अगर किसान यूरिया की जगह जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम कल्चर और एजोटोबैक्टर का इस्तेमाल करते हैं, तो फसल को प्रति हेक्टेयर 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन मिल सकता है. यह नाइट्रोजन फसलों की उपज को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. दलहन फसलों, जैसे चना, मटर, मूंग, उड़द, सोयाबीन आदि में राइजोबियम कल्चर का उपयोग बीज उपचार में किया जाता है. यह जैव उर्वरक पौधों की जड़ों में प्रवेश कर छोटी-छोटी गांठें बनाता है और वायुमंडल से नाइट्रोजन को शोषित करके पौधों को उपलब्ध कराता है. अनाज वाली फसलें, जैसे गेहूं, धान, मक्का और बाजरा में एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक का उपयोग किया जाता है, जो नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है और पौधों को जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है.
किसान अगर अपनी फसलों की उपज बढ़ाना चाहते हैं और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करना चाहते हैं, तो जैव उर्वरकों का प्रयोग कर सकते हैं. इन खादों की कीमत 100 रुपये से लेकर 150 रुपये होती है. फॉस्फोरस, नाइट्रोजन के बाद सबसे अहम पोषक तत्व है. इसके लिए पीएसबी कल्चर का इस्तेमाल किया जाता है, जो मृदा में मौजूद अघुलनशील फॉस्फोरस को घुलनशील अवस्था में बदलकर पौधों को उपलब्ध कराता है. यह प्रति हेक्टेयर 10 से 40 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रदान कर सकता है, जिससे पौधों की जड़ों और विकास में सुधार होता है.
ये भी पढ़ें: क्या है एफ्लाटॉक्सिन, मक्के में कैसे हो सकता है इस 'जहर' का कंट्रोल, अपनाईए ये टिप्स
जैव उर्वरक से बीज उपचार सबसे उत्तम विधि है. इसके लिए आधा लीटर पानी में 50 ग्राम गुड़ मिलाकर घोल बनाएं और उसमें 200 ग्राम राइजोबियम, एजोटोबैक्टर या पीएसबी कल्चर मिलाएं. इस घोल को 10 किलोग्राम बीजों पर छिड़कें और बीजों को छाया में सुखाने के बाद खेतों में बुवाई करें. इस विधि से बीजों पर जैव उर्वरक की एक परत बनती है, जो उन्हें पोषण प्रदान करती है.
अगर आप धान, टमाटर, फूलगोभी, प्याज जैसी फसलों की पौध तैयार कर रहे हैं, तो नर्सरी से उखाड़े गए पौधों की जड़ों को जैव उर्वरक के घोल में डुबोकर उपचारित करें. इस विधि से पौधे बेहतर रूप से बढ़ते हैं और अधिक उपज देते हैं. कंद वाली फसलों जैसे, आलू, अदरक, घुईयां और गन्ना के लिए 20-30 लीटर पानी में 1 किलो एजोटोबैक्टर और 1 किलो पीएसबी कल्चर मिलाकर कंदों को उपचारित करें. इससे कंदों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की जरूरी आपूर्ति होती है, जिससे उनकी वृद्धि में सुधार होता है.
ये भी पढ़ें: मक्के की फसल में लग गया है फॉल आर्मीवर्म कीट, तो जानिए कैसे करें रोकथाम
जैव उर्वरकों का इस्तेमाल एक बेहतरीन तरीका है. ये न सिर्फ उत्पादन लागत घटाते हैं बल्कि मृदा की उर्वरता और संरचना को भी बेहतर बनाते हैं. जैव उर्वरक, जैसे राइजोबियम कल्चर, एजोटोबैक्टर, पीएसबी कल्चर, मृदा को प्राकृतिक रूप से पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उपज में सुधार होता है. जैव उर्वरकों के इस्तेमाल से किसान कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं. ये उर्वरक न सिर्फ मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं. इस तरह जैव उर्वरक का उपयोग करके किसान अपनी फसलों की उपज को बढ़ा सकते हैं और मृदा की उर्वरता को बनाए रखते हुए खेती में नई संभावनाओं का सृजन कर सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today