जैसलमेर के नाचना क्षेत्र के किसान बीते एक महीने से अपनी फसल को लेकर बेहद चिंतित हैं. ऐसा इसीलिए क्योंकि इस क्षेत्र में मेहराब खां माइनर में एक महीने से पानी नहीं छोड़ा जा रहा. इससे यहां की पांच हजार बीघा खेतों पर खड़ी फसल को नुकसान हो रहा है. चूंकि तेज गर्मी है और माइनर में पानी नहीं छोड़ने से फसलों को नमी नहीं मिल पा रही है. इससे फसलें जलकर सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं. पानी नहीं छोड़ने से गेहूं,चना, जीरा, ईसबगोल की आखिरी सिंचाई नहीं हो पा रही है.
फरवरी महीने के पिछले दो हफ्तों में गर्मी ने प्रचंड रूप धारण किया है. ऐसे में सिंचाई विभाग, बागवानी विभाग और कृषि विभाग समय-समय पर फसलों में नमी बनाए रखने का सुझाव दे रहे हैं. लेकिन नाचना क्षेत्र में मेहराब खां माइनर में पानी नहीं आने से किसानों की फसल सूखने के कगार पर हैं.
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स्थानीय किसान रामप्रकाश कहते हैं कि बुवाई के समय तो हमें पानी मिला, लेकिन पिछले एक महीने से माइनर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा. जबकि सबसे अधिक पानी की जरूरत अभी ही है. फिर भी नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. पूरे क्षेत्र में करीब पांच हजार बीघा में तारामीरा, जीरा, ईसबगोल, गेहूं जैसी फसलें बोई हुई हैं.
रबी सीजन में अभी पानी की जरूरत है. बुवाई के बाद फसल पकाव पर है. ऐसे में अभी कम से कम एक सिंचाई की जरूरत फसलों को है. मेहराब खां नहर के आखिरी छोर पर पानी नहीं पहुंचने के कारण किसानों की फसलें सूखने लगी हैं. किसान रामप्रकाश कहते हैं कि क्षेत्र के किसानों ने नहर के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई है, लेकिन वे दूसरे काम होने के बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.
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इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अधिकारी नहरों में पानी छोड़ने पर उसकी डिटेल रजिस्टर में मैंटेन करते हैं. इस रजिस्टर में हर तीन घंटे में लेवल नाप कर रजिस्टर में लिखना होता है, लेकिन मेहराब खां माइनर पर रखे रजिस्टर में 15 दिन से कोई एंट्री ही नहीं हुई है. इस संबंध में मीडिया में भी रिपोर्ट्स प्रकाशित हुई हैं. इससे स्पष्ट है कि नहर में पानी नहीं छोड़ा जा रहा.
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