बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने लोगों की जरूरत से जुड़ी 16 और खाने पीने की चीजों के दाम की रोजाना मॉनिटरिंग करने का फैसला किया है. अभी तक सिर्फ 22 जरूरी चीजों के दाम की मॉनिटरिंग हो रही थी. नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब बाजरा, ज्वार, रागी, सूजी, मैदा, बेसन, देसी घी, मक्खन, बैंगन, अंडा, काली मिर्च, धनिया, जीरा, लाल मिर्च, हल्दी और केला के दाम पर भी सरकार रोजाना नजर रखेगी. देश के 34 राज्यों के 550 केंद्रों से दाम की मॉनिटरिंग की जाएगी. साल 2013-14 में सिर्फ 57 केंद्रों से दाम की निगरानी हो रही थी.
जोशी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि महंगाई घटाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड मिला है, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब बहुत जरूरी हो. यह लोगों को राहत देने का अंतिम हथियार होगा. इस मौके पर उन्होंने प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम (PMS) मोबाइल ऐप के 4.0 संस्करण को लॉन्च किया.
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उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार 1998 में 14 जरूरी वस्तुओं के दाम की रोजाना निगरानी शुरू की गई थी. तब इस सूची में सिर्फ चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर दाल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, चीनी, चाय, नमक, आलू, प्याज और दूध शामिल किए गए थे.
इसके बाद 2008 में मसूर दाल, मूंग दाल और उड़द दाल यानी इस सूची में तीन चीजें और जोड़ दी गईं. फिर 2010 में चार चीजें जोड़ी गईं. इनमें गुड़, सोया तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल को शामिल किया गया. जबकि 2011 में टमाटर को भी इसमें जोड़ दिया गया. अब 1 अगस्त 2024 से इस लिस्ट में 16 और वस्तुओं को जोड़ दिया गया है.
इस तरह से दाम की निगरानी से नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है. इस पहल से उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की सही दाम पर उपलब्धता होगी. सरकार ने हाल के दिनों में खाने पीने की चीजों के दाम को काबू में रखने के लिए लिए कई उपाय किए हैं. इनमें उपभोक्ताओं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत चना दाल, 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत आटा और 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत चावल उपलब्ध कराना शामिल है.
एनसीसीएफ ने 29 जुलाई, 2024 से उपभोक्ताओं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से टमाटर की बिक्री शुरू की है. इसके लिए भी प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा है, क्योंकि सरकार को कर्नाटक में 40-45 रुपये किलो पर टमाटर उपलब्ध हुआ है.
जमाखोरी को रोकने के लिए 21 जून 2024 से 30 सितंबर 2024 तक अरहर और देसी चना पर स्टॉक सीमा लगाई गई है. घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए अरहर, उड़द, मसूर, पीली मटर और देसी चना सहित दालों के शून्य शुल्क पर आयात की अनुमति दी गई है. उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, कम उत्पादन वाले महीनों के दौरान 5 लाख मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाया जा रहा है. जोशी ने कहा कि पिछले एक महीने में प्रमुख मंडियों में चना, तुअर और उड़द की कीमतों में 4 फीसदी तक की गिरावट आई है. उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया है, जिससे इस साल दलहन का रकबा बढ़ा है, इससे आने वाले दिनों में महंगाई रोकने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 26 जुलाई तक खरीफ सीजन वाली दलहन फसलों की बुवाई पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 12.62 लाख हेक्टेयर बढ़ गई है. इस साल 102.03 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष 89.41 लाख हेक्टेयर एरिया इस समय तक कवर हुआ था. अरहर का एरिया 9.80 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. इस साल 38.53 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 28.73 लाख हेक्टेयर एरिया ही कवर हुआ था. मूंगदाल का एरिया भी 3.36 लाख हेक्टेयर बढ़ा है.
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