राजस्थान के धौलपुर जिले के सैंपऊ में क्लोरीन गैस के रिसाव से खेतों में खड़ी गेहूं, सरसों और आलू की फसल झुलस गई. सैंपऊ के चंबल प्लांट के पानी में मिलाई जाने वाली क्लोरीन गैस दो दिन पहले लीकेज हुई थी. लीकेज से आसपास के खेतों में खड़ी फसल को भारी नुकसान हुआ है. किसानों की ओर से मिली जानकारी के अनुसार करीब 30 बीघा से ज्यादा क्षेत्र में क्लोरीन गैस के असर से गेहूं, सरसों और आलू की फसल के साथ सब्जी और चारे की फसल भी बुरी तरह झुलस गई. दूसरी ओर प्लांट के पीछे की ओर बने मकान पर मौजूद लोग गैस के असर से बेहोश होते-होते बचे. पीड़ितों ने बताया कि घर के अधिकांश लोगों को शुरुआत में चक्कर आए और सांस घुटने की शिकायत हुई थी. दैनिक भास्कर के अनुसार पीड़ितों ने बताया कि घटना शनिवार रात की है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि सांस घुटने की वजह समझ नहीं आई. लेकिन बाद में पता चला कि चंबल प्लांट के पानी में डाली जाने वाली क्लोरीन गैस कोहरे की तरह आसमान में छाई और उसके बाद बेचैनी सी पैदा हो गई. सुबह खेतों में देखा तो गेहूं, सरसों और आलू की खेती झुलसी दिखाई दी. फसल में हुए नुकसान से प्रभावित किसानों ने खेतों पर पहुंचकर पीएचईडी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश जताया है.
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पीड़ित हरिओम पहाड़िया, संजय पहाड़िया सहित अन्य ने बताया कि चंबल प्लांट के आर डब्ल्यू आर में पानी को साफ करने के लिए पाइप से पानी में मिलाई जाने वाली क्लोरीन गैस शनिवार रात को किसी तरह लीकेज हो गई. इससे आसपास के इलाके में खड़ी फसल को काफी नुकसान पहुंचा है.
मिली जानकारी के अनुसार करीब 30 बीघा फसल को नुकसान हुआ है. वहीं, घरों में खुले में रखे कपड़े भी बदरंग हो गए. प्लांट के पास ही खेत में बने मकान पर रहने वाले लोगों को सांस फूलने एवं चक्कर आने की समस्या हुई.
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स्थानीय मीडिया के अनुसार प्लांट को ऑपरेट करने वाले कर्मचारियों के जानकारी दी कि चंबल ऑफटेक स्कीम के तहत 44 गांव को पानी सप्लाई देने के लिए आरडब्ल्यूआर यानी रॉ वॉटर रिजर्व वायर में क्लोरीन के सिलेंडर से पाइप से क्लोरीन गैस पानी में मिलाई जाती है. आरडब्ल्यूआर से इनलेट में पानी आता है.
इसमें एक पाइप से क्लोरीन और दूसरे पाइप से एलन यानी पानी में सफाई के लिए फिटकरी डाली जाती है. हालांकि किसी ने गैस लीकेज की पुख्ता जानकारी नहीं दी है. कर्मचारियों ने कहा कि गैस लीकेज कैसे हुई है उसकी जांच कराई जा रही है.
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