जगत सिंह बड़े किसान हैं. पंजाब में फिल्लौर के पास थमनवाल गांव में रहते हैं. इनकी कई पीढ़ियां खेती-बाड़ी करती आई है. लिहाजा उन्होंने भी इसी को अपना पेशा बनाया. काम ठीक-ठाक चलता रहा है. मगर इस बार जगत सिंह की परेशानी बढ़ गई है. वजह है आलू के रेट में भारी गिरावट. जगत सिंह ने 300 एकड़ में आलू की खेती की है. उसमें से तकरीबन दो तिहाई आलू की खोदाई कर चुके हैं. परेशानी ये है कि इस आलू की कीमत पिछले साल से 40 परसेंट भी नहीं मिल रहा है. यानी अगर पिछले साल एक किलो आलू का दाम 10 रुपये मिला था, तो इस बार चार रुपये भी नहीं मिल रहा है.
जगत सिंह रेट की मार झेलने वाले फिल्लौर के अकेले किसान नहीं हैं. इनकी तादाद बहुत बड़ी है क्योंकि इस इलाके में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है. जगत सिंह 'दि ट्रिब्यून' से कहते हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि आलू के दाम इस रेट तक गिरेंगे. सब्जी वाले आलू के दाम पिछले साल 10 रुपये तक मिले थे, पर इस बार उसी का भाव चार रुपये तक चला गया है. इस गिरे रेट पर भी बाजार में कोई खरीदार नहीं मिल रहा है. मंडी में रेट इसलिए भी गिराए जाते हैं ताकि कम से कम दाम पर किसान उपज बेच कर निकल जाएं.
पंजाब के कई इलाकों में स्थिति लगभग एक सी है. आलू किसानों ने बुआई और अन्य काम पर जितना खर्च किया है, वह लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. किसानों का अनुमान है कि उन्हें एक किलो आलू उगाने में नौ रुपये तक का खर्च आया है, लेकिन दाम आधे भी नहीं मिल रहे हैं. इस बार 1.14 लाख हेक्टेयर में आलू की खेती की गई है जबकि पिछले साल यह रकबा 1.10 लाख हेक्टयर ही था. इस वजह से भी आलू की बंपर पैदावार दर्ज की जा रही है.
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आलू के दाम गिरने की दो मुख्य वजह बताई जा रही है. एक तो ये कि इस बार पिछले से अधिक उत्पादन हुआ है. दूसरी वजह, पिछले साल के आलू और कोल्ड स्टोरेज में रखे गए आलू भी इस साल निकल रहे हैं. इस वजह से बाजार में खेप की भरमार हो गई है जिससे दाम में भारी गिरावट देखी जा रही है.
जालंधर के पास जगनपुर गांव के एक किसान गुरराज सिंह निज्जर कहते हैं, इस बार आलू बेल्ट के सभी राज्यों में बंपर पैदावार हुई है. बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में पहले से अधिक उपज मिली है. किसान निज्जर कहते हैं कि मध्य मार्च में आलू के दाम में कुछ उछाल आने की संभावना है जिससे किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है.
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सबसे ज्यादा घाटा आलू के बीज उगाने वालों को हो रहा है. किसानों का कहना है कि पिछले साल आलू के बीज का रेट 18-20 रुपये प्रति किलो तक मिल रहा था. इस बार दाम में 50 परसेंट तक कमी देखी जा रही है. आलू के बीज खरीदने वाले व्यापारी इस बार खरीदी नहीं कर रहे और उनका कहना है कि पिछले साल का ही 40 लाख बैग कोल्ड स्टोरेज में पड़ा हुआ है. ऐसे में नई खरीद नहीं होने से रेट में और भी तेजी से गिरावट देखी जा रही है. इन सभी परेशानियों से जूझते हुए किसान जैसे-तैसे अपनी आलू की उपज निकाल रहे हैं.
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