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Stubble Burning: पंजाब में ट्रैक्टर और CRM मशीनों की संख्या में भारी अंतर, पराली जलाने को मजबूर किसान

Stubble Burning: पंजाब में ट्रैक्टर और CRM मशीनों की संख्या में भारी अंतर, पराली जलाने को मजबूर किसान

किसान हरजिंदर सिंह से बात की गई. उन्होंने बताया कि उनके पास 80 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें से वह 25 एकड़ पर चावल की खेती करते हैं. शेष जमीन में गन्ना और आलू की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारियों की सलाह पर काम करते हुए उन्होंने अपने पैसे लगाकर 2.5 लाख रुपये खर्च करके एक सीआरएम मशीन खरीदी. 

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पंजाब में सीआऱएम मशीन और ट्रैक्टर की बेमेल जोड़ी                                      सांकेतिक तस्वीर पंजाब में सीआऱएम मशीन और ट्रैक्टर की बेमेल जोड़ी सांकेतिक तस्वीर

पंजाब में पराली जलना एक बड़ी समस्या है. सुप्रीम तक ने इस मामले को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाई है. वहीं दूसरी तरफ यहां के किसान ना चाहते हुए भी पराली जलाने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उनके पास इसके अलावा दूसरा कोई विक्लप मौजूद नहीं है. ऐसा नहीं है कि पंजाब में पराली जलाने से रोकने के लिए प्यास नहीं किए गए, पर वो नाकाफी साबित हो रहे हैं क्योकि इसे रोकने के लिए जिस स्तर की तकनीक और संवेदनशीलता किसानों के पास पहुंचनी चाहिए थी वो नहीं पहुंच पा रही है. पराली को जलाने से रोकने  के लिए यहां के किसानों को सीआऱएम मशीने दी गई पर उन मशीनों का सफलम तरीके से इस्तेमाल कैसे हो इस पर कभी फोकस नहीं किया गया. नतीजा सबके सामने है. पराली प्रदूषण और पंजाब सरकार को मिल रही फटकार.

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर सीआरएम मशीन का इस्तेमाल किसान क्यों नहीं कर पा रहे हैं और क्यों पराली जलाने के लिए मजबूर हैं. सच जानने के लिए एसएएस नागर जिले (मोहाली) के अंतर्गत गांव मकदयाइन के किसान हरजिंदर सिंह से बात की गई. उन्होंने बताया कि उनके पास 80 एकड़ कृषि भूमि है, जिसमें से वह 25 एकड़ पर चावल की खेती करते हैं. शेष जमीन में गन्ना और आलू की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अधिकारियों की सलाह पर काम करते हुए उन्होंने अपने पैसे लगाकर 2.5 लाख रुपये खर्च करके एक सीआरएम मशीन खरीदी. 

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नहीं मिल रहा सब्सिडी का लाभ

इसके लिए उन्होंने और उनके गांव के पांच अन्य किसानों ने भी सब्सिडी के लिए आवेदन किया था. इसके बाद सभी को टोकन मनी के रूप में 5000 रुपये जमा करने के लिए कहा गया था. अब लगभग एक महीने का समय बीत चुका है पर उन्हें सब्सिडी नहीं मिली है. जबकि हरजिंदर ने एक निजी विक्रेता से सीआरएम मशीन खरीदी थी. किसानों से बात करने के बाद यह बात भी सामने आयी की तकनीकी विसंगति के कारण भी कई किसानों ने सीआरएम मशीन नहीं खरीदी. इस मामले को लेकर किसान यूनियन के नेताओं का कहना है कि पंजाब में अधिकांश किसान 25-30 बीएचपी के छोटे ट्रैक्टर का इस्तेमाल खेती के लिए करते हैं, पर जो सीआरएम मशीन उपलब्ध कराई जा रही हैं या जिसे खरीदने की सलाह दी गई है उनके लिए 50 बीएचपी तक के हेवी-ड्यूटी ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है क्योंकि ये मशीनें भारी होती हैं और 13 क्विंटल तक वजनी होती हैं.

बेमेल है ट्रैक्टर और सीआरएम मशीन की जोड़ी

इसलिए जहां तक ट्रैक्टर और इन मशीनों का सवाल है, यह बिल्कुल बेमेल है. क्योंकि 25 बीएचपी का ट्रैक्टर 13-क्विंटल सीआरएम मशीन को कैसे खींच सकता है. पंजाब में 12581 गांव हैं जो 31.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चावल उगाते हैं. ऐसे में सीआरएम मशीनें किसानों की जरूरतों को पूरा करने में अपर्याप्त हैं. इसलिए  बीकेयू, मोहाली के उपाध्यक्ष मेहर सिंह थेरी ने इंडिया टुडे को बताया कि सरकार को लोगों को यह भी बताना चाहिए कि वे मशीनें उपलब्ध कराने के लिए ड्रा का सहारा क्यों ले रहे हैं. वहीं मोहाली स्थित धान किसान हरजिंदर सिंह ने कहा कि पिछले महीने खरीदी गई सीआरएम मशीन को खींचने के लिए उन्हें देसी तकनीक अपनानी पड़ी.

