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MA B.Ed. करने के बाद शुरू की खेती, अब जैविक गन्ने-हल्दी से हो रही बंपर कमाई

MA B.Ed. करने के बाद शुरू की खेती, अब जैविक गन्ने-हल्दी से हो रही बंपर कमाई

किसान ने गन्ने की खेती करीब पांच बीघा खेत में की है जो पूरी तरह जैविक है. खेत में गन्ने की चार से पांच किस्में हैं. गन्ने से गुड़ और रस निकालने के लिए गया प्रसाद ने खेत पर ही सभी संसाधन लगा रखे हैं. लोहे की चरखी से गन्ने का रस निकाला जाता है और गन्ने के रस से गुड़ बनाने के लिए केमिकल की जगह भिंडी के तने और दूध का इस्तेमाल होता है.

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धौलपुर के किसान ने जैविक हल्दी से पाई बेहतर कमाई धौलपुर के किसान ने जैविक हल्दी से पाई बेहतर कमाई

राजस्थान के धौलपुर जिले में एक युवक ने टीचर बनने के लिए राजनीतिक विज्ञान से एमए किया, इसके बाद बीएड भी किया. एमए, बीएड करने के बाद जब युवक टीचर नहीं बना तो उसने खेती में कुछ नया करने का सोचा. फिर नए प्रयोगों के साथ जैविक खेती शुरू कर दी. अब यह युवक जैविक खेती से मोटा मुनाफा कमा रहा है और आस-पास के कई किसान उससे जैविक खेती की ट्रेनिंग ले रहे हैं. इस किसान का नाम है गया प्रसाद मीणा. इनकी खेती आज धौलपुर में मिसाल बन गई है क्योंकि वे कम दाम पर कई ऑर्गेनिक उत्पाद आम लोगों को मुहैया करा रहे हैं.

कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसा धौलपुर जिले के पथरीले इलाके के सरमथुरा उपखंड के गांव खोखला के रहने वाले गया प्रसाद मीणा ने कर दिखाया है. मीणा ने टीचर बनने के लिए राजनीतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड की डिग्री हासिल की. जब नौकरी नहीं लगी तो मीणा ने किसान बन कर अपने खेतो में परंपरागत खेती से हटकर जैविक खेती शुरू कर दी. अब यह किसान जैविक खेती से अच्छी कमाई कर रहा है. इससे दूसरे किसानों को भी फायदा हो रहा है.

जैविक गन्ने से बनता है जैविक गुड़

हल्दी और जैविक गन्ने की खेती के साथ जैविक गुड़ बनाने वाले गया प्रसाद मीणा अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं. किसान गया प्रसाद ने अदरक, रतालू और अरवी जैसी फसल की खेती कर लाखों रुपये कमाए हैं. इस बार गया प्रसाद ने हल्दी और जैविक गन्ने की खेती के साथ जैविक गुड़ बनाने का काम किया है. चार बीघा खेत में जैविक गन्ना और आधा बीघा खेत में हल्दी की खेती की है. वे गन्ने से जैविक गुड़ बनाकर अपने ही खेत से बेचते हैं. गया प्रसाद गुड़ की सफाई में केमिकल की जगह भिंडी के तने और दूध का इस्तेमाल करते हैं. यदि ग्राहक को गुड़ में इलाइची, काली मिर्च, ड्राई फ्रूट्स या अन्य कोई फ्लेवर चाहिए तो वे फ्लेवर वाला गुड़ बनाकर ग्राहकों को देते हैं.

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50 रुपये मिलती है ऑर्गेनिक हल्दी

किसान गया प्रसाद मीणा ने बताया कि वे भी अपने परिजनों की तरह परंपरागत खेती करते थे. लेकिन बाद में खेती में नए-नए प्रयोग किए जिसका फायदा अब मिल रहा है. किसान ने बताया कि इस बार हल्दी की पैदावार करीब 30 क्विंटल हो जाएगी जो करीब सवा लाख रुपये में बिकेगी. अन्य फसलों के मुकाबले हल्दी की खेती में मेहनत अधिक है और बीज भी महंगा आता है. लेकिन इसमें मुनाफा बहुत अधिक है. बाजार में साबूत हल्दी का भाव करीब 150 रुपये प्रति किलो चल रहा है, जबकि किसान के यहां ऑर्गेनिक हरी हल्दी 50 रुपये मिल जाती है.

बिना केमिकल खाद के खेती

किसान गया प्रसाद बताते हैं कि जैविक खेती बिना किसी केमिकल खाद के हो रही है. ऐसी फसलों में फंगस की शिकायत कुछ ज्यादा रहती है, इसलिए घर पर ही गौमूत्र, नीम के पत्ते, अन्य पौधों के पत्तियों से खाद तैयार की. हल्दी की बुवाई अप्रैल माह में होती है और जनवरी में तैयार हो जाती है. गया प्रसाद ने बताया कि आस-पास के लोग और दुकानदार उनके यहां से हल्दी खरीद कर ले जाते हैं क्योंकि यह शुद्ध और ऑर्गेनिक है. इसके अलावा कुछ लोग साबूत हल्दी का आचार भी डालते हैं. 

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इस किसान ने गन्ने की खेती करीब पांच बीघा खेत में की है जो पूरी तरह जैविक है. खेत में गन्ने की चार से पांच किस्में हैं. गन्ने से गुड़ और रस निकालने के लिए गया प्रसाद ने खेत पर ही सभी संसाधन लगा रखे हैं. लोहे की चरखी से गन्ने का रस निकाला जाता है और गन्ने के रस से गुड़ बनाने के लिए केमिकल की जगह भिंडी के तने और दूध का इस्तेमाल होता है. गुड़ में इलाइची, काली मिर्च, ड्राई फ्रूट्स या अन्य कोई फ्लेवर चाहिए तो गया प्रसाद ग्राहकों को वैसा गुड़ बनाकर देते हैं. 

खेत में ही गुड़ बनाने के लिए एक इंजन सेट के जरिए चरखी को चलाया जाता है. रस को पाइप के द्वारा एक बड़े बर्तन में छानकर भरा जाता है. इससे रस की साफ-सफाई भी पहले की कर ली जाती है. यहां से निकला गन्ने का रस बड़े बर्तन में जमा होता रहता है. इसके बाद एक मिट्टी की बनी भट्टी पर गन्ने के रस को बड़े बर्तन में पकाया जाता है और अलग-अलग विधि से जैविक गुड़ बनाया जाता है.(रिपोर्ट/उमेश मिश्रा)