एक्सपोर्टरों ने बंद की बासमती धान की खरीद, नुकसान में क‍िसान...800 रुपये क्व‍िंटल तक ग‍िरा दाम

एक्सपोर्टरों ने बंद की बासमती धान की खरीद, नुकसान में क‍िसान...800 रुपये क्व‍िंटल तक ग‍िरा दाम

Basmati Rice MEP: इधर सरकार ने तोड़ी एक्सपोर्टरों की उम्मीद, उधर एक्सपोर्टरों ने बंद कर दी बासमती धान की खरीद. 1200 डॉलर प्रत‍ि टन के म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस की च‍क्की में प‍िस रहे क‍िसान. संयुक्त क‍िसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने दी सरकार को चेतावनी. जान‍िए खरीद बंद करने के पीछे क्या है तर्क? 

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एक्सपोर्टरों ने बंद की बासमती धान की खरीद, नुकसान में क‍िसान...800 रुपये क्व‍िंटल तक ग‍िरा दामसरकार और एक्सपोर्टरों के बीच व‍िवाद में अब प‍िस रहे हैं क‍िसान.

बासमती चावल पर 1200 डॉलर प्रत‍ि टन का म‍िन‍िमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP-Minimum Export Price) लगाने के ख‍िलाफ अब न‍िर्यातकों और राइस म‍िल माल‍िकों ने नए अंदाज में सरकार के ख‍िलाफ मोर्चा खोल द‍िया है. इसका असर क‍िसानों पर पड़ना शुरू हो गया है. राइस म‍िलर्स ने प‍िछले दो द‍िन से क‍िसानों से धान खरीदना ही बंद कर द‍िया है. ज‍िसकी वजह से दाम 500 से 800 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक कम हो गया है. बासमती धान की खरीद सरकार नहीं करती, क्योंक‍ि यह एमएसपी के दायरे में नहीं आता. ऐसे में इसका पूरा बाजार न‍िजी क्षेत्र के हवाले है. इसल‍िए न‍िर्यातकों के इस दांव की वजह से क‍िसानों पर बड़ा दबाव पड़ा है और क‍िसानों की इस तकलीफ का मुद्दा अब क‍िसान नेताओं ने लपक ल‍िया है. न‍िर्यातक यह समझ रहे हैं क‍ि क‍िसानों की बात पर सरकार ज्यादा गौर करेगी. इसल‍िए उन्होंने ऐसा दांव चला है.

एक राइस म‍िलर्स ने कहा क‍ि अभी पुराना माल बहुत पड़ा हुआ है, ऐसे में वो धान की खरीद करके कहां रखें और कहां से पैसा लाएं. पुराना माल इसल‍िए पड़ा हुआ है क्योंक‍ि 1200 डॉलर एमईपी लगाने की वजह से एक्सपोर्ट में भारी ग‍िरावट आ गई है. सरकार से बार-बार अपील करने के बाद भी वो हमारी मांगों को सुन नहीं रही है. इसल‍िए अब हमारे पास धान न खरीदने के अलावा कोई और रास्ता नहीं द‍िखाई दे रहा है. एक्सपोर्टरों और सरकार के बीच चल रहे इस व‍िवाद के बीच अब क‍िसान प‍िसने लगे हैं.

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इधर उम्मीद टूटी, उधर खरीद बंद हुई

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर यह शर्त लगा दी थी क‍ि 1200 डॉलर से कम दाम पर इसका एक्सपोर्ट नहीं होगा. इसके ख‍िलाफ एक्सपोर्टरों ने आवाज उठाई लेक‍िन सरकार ने उसे तवज्जो नहीं दी. इसके बाद 25 स‍ितंबर को एक्सपोर्टर्स के साथ एक वर्चुअल बैठक में वाण‍िज्य मंत्री पीयूष गोयल ने एमईपी को कम करवाने का भरोसा द‍िलाया. इसके ल‍िए एक्स्पोर्टर्स ने इंतजार भी क‍िया. लेक‍िन सरकार ने 14 अक्टूबर को एक बार फ‍िर एक्सपोर्टरों की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए 1200 डॉलर वाला फैसला आगे भी जारी रखने का फैसला ले ल‍िया. उम्मीद टूटी तो न‍िर्यातकों ने क‍िसानों से धान खरीदना बंद कर द‍िया. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने धान खरीद बंद करने को राइस म‍िलर्स और एक्सपोर्टरों की हड़ताल करार द‍िया है. 

सरकार कम नहीं करेगी बासमती की एमईपी.

क‍िसानों को क‍ितना नुकसान

इस बारे में हमने ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बात की. सेत‍िया ने कहा क‍ि यह कोई हड़ताल नहीं है. लेक‍िन, हमने खरीद बंद कर दी है यह सच है. उन्होंने 1200 डॉलर वाली शर्त को आगे बढ़ाने के सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा क‍ि सरकार के इस फैसले का सीधा असर क‍िसानों पर पड़ने लगा है. क्योंक‍ि दो द‍िन से अध‍िकांश मंड‍ियों में बासमती की खरीद बंद कर दी गई है. जो पूसा बासमती-1509 धान प‍िछले साल इन द‍िनों 3800 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के भाव पर बिक रहा था उसका दाम गिरकर इस साल स‍िर्फ 3000 रुपये क्व‍िंटल रह गया है. दूसरे देशों में मांग है लेक‍िन 1200 डॉलर वाली शर्त थोपे जाने के बाद क्रेता को हमारा बासमती पाक‍िस्तान के मुकाबले महंगा पड़ रहा है. ऐसे में हमारे बाजार पर पाक‍िस्तान का कब्जा हो रहा है. 

एसकेएम बनाएगा दबाव

अब क‍िसानों पर असर पड़ता देख इस मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) भी मैदान में कूद पड़ा है. क्योंक‍ि अगर इस समय धान नहीं ब‍िका तो क‍िसानों का घर कैसे चलेगा. क्योंक‍ि, पंजाब, हर‍ियाणा और यूपी की कई मंड‍ियों में बासमती धान की खरीद बंद है. इस मुद्दे को लेकर हर‍ियाणा में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) की बैठक हुई. जिसमें 2 दिन से धान खरीदी न होने पर चर्चा की गई. किसान नेताओं ने तय क‍िया क‍ि आगामी 20 अक्टूबर को पंजाब-हरियाणा के किसान बड़ी संख्या में मोहाली स्थित गुरुद्वारा अम्ब साहिब में इकट्ठे होकर सरकार पर दबाव बनाएंगे. बैठक में मुख्य तौर पर जगजीत सिंह दल्लेवाल, अभिमन्यु कोहाड़ और लखविंदर सिंह औलख आद‍ि मौजूद रहे. 

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तुरंत शुरू हो बासमती की खरीद

मोर्चा ने सरकार से तीन प्रमुख मांगें की हैं, ज‍िनमें सबसे ऊपर बासमती का मुद्दा है. मोर्चा के नेताओं ने कहा क‍ि केंद्र सरकार द्वारा बासमती किस्मों के चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रत‍ि टन घोषित किए जाने के बाद राइस मिलर्स ने पूरे देश में हड़ताल कर दी है. जिसकी वजह से सभी मंडियों में धान की खरीद नहीं हो रही है. किसानों की 6 महीने की मेहनत खुले आसमान के नीचे पड़ी है. मोर्चा की मांग है कि किसानों की बासमती धान की खरीद तुरंत शुरू हो और क‍िसानों को उच‍ित भाव म‍िले. हालांक‍ि, अब देखना यह है क‍ि क‍िसानों को हो रहे नुकसान के बाद सरकार एमईपी कम करती है या नहीं. 

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