हरियाणा के इस जिले में धान की खेती ने मारी बाज़ी, तो कपास पर मंडरा रहा खतरा

हरियाणा के इस जिले में धान की खेती ने मारी बाज़ी, तो कपास पर मंडरा रहा खतरा

झज्जर जिले में पिछले चार सीजन में धान की खेती में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जबकि कपास की खेती में भारी गिरावट आई है. पिंक बॉलवर्म की समस्या और बढ़ती लागत के कारण किसान कपास से धान की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. राज्य सरकार की 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना किसानों को जल संरक्षण और फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

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हरियाणा के इस जिले में धान की खेती ने मारी बाज़ी, तो कपास पर मंडरा रहा खतराबढ़ रहा धान की खेती का रकबा

झज्जर जिले में पिछले चार सीज़न में धान की खेती में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है. राज्य सरकार ने किसानों को जल संरक्षण के लिए कपास की जगह अन्य फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित किया था, लेकिन इसके बावजूद धान की खेती में 67,500 एकड़ की वृद्धि हुई है. यह बदलाव कपास की खेती में भारी कमी के कारण हुआ है. कई किसान अब धान और अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि कपास की खेती में उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

कपास से धान की ओर किसानों का रुझान

कई कपास किसान कम उपज और कीट संक्रमण की वजह से अपनी फसल बदल रहे हैं. खासकर पिंक बोलवर्म की समस्या ने कपास की खेती को प्रभावित किया है. झज्जर के किसान जसवीर ने बताया कि उनके गांव में पहले कपास की खेती अधिक थी, लेकिन अब अधिकांश किसान धान की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं. इस बदलाव से गांव में कपास की खेती के लिए उपलब्ध जमीन भी घट गई है.

धान और कपास की खेती में अंतर

झज्जर जिले में 2021-22 के मुकाबले धान की खेती का क्षेत्रफल तेजी से बढ़ा है. उस वर्ष धान लगभग 96,750 एकड़ में उगाई गई थी, जो 2024-25 में बढ़कर 1,64,250 एकड़ तक पहुंच गई है. वहीं, कपास की खेती का क्षेत्रफल इसी अवधि में 29,250 एकड़ से घटकर 11,875 एकड़ रह गया है. यह आंकड़े साफ तौर पर दिखाते हैं कि जिले के किसानों ने धान की खेती को अपनाना ज्यादा उचित समझा है.

किसानों को मिल रहा सरकार का समर्थन

झज्जर के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र अहलावत ने बताया कि कपास की खेती में पिंक बोलवर्म जैसे कीटों के हमले के साथ-साथ बढ़ती लागत और श्रम की कमी ने किसानों को धान की ओर आकर्षित किया है. धान की खेती में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी खरीद की गारंटी किसानों के लिए बड़ी राहत बनी है. इस वजह से किसान धान को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं.

‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना

राज्य सरकार ने जल संरक्षण और फसल विविधता को बढ़ावा देने के लिए ‘मेरा पानी, मेरी विरासत’ योजना शुरू की है. इस योजना के तहत किसानों को कपास, मक्का, दालों जैसी जल की कम खपत वाली फसलों को अपनाने पर आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है. झज्जर जिले में 2022 में 622 किसानों को इस योजना के तहत प्रति एकड़ 7,000 रुपये का लाभ मिला था. 2023 में यह संख्या 350 किसानों की रही, जबकि 2024 में कोई भी किसान इस योजना के लिए योग्य नहीं पाया गया. इस साल प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति एकड़ कर दी गई है, ताकि अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें.

कृषि विभाग की भूमिका

झज्जर के कृषि विभाग ने न केवल किसानों को फसल बदलने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि कपास की खेती में आने वाली समस्याओं जैसे कीट प्रबंधन और उत्पादन बढ़ाने के उपायों पर भी काम किया है. विभाग ने कई किसान हितैषी योजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं, ताकि कपास की खेती को पुनः बढ़ावा मिल सके. झज्जर जिले में जल संकट और कृषि चुनौतियों के बीच किसानों ने अपनी खेती में बदलाव किया है. धान की खेती में वृद्धि और कपास की खेती में गिरावट इस बात का संकेत है कि किसान अपनी आर्थिक सुरक्षा के साथ-साथ जल संरक्षण का भी ध्यान रख रहे हैं. राज्य सरकार की योजनाएं और प्रोत्साहन इस बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिससे जिले की कृषि प्रणाली और टिकाऊ बन सके.

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