
2021 में जिस "सरयू नहर परियोजना" का काम पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे देश को समर्पित कर दिया था, वह परियोजना विभागीय लापरवाही की वजह से सिर्फ कागजों में चल रही है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जिस योजना पर करोड़ों सरकारी रुपये फूंक दिए गए, वह परियोजना सिर्फ कागजों में सिंचाई कर रही है. सरकारी अफसरों की कारगुजारी से किसान हैरान और परेशान हैं. आज स्थिति ये है कि इस परियोजना के अंतर्गत बनाई गई नहरें मरी हुई हालत में हैं, टूट-फूट गई हैं और उसमें पानी के बदले घास की मौजूदगी है.
सरकार की एक ऐसी योजना जिसे पूरा होने में चार दशक से भी अधिक का समय लगा. जब परियोजना पूरी हुई तो धरातल पर इसका किसानों को लाभ नहीं मिल पाया. यानी जिस सोच के साथ इस योजना की शुरुआत हुई, वह जमीन पर उतरते-उतरते बदहाल हो गई. सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है, लेकिन चार दशक बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है.
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इस परियोजना में अब तक अरबों खरबों रुपये खर्च कर दिए गए और 2021 में पीएम मोदी ने परियोजना पूरी होने की घोषणा के बाद इसे देश को समर्पित भी कर दिया. मगर अभी भी ये नहर पूरी नहीं बन पाई है. विभाग की तरफ से किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया ताकि किसानों को अपना खेत सींचने में आसानी हो, पर ऐसा हो न सका. किसानों ने अपनी जमीन भी दी, लेकिन किसानों को आज तक नहर में पानी नहीं मिल पाया. ऐसे में ये महत्वाकांक्षी परियोजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है.
दरअसल, सरयू नहर परियोजना को साल 1982 में नेशनल प्रोग्राम के रूप में शुरू किया गया था. सरयू नहर परियोजना बहराइच, बस्ती, गोरखपुर समेत नौ जिलों के लिए शुरू की गई, लेकिन चार दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक नहरों में पानी नहीं पहुच सका है. नहर को बनाने में अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. फिर भी नहर अब तक चालू नहीं हो सकी है. एक तरफ नहरों में पानी नहीं पहुंचने से किसानों को इसका लाभ नहीं मिला. दूसरी तरफ, नहर के लिए जो उपजाऊ जमीन अधिग्रहण की गई थी, वो भी बेकार पड़ी हुई है.
सरयू नहर योजना पिछले 41 साल से संचालित हो रही है, इसके बावजूद किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया. बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लॉक में सिंचाई के लिए सरयू नहर परियोजना की अयोध्या पंप कैनाल की स्थापना 1970 में की गई थी. ब्लॉक के चमनगंज गांव सहित कई गांवों के किसानों कहना है कि 25 किलोमीटर लंबी इस नहर में अब तक सिर्फ एक बार 1992 में पानी आया था. उसके बाद से इस कैनाल में आज तक पानी नहीं आया. सरयू नदी में 80 हॉर्स पावर के तीन पंप लगे हैं जिससे मात्र दो किलोमीटर ही पानी पहुंच पाता है. तो वहीं विभाग का कहना है कि पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है.
इसी विकास खंड के तिलाहवा गांव पर नलकूप विभाग द्वारा बस्ती पंप कैनाल स्थापित किया गया था. इस नहर की भी कुल लंबाई लगभग 25 किलोमीटर है. यह नहर दर्जनों गांव से होकर गुजरती है. मुख्य नहर तिलहवा से कुदरहा ब्लॉक के कडसरी मिश्र तक और माइनर नहर पिपरा गौतम इंटर कॉलेज तक बनी थी. लेकिन नहर निर्माण के बाद से ही किसानों को इस नहर से फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल सका. विभागीय उपेक्षा के चलते इस नहर का क्षेत्र भी सिकुड़ता चला आया, अब यह सरयू नहर महज 13 किलोमीटर तक ही सीमित रह गई है.
नहर के देख-रेख और रखरखाव के नाम पर हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं. लेकिन कागजों में सिर्फ नहर की सफाई कर ली जाती है और कागजों में ही नहरों में पानी छोड़ा जाता है. दो साल पहले किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए इस नहर पर लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च कर लगभग दो किलोमीटर नहर का पक्कीकरण कराया गया था, जो बिना नहर में पानी आए ही बदहाल हो गया है.
नहर को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नहर के निर्माण और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया गया. हालत ये है कि किसानों को पानी आजतक मयस्सर नहीं हो पाया. मतलब जिस नहर को खेतों की सिचाई करनी थी, वह विभागीय अधिकारियों की वजह से आज खुद प्यासी है.
यहां के एक किसान इंद्रजीत कहते हैं, इस नहर के बनने से हमें आज तक एक पैसे का लाभ नहीं हुआ. जब नहर शुरू में बनी थी तो पानी आया था. उसके बाद आज तक इस नहर में कभी पानी नहीं आया. यदि यह नहर चलती तो हमें काफी लाभ होता और हमें ट्यूबवल और अन्य संसाधनों की जरूरत नहीं पड़ती.
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दूसरे किसान लौउटू कहते हैं, यह नहर 40 साल पहले बनी और हम लोगों ने इसमें अपनी जमीन यह सोचकर दी थी कि इसमें पानी आएगा और हमारी फसलों को लाभ होगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शुरू में एक बार पानी आया था लेकिन आज 12 साल बीत गए. आज तक पानी इस नहर में नहीं आया. अगर नहर शुरू होती है तो हम किसानों को काफी लाभ मिलता.
इस पूरे मामले में प्रभारी जिलाधिकारी राजेश प्रजापति कहते हैं, तिलहवा से लेकर पिपरा गौतम तक जो नहर बनी हुई है, उसकी लंबाई 25 किलोमीटर है. उसमें जानकारी यह आई है कि उसमें पानी नहीं आ रहा है. इस पर मैंने एक्सईएन से बात की थी. उन्होंने बताया कि पानी आ रहा है, लेकिन मुझे संज्ञान में आया है कि अधिकांश जगहों पर पानी नहीं आ रहा है. इसकी जांच कराई जाएगी और अधिशासी अभियंता को निर्देशित भी कर दिया गया है कि गर्मी में पानी हर हाल में आना चाहिए. दूसरी ओर चौधरी चरण सिंह अयोध्या पंप कैनाल के भी एक्सीएन को निर्देशित कर दिया गया है कि इस गर्मी में जल्द से जल्द नहरों में पानी सप्लाई की जाए.
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