
भारत के एग्रीकल्चर प्रोडक्ट एक्सपोर्ट में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन राइस क्वीन कहे जाने वाले बासमती चावल का अंतरराष्ट्रीय बाजार में दबदबा बढ़ गया है. यूरोपीय संघ (EU) में पाकिस्तान के विरोधों के बावजूद भारत के बासमती एक्सपोर्ट ने रिकॉर्ड बना दिया है. इसीलिए कुल एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट में बासमती चावल की हिस्सेदारी अब सबसे अधिक हो गई है. करीब एक चौथाई पैसा अकेले इसी चावल ने कमाया है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताबिक 2023-24 में भारत ने कुल एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट से 2,12,097.5 करोड़ रुपये कमाए, जिसमें सबसे ज्यादा 22.8 फीसदी हिस्सा बासमती चावल का है. कुल कृषि निर्यात में गैर बासमती चावल का हिस्सा पिछले वर्ष (2022-23) के 23.1 फीसदी से घटकर इस साल महज 17.9 प्रतिशत रह गया है, क्योंकि सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाई हुई है.
डीजीसीआईएस के अनुसार बासमती चावल के एक्सपोर्ट से भारत ने एक ही साल में 48389.2 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा हासिल की है. दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान जैसा मुस्लिम मुल्क भारत के बासमती चावल कारोबार में जगह-जगह बाधा बनने का काम करता है लेकिन भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा इंपोर्टर देश सऊदी अरब है. जिसे हमने इस साल 10.98 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल बेचकर रिकॉर्ड 10,391 करोड़ रुपये कमाए हैं. अगर ईयू में भारत को बासमती चावल का जीआई टैग मिले तो इससे हमारी कमाई और बढ़ सकती है. ईयू में पाकिस्तान ही हमारे सामने सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है.
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भारत ने 2023-24 में एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट से 2,12,097.5 करोड़ रुपये हासिल किए हैं, जो पिछले साल से कम है. साल 2022-23 में भारत ने 2,20,942.9 करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट किया था. इस गिरावट में सबसे बड़ी भागीदारी मक्का और चावल की है. पिछले वर्ष के मुकाबले 2023-24 के दौरान कुल चावल एक्सपोर्ट में 3419.1 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है. जबकि मक्का एक्सपोर्ट में कमी से 5327 करोड़ रुपये कम मिले हैं.
भारत और पाकिस्तान दो देश ही बासमती के उत्पादक हैं. इस मामले में भारत पहले और पाकिस्तान दूसरे स्थान पर है. भारत में 95 जिलों में बासमती की खेती होती है, जबकि पाकिस्तान में 14 जिले ही इसके दायरे में आते हैं. हालांकि पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय बासमती की विश्वसनीयता सबसे ज्यादा है. यहां तक कि तमाम मुस्लिम देशों में भी भारतीय बासमती को ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. भारत को यूरोपीय यूनियन द्वारा तय किए गए चावल में कीटनाशकों की मात्रा के सख्त मानकों को पूरा करने में हो रही कठिनाइयों का पाकिस्तान ने फायदा उठाया है.
बहरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि कुल एग्री एक्सपोर्ट में बासमती चावल की भागीदारी और बढ़ सकती है, बशर्ते अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान हमारा विरोध न करे. पाकिस्तान हमारी ही तैयार की गई किस्मों की चोरी करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में हमारे लिए बाधा बना हुआ है. भारत ने जुलाई 2018 में जीआई टैग के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन किया था. पाकिस्तान इसका विरोध कर रहा है. ऐसे में ईयू चाहता है कि भारत और पाकिस्तान संयुक्त रूप से इसकी मांग करें. लेकिन भारत सरकार ने इस सुझाव को ठुकरा दिया है. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ईयू में जीआई टैग मिलने के बाद 4 लाख मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
तमाम अड़चनों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती का दबदबा बढ़ रहा है. बासमती के एक्सपोर्ट से कमाई के मामले में बात करें तो एक साल में ही 25.61 फीसदी का उछाल आया है. इसीलिए भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कृषि उत्पादों में यह सबसे ऊपर हो गया है. अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक भारत ने दुनिया के 100 से अधिक मुल्कों को 52,42,511 मीट्रिक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया. इतना बासमती चावल कभी भी एक्सपोर्ट नहीं किया गया था.
इससे पहले साल यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक की बात करें तो हमने 45,60,762 मीट्रिक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया था. यानी एक साल में ही 6,81,749 मीट्रिक टन अधिक चावल एक्सपोर्ट किया गया. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम-कदम पर हमारा विरोध करने के लिए पाकिस्तान खड़ा रहता है. दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय बासमती चावल की विश्वसनीयता अब भी सब पर भारी है.
वर्ष 2023-24 में भारत ने औसतन 1113 यूएस डॉलर प्रति टन पर बासमती चावल को एक्सपोर्ट किया. जबकि उससे पहले 2022-23 में 1050 डॉलर प्रति टन का औसत भाव था. हालांकि, अलग-अलग देशों में दाम अलग-अलग होता है. सबसे ज्यादा दाम 1966 डॉलर प्रति टन पर हमने उरुग्वे और 1752 डॉलर प्रति टन पर स्लोवानिया को बासमती चावल बेचा.
पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारतीय बासमती के सबसे बड़े मुरीद मुस्लिम देश ही हैं. इसका उदाहरण सऊदी अरब है जिसे हमने सबसे ज्यादा चावल बेचा. दूसरी ओर इराक में भारतीय बासमती चावल का निर्यात सबसे ज्यादा बढ़ा है. वर्ष 2023-24 में भारत ने इराक को 8,24,779 मीट्रिक टन बासमती चावल बेचकर 7,349.5 करोड़ रुपये कमाए हैं, जो एक साल पहले सिर्फ 364068 मीट्रिक टन था और उससे हमें 3031.9 करोड़ रुपये ही मिले थे.
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