केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जारी बजट में एक बड़ा ऐलान किया. यह ऐलान देश-दुनिया में श्री अन्न यानी मोटे अनाजों को बढ़ावा देने को लेकर था. इस क्रम में वित्त मंत्री ने हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च (IIMR) की बड़ी जिम्मेदारी तय की. वित्त मंत्री ने कहा कि आईआईएमआर देश का ऐसा संस्थान होगा जो पूरी दुनिया के लिए मिलेट हब होगा. इस संस्थान को 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' के तौर पर बढ़ावा दिया जाएगा. IIMR को मिलेट हब बनाने का अर्थ है कि दुनिया का कोई भी देश मोटे अनाजों की खेती के लिए यहां से रिसर्च और टेक्नोलॉजी में मदद ले सकता है.
आईसीएआर-आईआईएमआर, हैदराबाद को मिली इस जिम्मेदारी के बारे में हरियाणा के करनाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ले (ICAR IIWBR) के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं, इस घोषणा से मोटे अनाजों पर होने वाली रिसर्च और पायलट प्रोजेक्ट चलाने में बड़ी मदद मिलेगी. रिसर्च और पायलट प्रोजेक्ट शुरू होंगे तो मिलेट्स की खेती और खान-पान में उसे शामिल करने को प्रोत्साहन मिलेगा. देश में अभी इन फसलों पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नहीं हैं. ऐसे में आईआईएमआर को इस केंद्र के मिलने से उसे विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी. इससे मिलेट्स पर रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा.
IIWBR के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं, आईआईएमआर को 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' घोषित करने से देश के सभी प्राइवेट स्टार्टअप्स इससे लिंक किए जाएंगे. इससे मिलेट्स के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स को मदद मिलेगी. साथ ही पोषक उत्पादों की मात्रा बढ़ जाएगी. इसका सीधा फायदा देश में मिलेट्स को बढ़ावा देने में होगा. अभी देश की लगभग 250 कंपनियां IIMR से जुड़ी हुई हैं जिनमें प्राइवेट और सरकारी दोनों हैं. इन कंपनियों को भी मिलेट्स के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
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हैदराबाद में IIMR के अलावा इक्रीसैट (ICRISAT) भी है जो इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट है. इक्रीसैट ज्वार, बाजरा, चना और अरहर जैसे अनाजों पर काम करता है. डॉ. सिंह कहते हैं कि वित्त मंत्री की नई घोषणा के बाद इक्रीसैट और आईआईएमआर मिलकर देश के अलावा पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के उत्पादन और पोषण सुधार में मदद करेंगे.
हैदराबाद का आईआईएमआर 30 वर्षों से श्री अन्न पर रिसर्च कर रहा है. रिसर्च का मुख्य उद्देश्य मोटे अनाजों में वैल्यू एडीशन करना है ताकि किसानों का इसका सीधा फायदा मिल सके. पिछले आठ साल से इस संस्थान में 11 तरह के श्री अन्न (मिलेट्स) पर रिसर्च जारी है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा मिले, इसके लिए IIMR कई राज्यों, एनजीओ और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ काम कर रहा है. मिलेट्स का उत्पादन और उसकी क्वालिटी बढ़ाने पर यह संस्थान कई साल से काम कर रहा है. यही वजह है कि इस बार के बजट में इस संस्थान को 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' का दर्जा दिया गया है.
मिलेट्स के क्षेत्र में स्टार्टअप्स और आंत्रप्रिन्योर को प्रमोट करने के लिए आईआईएमआर उन्हें ट्रेनिंग देता है. इस ट्रेनिंग की मदद से स्टार्टअप्स और उद्यमी अपने बिजनेस को बढ़ाते हैं. किसानों को भी ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वे मिलेट्स की खेती से अधिक से अधिक पैदावार ले सकें. ट्रेनिंग का एक हिस्सा ये भी होता है कि किसान अपनी उपज को सीधा बाजार तक कैसे पहुंचाएं और बिचौलियों से उन्हें कोई घाटा न हो. आईआईएमआर महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सिखाता है कि कैसे मोटे अनाजों से अलग-अलग खाने के आइटम बनाने हैं. इन सब वजहों को देखते हुए इस बार के बजट में IIMR को सरकार ने बड़ा रोल दिया है.
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