मीठापुर में दूधिया आम के पौधों पर हंगामा, तीन दिन में साढ़े चार लाख रुपये के पौधे बिके, अब बिक्री पर रोक

मीठापुर में दूधिया आम के पौधों पर हंगामा, तीन दिन में साढ़े चार लाख रुपये के पौधे बिके, अब बिक्री पर रोक

बिहार में बागवानी को लेकर बढ़ा क्रेज. दीघा के दूधिया मालदह आम को लेकर लोगों में दिख रही अधिक रुचि. कृषि अनुसंधान संस्थान ने तीन दिन में बेचे आम के लगभग 400 हजार पौधे. इस आम के स्वाद को देखते हुए लोग अधिक पौधे खरीदना और रोपना चाहते हैं. 

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मीठापुर में दूधिया आम के पौधों पर हंगामा, तीन दिन में साढ़े चार लाख रुपये के पौधे बिके, अब बिक्री पर रोककृषि अनुसंधान संस्थान, पटना

पटना के मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान में फलदार पौधों की बिक्री को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया है. संस्थान द्वारा एक जुलाई से शुरू की गई फलदार पौधों की बिक्री ने महज तीन दिनों में ही साढ़े चार लाख रुपये की कमाई कर ली. सबसे ज्यादा क्रेज दीघा के प्रसिद्ध दूधिया मालदह आम के पौधों के लिए देखा गया. पटना ही नहीं बल्कि राज्य के अन्य जिलों से भी लोग पौधे खरीदने के लिए पहुंचे.

लोगों की भारी भीड़ और व्यवस्था बनाए रखने में आ रही मुश्किलों को देखते हुए संस्थान ने 4 जुलाई से फलदार पौधों की बिक्री अगले आदेश तक के लिए अस्थायी रूप से स्थगित कर दी है. इस संबंध में सूचना संस्थान के मुख्य द्वार पर चस्पा कर दी गई है. पौधों की बिक्री को लेकर भीड़ इतनी अधिक हो गई कि स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ी.

संस्थान ने बेचे 80 रुपये में पौधे

संस्थान द्वारा आम, लीची, कटहल, अमरूद और नींबू समेत विभिन्न फलदार पौधों की बिक्री की गई. तीन दिनों में करीब 6,500 पौधे बेचे गए. सबसे अधिक 4,000 पौधे दीघा के दूधिया मालदह आम के रहे. संस्थान ने आम के पौधे की कीमत 80 रुपये और अन्य फलदार पौधों की कीमत 50 रुपये प्रति पौधा तय की थी. जबकि निजी नर्सरियों में यही पौधे 200 से 1,000 रुपये तक के मिलते हैं.

संस्थान से पौधे खरीदने पहुंचे पटना निवासी अशोक कुमार ने बताया कि अनुसंधान संस्थान से जो पौधे मिलते हैं, उन पर भरोसा है. कम कीमत में अच्छे पौधे उपलब्ध होते हैं. जबकि निजी नर्सरी से कई बार गलत पौधे भी मिल जाते हैं और दाम भी ज्यादा होते हैं.

दूधिया मालदह के संरक्षण पर फोकस

मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा दूधिया मालदह आम के संरक्षण और विस्तार के लिए इस बार 5,000 पौधे तैयार किए गए थे. इसके अलावा जर्दालु आम के 1,000-1,200, आम्रपाली के 500-800, दशहरी के 250-400, अमरूद के 1,000-1,200, कटहल के 250-300 और नींबू के 1,000-1,200 पौधे तैयार किए गए थे. मीठापुर संस्थान की यह पहल न केवल बागवानी को बढ़ावा दे रही है बल्कि लोगों को उच्च गुणवत्ता वाले फलदार पौधे सस्ती दर पर उपलब्ध करा रही है. अब सबकी नजर इस पर है कि पौधों की बिक्री दोबारा कब शुरू होगी.

बिहार के लोगों में आम की बागवानी के प्रति दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि आमों की मांग बाजारों में अधिक है. आम का सीजन लगभग तीन महीने तक चलता है जिस दौरान इसकी बिक्री खूब होती है. इससे किसानों के साथ-साथ बिक्री करने वाले दुकानदारों को भी बढ़िया मुनाफा होता है. इसी तरह आमों की नर्सरी चलाने वाले लोग भी पौधे बेचकर खूब कमाई करते हैं.

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