रबी सीजन की मुख्य फसलों में से एक चने के किसानों के लिए खुशखबरी है. सरकारी खरीद में 25 क्विंटल प्रति दिन की खरीद की सीमा को सरकार ने 40 क्विंटल कर दिया है. इससे राजस्थान सहित देशभर के लाखों किसानों को फायदा होगा. केन्द्र सरकार के इस संबंध में आदेश के बाद राजस्थान राज्य सहकारी क्रय-विक्रय संघ लिमिटेड ने भी आदेश जारी कर दिए हैं. आदेश के अनुसार किसानों से एक दिन में चना खरीद की सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल तक किसान द्वारा बोये गए रकबे की गिरदावरी के अनुपात में और किसानों के भूमि रिकॉर्ड के अनुसार खरीद करने की स्वीकृति दी गई है.
बता दें कि राजस्थान में चना की सरकारी खरीद प्रक्रिया में अब तक 90301 किसानों ने पंजीयन कराया है. इनमें से अभी सिर्फ 18209 किसानों से ही उपज खरीदी गई है.
इस आदेश के बाद जिन किसानों ने एमएसपी पर चना बेच दिया वे अपनी बाकी उपज भी बेच सकेंगे. वहीं, अभी राजस्थान में अधिकतर किसानों का रजिस्ट्रेशन के बाद उपज बेचने का नंबर ही नहीं आया है. इससे पंजीकृत 90,301 किसानों में से 78 हजार किसानों को सीधे लाभ मिलेगा. वहीं, जिन किसानों का अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, वे अब एक दिन में सीधे 40 क्विंटल चना सरकारी रेट 5335 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बेच सकेंगे.
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किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट बताते हैं, “सरकार ने तीन साल पहले भी चना, सरसों और मूंग की खरीद की सीमा 25 से 40 क्विंटल की थी. हमने खरीद सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर अनशन भी किया था. कई सांसदों को इस संबंध में पत्र भी लिखे थे. एक पत्र लोकसभा अध्यक्ष को भी लिखा था.”
खरीद सीमा को जरूरी बताते हुए जाट कहते हैं, “खरीद सीमा को बढ़ाना समय की मांग है. क्योंकि उपज की तुलना में एमएसपी पर खरीद कम हो रही थी. इससे किसानों में आक्रोश था. टोंक जिले में तो एक गांव उपज लेकर मंडी ही नहीं जा रहा है. इसीलिए इस आक्रोश को रोकने के लिए यह स्वागतयोग्य कदम है.”
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रामपाल कहते हैं चने के साथ-साथ सरसों की भी खरीद सीमा बढ़ाई जानी चाहिए. क्योंकि राजस्थान सरसों की पैदावार में अग्रणी राज्य है. लेकिन सरसों की खरीद सीमा अभी एक दिन में 25 क्विंटल ही है. इसीलिए इसे भी बढ़ाने की सख्त जरूरत है. वे जोड़ते हैं, “सरसों की बाजार में कीमत इस बार एमएसपी 5450 रुपये प्रति क्विंटल से काफी कम है.
इससे किसानों को एक क्विंटल पर 700 से 900 रुपये तक का घाटा हो रहा है. वहीं, विदेशों से आयात किए जा रहे सस्ते पॉम ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया जाना चाहिए. ताकि सरसों के तेल क्षेत्र में काम कर रहे व्यवसाइयों को लगातार घाटा ना हो.”
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