्फ 125 रुपये क्व‍िंटल का बोनस देने के राजी हुईं. 

इस समय गेहूं की एमएसपी 2275 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. यानी इन दोनों सूबों में क‍िसानों को 2400 रुपये का भाव म‍िल रहा है. इसके बावजूद दोनों खरीद के मामले में प‍िछड़े हुए हैं. राजस्थान में 20 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, जबक‍ि अब तक मात्र 8,56,331 मीट्र‍िक टन की ही खरीद हो पाई है. इसी तरह मध्य प्रदेश में स‍िर्फ 47 लाख मीट्र‍िक टन की खरीद हो सकी है, जबक‍ि लक्ष्य 80 लाख टन का है.

यूपी में डबल से अध‍िक खरीद 

उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है. देश का लगभग 35 फीसदी गेहूं यहीं पैदा होता है. राज्य में अब तक 8,69,852 मीट्र‍िक टन गेहूं की खरीद हो गई है. जो प‍िछले तीन साल में सबसे ज्यादा है. रबी मार्केट‍िंग सीजन 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश में 3.29 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं ही खरीदा जा सका था. जबक‍ि 2023-24 में खरीद इससे भी कम हो गई थी. तब स‍िर्फ 2,19,797 मीट्र‍िक टन गेहूं की ही एमएसपी पर खरीद हुई. यूपी के प‍िछले एक दशक के इत‍िहास में इतनी कम खरीद नहीं हुई थी. लेक‍िन इस साल इसमें काफी सुधार हुआ है. 

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