अधिक वजनी है सीआरएम मशीन

हरजिंदर सिंह कहा कि उनके ट्रैक्टर का वजन 22 से 23 क्विंटल है. यह 12-13 क्विंटल सीआरएम मशीन को नहीं खींच सकता. संतुलन बनाने के लिए मैंने अपने ट्रैक्टर पर अधिक वजन बांध दिया, अन्यथा मशीन खींचते समय इंजन खड़ा हो जाता था. पोपना, मोहाली निवासी किसान तेजिंदर ने कहा कि किसानों को प्रौद्योगिकी उन्नयन की आवश्यकता है और 50 बीएचपी ट्रैक्टर खरीदने के लिए कम से कम 10 लाख रुपये की आवश्यकता होती है. तेजिंदर सिंह कहते हैं, "किसान सीआरएम मशीनों का उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि ट्रैक्टर पुराने हैं. नए ट्रैक्टर के लिए 10 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी. इसके अलावा, मशीनों की भी कमी है जो बुकिंग पर भी उपलब्ध नहीं हैं.

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धान उगाना जारी रखेंगे किसान

पंजाब में चरणबद्ध तरीके से धान की खेती बंद करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसानों ने कहा कि वे धान उगाना जारी रखेंगे क्योंकि यह एकमात्र लाभकारी फसल है. किसान यूनियन के नेता मेहर सिंह थेरी ने कहा कि किसान धान की खेती छोड़ने को तैयार हैं लेकिन राज्य सरकार को चावल और गेहूं के अलावा अन्य फसलों पर समान एमएसपी प्रदान करना होगा. उन्होंने कहा कि किसान धान की खेती करते हैं क्योंकि इसमें उन्हें अच्छी कमाई होती है. वे अन्य फसलें उगा सकते हैं लेकिन एमएसपी केवल गेहूं और धान पर उपलब्ध है. किसानों से वादा किया गया था कि उन्हें 2200 प्रति क्विंटल मिलेंगे, लेकिन जब वे अपनी फसल क्रेन बाजारों में ले जाते हैं तो उन्हें केवल 800 रुपये से 1200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच मिलता है.

कार्रवाई के खिलाफ किसानों का विरोध

पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हो रहे कार्रवाई का किसानों ने विरोध किया था और अपनी पराली लेकर किसान जिला मुख्यालय पहुंच गए थे. कार्रवाई के तहत किसानों पर पर्यावरणीय मुआवजा लगाया जा रहा है, साथ ही उनके जमीन के कागजात पर लाल निशान किया जा रहा है. जिसके कारण किसान अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे. इतना ही नहीं राज्य सरकार ने दोषी किसानों के हथियार लाइसेंस और पासपोर्ट रद्द करने का भी आदेश दिया है. 8 नवंबर से अब तक पंजाब के किसानों के खिलाफ 932 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं. 7,000 मामलों में 1.67 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. इस सीज़न में खेतों में आग लगने के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 34,459 हो गई है. मेहर सिंह ने कहा सरकार अब चाहती है कि किसान पराली न जलाएं लेकिन उनकी मजबूरी नहीं समझती है.

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आग के बावजूद AQI में सुधार हुआ हैः AAP

पंजाब में आप के नेतृत्व वाली सरकार ने किसान संघों द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि 1.40 लाख से अधिक मशीनें अन्य किसानों को प्रदान की गईं, जिसके परिणामस्वरूप वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहतर हुआ है. उन्होंने कहा, ''हमारी सरकार पंजाब के लोगों को प्रदूषण मुक्त वातावरण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. पटियाला, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, खन्ना और मंडी गोबिंदगढ़ सहित छह शहरों में निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता मॉनिटर स्टेशन स्थापित किए गए. सीटू प्रबंधन में प्रभावी परिणाम स्वरूप एक्यूआई में 22.8 प्रतिशत का सुधार हुआ है. आप प्रवक्ता जगर सिंह संघेरा ने कहा, हमें अभी तक सीआरएम मशीनों की खराब गुणवत्ता के बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है.