बांग्लादेश में जारी राजनीतिक संकट के बीच ही भारत की चिंताएं भी बढ़ गई हैं. इसी राजनीतिक संकट के बीच ही पश्चिम बंगाल के किसानों से जुड़ी एक बड़ी खबर है. बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल के किसानों पर भी इसका बड़ा असर पड़ा है. एक रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में मौजूदा अशांति का असर हेमताबाद पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले मालन बॉर्डर आउट पोस्ट के गांवों पर अभी तक नहीं पड़ा है लेकिन फिर भी आने वाले दिनों में किसानों पर इसका प्रभाव नजर आ सकता है. सीमा बाड़ के पार खेती की जमीन वाले किसान मौजूदा उथल-पुथल के कारण संभावित फसल नुकसान को लेकर परेशान हैं.
वेबसाइट मिलेनियम पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 150 किसान सीमा बाड़ के पार लगभग 300 बीघा भूमि पर खेती करते हैं. मालन के एक किसान तपन कुमार दास के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है, 'हमारे पास भारतीय सीमा की ओर सीमा बाड़ के पार थोड़ी सी खेती योग्य भूमि है. जहां हमने हाल ही में धान की फसल लगाई है. इन पौधों को बढ़ने के लिए नियमित रूप से पानी की जरूरत होती है, खासकर पर्याप्त बारिश की कमी में. अगर बांग्लादेश में अशांति जारी रहती है तो हमें अपने धान के खेतों में जाने का जोखिम उठाना पड़ेगा. पानी के बिना, हमारी फसलें खराब हो जाएंगी जिससे काफी आर्थिक नुकसान होगा.'
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गांव की एक गृहिणी सरदा बर्मन कहती हैं, 'हमारी दो बीघा खेती की जमीन मालन में बॉर्डर पर लगी बाड़ के दूसरी तरफ है. हर दिन, हम अपने पहचान पत्र दिखाने और बीएसएफ के साथ अपना नाम दर्ज कराने के बाद बाड़ पार करते हैं. बीएसएफ के अधिकारी बहुत मददगार हैं लेकिन हम बांग्लादेश में मौजूदा अशांति को लेकर चिंतित हैं.' मालन के बिष्णुपुर ग्राम पंचायत के सदस्य खिरोद बर्मन ने कहा, 'बांग्लादेश में अशांति ने अभी तक हमारे मालन बीओपी को प्रभावित नहीं किया है.'
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बीएसएफ एक्टिव है और रोजाना की गतिविधियां सामान्य तौर पर जारी हैं. हालांकि, सीमा बाड़ के पार जमीन वाले किसान परेशान हैं. हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी.' वहीं दूसरी तरफ बीएसएफ ने बंगाल सरकार से अनुरोध किया है कि वह किसानों को बांग्लादेश सीमा पर बाड़ के पार के क्षेत्रों में जूट, सरसों और केले जैसी लंबी फसलों की खेती बंद करने के लिए राजी करे. बीएसएफ का कहना है कि इससे पेट्रोलिंग करने वाले जवानों को देखने में मुश्किलें आती हैं.
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