बांग्‍लादेश बॉर्डर पर जूट और केले ने बढ़ाई मुश्किलें, BSF ने की खेती रोकने की अपील

बांग्‍लादेश बॉर्डर पर जूट और केले ने बढ़ाई मुश्किलें, BSF ने की खेती रोकने की अपील

भारत बांग्‍लादेश बॉर्डर पर तैनात बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने बंगाल की सरकार से अनुरोध किया है कि वह किसानों को ऐसी फसलों का उत्‍पादन करने से रोके जो लंबी होती हैं. बीएसएफ का अनुरोध  बॉर्डर इलाके में जूट, सरसों और केले जैसी फसलों से जुड़ा है जो कि लंबी होती हैं और जिनकी वजह से जवानों को पेट्रोलिंग में परेशानी होती है.

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बांग्‍लादेश बॉर्डर पर जूट और केले ने बढ़ाई मुश्किलें, BSF ने की खेती रोकने की अपीलबांग्‍लादेश बॉर्डर पर फसलों को लेकर बीएसएफ की खास अपील

भारत बांग्‍लादेश बॉर्डर पर तैनात बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने बंगाल की सरकार से अनुरोध किया है कि वह किसानों को ऐसी फसलों का उत्‍पादन करने से रोके जो लंबी होती हैं. बीएसएफ का अनुरोध  बॉर्डर इलाके में जूट, सरसों और केले जैसी फसलों से जुड़ा है जो कि लंबी होती हैं और जिनकी वजह से जवानों को पेट्रोलिंग में परेशानी होती है. बीएसएफ के अनुसार इन फसलों की वजह से संवेदनशील इलाकों में विजिबिलिटी में बाधा आती है. बीएसएसफ की तरफ से यह आदेश बांग्‍लादेश में जारी उठापटक के बीच आया है. बताया जा रहा है कि पड़ोसी देश में हालातों के कारण करीब 1 हजार हिंदु परिवार बॉर्डर पर हैं और भारत में दाखिल होने की कोशिशें कर रहे हैं. 

ऊंचे पेड़ों की खेती सुरक्षा के लिए खतरा

अखबार द टेलीग्राफ ने बीएसएफ के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है, 'समस्या यह है कि कुछ खेती योग्‍य जमीन बॉर्डर फेंसिंग के पार भी मौजूद है. केंद्र ने जीरो लाइन से 150 मीटर दूर बाड़ लगाई है. सीमा पर सड़कें बनाने और बाड़ लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण करने के बावजूद, बीएसएफ किसानों को उन जमीनों पर खेती करने की अनुमति देता है जो किसी की भूमि नहीं हैं. किसानों को खासतौर पर निर्धारित समय पर निर्धारित दरवाजों से प्रवेश करके और सुरक्षा गार्डों को अपना पहचान पत्र जमा करने के बाद इस हिस्‍से तक पहुंचने की मंजुरी  दी जाती है. इन जमीनों पर ऊंचे पेड़ों की खेती करना सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है.'

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2 फीट से ज्‍यादा लंबे पौधों की खेती प्रतिबंधित  

रणनीतिक कारणों से बीएसएफ ने 2 फीट से ज्‍यादा ऊंचे पौधों को उगाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है क्योंकि यह  असामाजिक तत्वों के छिपने में मदद कर सकते हैं. इसके बावजूद, बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर कई किसान ऐसी फसलें उगाना जारी रखते हैं. नतीजतन, बीएसएफ अधिकारियों ने बटालियन कमांडरों को स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इन दिशा-निर्देशों को लागू करने का निर्देश दिया है, खासकर तब जब बांग्लादेश में राजनीतिक हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. 

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बांग्‍लादेश की तरफ से घुसपैठ का खतरा 

पड़ोसी देश में चल रही अशांति और अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियों के कारण बांग्लादेश से घुसपैठ का डर बढ़ रहा है. साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमले और जेल से भागने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. इसलिए बीएसएफ सुरक्षा उपाय मजबूत करने पर काम कर रही है. बीएसएफ ने बांग्लादेश की सीमा से सटे जिलों में स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ अपनी चिंता साझा की है. दक्षिण बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा 913.3 किलोमीटर तक फैली हुई है. इसमें 364 किलोमीटर नदी का किनारा भी शामिल है. नॉर्थ बंगाल में बॉर्डर की लंबाई करीब 936.7 किलोमीटर है. दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल में सीमा के बिना बाड़ वाले क्षेत्र क्रमशः लगभग 538 किलोमीटर और 375 किलोमीटर हैं. 

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जूट को लेकर बीएसएफ ने जताई चिंता 

सोमवार को कोलकाता की अपनी यात्रा के दौरान कुछ संगठनों और बीएसएफ के नए डायरेक्‍टर जनरल दलजीत सिंह चौधरी के बीच एक मीटिंग के दौरान लंबी फसलों के मुद्दे पर भी चर्चा की गई.  सोमवार दोपहर को रानाघाट सबडिविजन के तहत बैरनबेरिया बॉर्डर पोस्‍ट पर नादिया जिला प्रशासन और बीएसएफ की दो बटालियनों के बीच एक मीटिंग हुई.

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मीटिंग में शामिल हुए एसडीओ रानाघाट रौनक अग्रवाल ने कहा कि बीएसएफ अधिकारियों ने लंबी फसलों, खासकर जूट, जिसकी कटाई अभी हो रही है को लेकर चिंता जताई है. उन्‍होंने बताया कि बीएसएफ अधिकारियों को भरोसा दिलाया गया है कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा की मांग को ध्यान में रखते हुए किसानों को वैकल्पिक फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. 

विजिबिलिटी में बाधा बनीं फसलें 

कोलकाता में बीएसएफ के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा, 'सरसों, जूट और केले जैसे लंबे पौधों पर हमारी आपत्ति नई नहीं है. लेकिन ये फसलें विजिबिलिटी में बाधा डालती हैं और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा करती हैं. साथ ही स्‍मगलर्स और अपराधी हमारे जवानों पर पर घात लगाने के लिए ऐसे पौधों की तरफ से मिली आड़ का फायदा उठाते हैं.' 

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