बासमती धान की नई उपज मंडियों में आने लगी है, लेकिन इस साल दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है. जिससे किसान परेशान हैं. पिछले साल बासमती धान की कीमत 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थी, लेकिन इस साल भाव 1,700 से लेकर 2500 रुपये के बीच ही चल रहा है. कई मंडियों में बासमती धान की कीमत सामान्य धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम है. जबकि आमतौर पर बासमती धान की कीमत सामान्य धान की एमएसपी से 30-40 फीसदी अधिक हुआ करती थी. बासमती धान एमएसपी के दायरे में नहीं आता है.
बहरहाल, कम दाम से उन किसानों के अरमानों पर पानी फिर रहा है, जिन्होंने अच्छी कमाई करने की उम्मीद में समय से पहले बासमती धान की खेती की थी. काफी लोग इस बात को लेकर हैरान हो सकते हैं कि इस वक्त कहां पर धान तैयार हो गया. अभी तो रोपाई का काम पूरा ही हुआ है. दरअसल, भू-जल संकट से बचने के लिए हरियाणा और पंजाब में तो धान की रोपाई का समय सरकार ने फिक्स किया हुआ है. लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं है, इसलिए वहां समय से काफी पहले ही किसानों ने धान की रोपाई कर दी थी. इसलिए वह समय से पहले तैयार हो गया है. वही धान इस समय हरियाणा की मंडियों में बिकने आ रहा है.
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हरियाणा में 15 मई से पहले धान की नर्सरी लगाने और 15 जून से पहले धान की रोपाई करने पर रोक है. जबकि पंजाब में 10 मई से पहले नर्सरी लगाने और 10 जून से पहले रोपाई करने पर रोक है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक ऐसा कोई कानून नहीं बनाया हुआ है. इसलिए खासतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान अच्छी कमाई के लिए मार्च से लेकर मई के बीच में ही धान की रोपाई कर देते हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश के 30 जिलों के पास बासमती का जीआई टैग है.
राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम के मुताबिक 8 अगस्त को हरियाणा के इंद्री मंडी में पूसा बासमती-1509 किस्म के धान का न्यूनतम दाम 1,700 और अधिकतम 2,411 रुपये प्रति क्विंटल रहा. रादौर मंडी में न्यूनतम दाम 1,600 और अधिकतम 2,460 रुपये प्रति क्विंटल रहा. करनाल में इसी किस्म के बासमती धान का न्यूनतम दाम 2,040 और अधिकतम 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा. राज्य की अधिकांश मंडियों में बासमती धान का न्यूनतम दाम सामान्य किस्म के धान की एमएसपी से भी कम है. सरकार ने 2024-25 में सामान्य धान का एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है.
जानेमाने बासमती राइस साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि पिछले वर्ष बासमती का अच्छा दाम मिला था इसलिए इस वर्ष पश्चिम यूपी में बासमती धान की 1509 किस्म की बंपर रोपाई हुई थी, जो अब तैयार हो गया है. वहां का धान हरियाणा की मंडियों में बिकने के लिए जा रहा है. इस साल अधिक बुवाई और इंटरनेशनल हालात की वजह से दाम कम हैं. कायदे से पूसा बासमती-1509 किस्म के धान की रोपाई जुलाई में होनी चाहिए. यह रोपाई के बाद 90 दिन यानी तीन महीने में तैयार हो जाती है. इतना पहले धान की रोपाई करना ठीक नहीं है. धान में नमी भी ज्यादा है, इसलिए भी दाम कम है.
बासमती राइस के कुछ एक्सपोर्टरों का कहना है कि सरकारी नीतियों की वजह से किसानों को पिछले साल से कम दाम मिल रहा है. सरकार ने बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय कर रखा है. जबकि इस कारोबार में भारत का मुख्य प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान इससे कम कीमत पर ही बासमती बेच रहा है. ऐसे में एक्सपोर्ट कम होने की बात कहकर कुछ एक्सपोर्टर किसानों को कम दाम दे रहे हैं. एक्सपोर्टर हालात का फायदा उठा रहे हैं. एक तरफ कम दाम मिलने से किसानों को नुकसान हो रहा है तो दूसरी ओर इससे एक्सपोर्टरों को मदद मिल रही है.
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