आमतौर पर किसानों को मक्के की खेती करना एक आसान काम लगता है. लेकिन इस महीने में मक्के की फसल में कीट और रोग के लगने से बिहार में मक्का किसान परेशानी में हैं क्योंकि फसलों पर फॉल आर्मीवर्म कीट का अटैक तेज़ी से बढ़ता जा रहा है. बिहार राज्य के कुछ जिलों में इस कीट का आक्रमण मक्का फसल पर देखा जा रहा है. फॉल आर्मीवर्म कीट के लिए मक्का सबसे रोचक फसल है. मक्का फसल नहीं होने पर यह कीट अन्य फसलों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. इन्हीं समस्याओं से निजात के लिए बिहार कृषि विभाग ने मक्के में लगने वाले कीट से बचाव के उपाय बताए हैं. इस उपाय को अपनाकर किसान मक्के की फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं.
फॉल आर्मीवर्म कीट के लार्वा हरे, हल्के गुलाबी या भूरे रंग के दिखाई देते हैं. इनके शरीर पर चार बड़े धब्बे होते हैं. इनकी पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां होती हैं. इनके सिर और आंखों के बीच में उल्टा अंग्रेजी के Y आकार का सफ़ेद धब्बा होता है. वहीं, इनकी मादा पतंगें पत्तियों के निचले हिस्से पर समूह में अंडे देती हैं. ये अंडे हरे या भूरे रंग के होते हैं. इसी कीट के लगने से मक्के की फसल और उत्पादन पर असर पड़ता है.
ये भी पढ़ें:- केले की फसल में नई बीमारी का खतरा , पौध रोग विशेषज्ञ ने चेताया- उपज को हो सकता है भारी नुकसान
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कीट से बचने के लिए मक्का की अगेती बुआई करना सबसे कारगर उपाय है. दूसरा उपाय ये है कि किसान मक्के की खेती एक साल छोड़कर करें. साथ ही फॉल आर्मीवर्म कीट नियंत्रण के लिए प्रति हेक्टेयर 100 फेरोमोन फंदा का इस्तेमाल करें. फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान और लार्वा की तीसरी और चौथी इंस्टार के द्वारा नुकसान होने पर नियंत्रण के लिए इन रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव की जरूरत होती है.
1. स्पिनेटोरम 11.7 फीसदी एस.सी को 0.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाएं और छिड़काव करें.
2. क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी को 0.4 मिली प्रति लीटर पानी में घोलें और मक्के की फसलों पर छिड़काव करें.
3. थायोमेथोक्साम 12.6 फीसदी लैम्बडा सिहलोथ्रिन 9.5 फीसदी जेड सी को 0.25 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाएं और फसलों पर छिड़काव करें.
4. इमामेक्टिन बेंजोए 5 फीसदी एस.जी 0.40 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाएं और मक्के की फसल पर छिड़काव करें.
पांचवें और छठे इंस्टार लार्वा बड़े पैमाने पर पत्तियों को खाकर नष्ट करते हैं और बड़ी मात्रा में मल पदार्थ का उत्सर्जन करते हैं. इसके लिए 2-3 लीटर पानी में 10 किलोग्राम चावल की भूसी और 2 किलोग्राम गुड़ मिलाएं और मिश्रण को 24 घंटे के लिए रखें. फिर खेतों में प्रयोग करने से ठीक आधे घंटे पहले 100 ग्राम थायोडिकार्ब 75 फीसदी WP मिलाएं और और व्यास के आकार की गोलियां तैयार करें. इस तरह तैयार किए गए विशेष जहरीले पदार्थ चुग्गा को शाम के समय पौधे की गम्भा में डाल दें. इस उपाय को अपनाने से फॉल आर्मीवर्म कीट से छुटकारा मिलेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today