अंबाला मंडी में नहीं पहुंच रहा गेहूं, बेमौसमी बरसात से फसलों को हुआ भारी नुकसान

अंबाला मंडी में नहीं पहुंच रहा गेहूं, बेमौसमी बरसात से फसलों को हुआ भारी नुकसान

अंबाला की मंडियों में गेहूं नहीं पहुंच पा रहा क्योंकि बरसात से फसल बहुत हद तक बर्बाद हो गई है. अंबाला में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल खराब हो गई है जिस कारण उपज अभी तक सही तरह से मंडी में नहीं पहुंच पाई है. यहां गेहूं की सरकारी खरीद एक अप्रैल से शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक गेहूं पका नहीं है.

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अंबाला मंडी में नहीं पहुंच रहा गेहूं, बेमौसमी बरसात से फसलों को हुआ भारी नुकसानअंबाला मंडी में कम हुई गेहूं की आवक, बरसात से फसल हुई बर्बाद

पंजाब के कई इलाकों में बीते दिनों तेज हवा, बरसात और ओलावृष्टि के कारण बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है. अब पंजाब सरकार खराब हुई फसलों की मुआवजा राशि देने का दावा तो कर रही है, लेकिन इससे किसान नाखुश दिखाई दे रहे हैं. अंबाला में बड़ी समस्या ये हो गई है कि मंडी में गेहूं नहीं पहुंच रहा क्योंकि बरसात ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. बठिंडा की बात करें तो यहां रामपुरा के एक गांव में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पिछले दिनों खराब हुई फसल का जायजा लिया था. पंजाब के किसानों से वादा किया किया था 15 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से खराब हुई फसलों का मुआवजा दिया जाएगा. लेकिन किसान फसलों का 50 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा मांग रहे हैं.

किसानों का कहना है कि सरकार गिरदावरी सही करवाना नहीं चाहती ताकि किसानों को पूरी मुआवजा राशि न दी जा सके. किसानों के मुताबिक अधिकतर फसलें ऐसी हैं जिनका 100 परसेंट तक नुकसान हुआ है. अगर किसी फसल का कम नुकसान हुआ है, तो भी उसे मंडी में सही दाम नहीं मिलेगा क्योंकि उसे खराब दाना बोलकर कम रेट लगाया जाएगा. किसान बलदेव सिंह संदोहा कहते हैं कि मौसम की मार ऐसी पड़ी है कि किसानों के सामने आज खुदकुशी के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा. सरकार अगर किसानों को राहत देना चाहती है तो प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा देना चाहिए. 

वही बठिंडा कृषि विभाग के प्रमुख ने कहा कि बठिंडा में तेज हवा, बरसात और ओलावृष्टि के कारण 70 फीसद और कई जगहों पर इससे भी ज्यादा नुकसान हुआ है. विभाग की ओर से खेतों में जाकर खराब हुई फसलों का जायजा लिया जा रहा है. इसके बाद सरकार की ओर से किसानों को फसल का मुआवजा दिया जाएगा.

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पंजाब के दोआबा क्षेत्र में भी मौसम की मार पड़ी है. जालंधर के कई गांवों में किसानों की पक कर तैयार खड़ी फसल लगभग खत्म हो चुकी है. इस बारे में जालंधर के नाहला गांव के किसान महेंद्र सिंह का कहना है कि उनके छह खेतों में गेहूं की 50 से 60 परसेंट फसल गिर गई है. गेहूं का दाना भी काला हो चुका है. ऐसे में सरकार से आग्रह है कि वह पूरी फसल का मुआवजा दे, न कि आंशिक तौर पर मुआवजा दिया जाए.

दूसरी ओर, अंबाला की मंडियों में गेहूं नहीं पहुंच पा रहा क्योंकि बरसात से फसल बहुत हद तक बर्बाद हो गई है. अंबाला में खेतों में खड़ी गेहूं की फसल खराब हो गई है जिस कारण उपज अभी तक सही तरह से मंडी में नहीं पहुंच पाई है. यहां गेहूं की सरकारी खरीद एक अप्रैल से शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी तक गेहूं पका नहीं है. कुछ किसान मंडी में गेहूं लेकर आए हैं, मगर वह काफी गीला है जिसे धूप में सुखाने के लिए रखा गया है. आढ़तियों ने अपनी पूरी तैयारी की हुई है और मंडी प्रशासन भी खरीद के लिए तैयार है. लेकिन समस्या गेहूं के भीगे दाने की हो रही है. 

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अंबाला मंडी के आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मक्खन लाल का कहना है कि इस बार कुदरत की मार है क्योंकि अभी गेहूं खेतों में ही बिछी पड़ी है. जब कटेगी तभी पता चलेगा कि इसकी क्या क्वालिटी है. अभी जो भी इक्का दुक्का किसान गेहूं लाया है, वो काफी नमी वाला है जिसे सुखाकर आढ़ती बेचने के लायक तैयार कर रहे हैं. (अंबाला से कमलप्रीत, जालंधर से परमजीत और बठिंडा से कुणाल की रिपोर्ट) 

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