कृषि क्षेत्र में इनोवेशन और अच्छे एग्री इनपुट से ही फसलों के स्वास्थ्य की चुनौतियों से निपटा जा सकता है. इसी रास्ते से देश में फसल उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकती है. वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन पर हैदराबाद में आयोजित एक सम्मलेन में धानुका समूह के चेयरमैन आरजी अग्रवाल ने यह बात कही. अग्रवाल ने संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय 20-40 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है, जो कि 4 लाख करोड़ रुपए के खाद्य पदार्थ और बागवानी पदार्थों के मूल्य के बराबर है. अगर इस नुकसान को रोक दिया जाए तो बिना उत्पादकता बढ़ाए और 20-25 करोड़ लोगों का पेट भरा जा सकता है. उन्होंने नकली एग्री इनपुट बनाने और बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.
अग्रवाल ने गुणवत्तापूर्ण कृषि-इनपुट की उपलब्धता और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने को महत्वपूर्ण बताया. कहा कि किसानों को बेहतर एक्सटेंशन सेवाएं देने के लिए सरकारी संस्थानों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के लिए आगे आना चाहिए. खाद्य सुरक्षा के लिए उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए अग्रवाल ने किसानों का गलत फायदा उठाने वाले जालसाजों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि किसानों, वैज्ञानिकों और तकनीकी विकास की वजह से खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में भारत ने उपलब्धि हासिल की है.
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भारत के बाजारों में जाली, स्मगल किए हुए और नकली कृषि-इनपुट की घुसपैठ पर चिंता व्यक्त करते हुए अग्रवाल ने हैदराबाद के चर्लापल्ली में हुई हालिया छापेमारी को रेखांकित किया. जिसमें 24 नकली ब्राड़ों के सामान जब्त किए गए. उन्होंने ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाई की मांग करते हुए उन पर आईपीसी, ट्रेडमार्क एक्ट, सरकार की जीएसटी, आयकर और कस्टम ड्यूटी आदि के तहत एक्शन लेने की वकालत की. बाजार में घटिया किस्म के प्रोडक्ट आने के मामले में उन्होंने कुछ निजी और पब्लिक हितधारकों की सांठगांठ की आशंका व्यक्त की. उन्होंने कहा कि नकली कीटनाशकों की वजह से किसानों, उद्योगों और सरकार तीनों का नुकसान हो रहा है. इस पर जल्द से जल्द रोक लगाने की जरूरत है.
सम्मेलन को तेलंगाना सरकार के कृषि आयुक्त एम रघुनन्दन राव और तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जयशंकर ने प्लांट प्रोटक्शन से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए इनोवेशन पर जोर दिया. फसल सुरक्षा से जुड़ी वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक समुदाय को प्रयास और बढ़ाने की अपील की. आईसीएआर के सहायक महानिदेशक डॉ. एससी दुबे ने भारत से कृषि निर्यात को सुविधाजनक बनाने में जैव सुरक्षा और पता लगाने की क्षमता (ट्रेसेबिलिटी) के महत्व को रेखांकित किया.
राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान (एनआईपीएचएम) के महानिदेशक डॉ. सागर हनुमान सिंह ने प्रशासनिक स्तर पर आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने भविष्य की छिड़काव तकनीकों में ड्रोन की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और बताया कि एनआईपीएचएम सक्रिय रूप से पायलट लाइसेंसिंग के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है.
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