महाराष्ट्र में किसानों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है. कभी बारिश की मार तो कभी उपज का उचित दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. ताजा मामला सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों का है. असल में महाराष्ट्र में सोयाबीन के दामों में गिरावट जारी है. इस समय कई मंडियो में सोयाबीन का दाम 3000 से लेकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक ही रह गया है. इसे देखते हुए किसान अब अपनी उपज बेचने से परहेज कर रहे हैं. वो सही समय और सही दाम का इंतजार कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सोयाबीन का रेट 6000 से लेकर 7000 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा तब जा कर हम अपना लागत मूल्य निकाल पाएंगे.
महाराष्ट्र सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक प्रदेश है. यहां लाखों लोगों का जीवन इसकी खेती पर निर्भर है. पिछले दो साल से इसका भाव 9 से 11 हजार रुपये तक रहा है. ऐसे में इस साल बहुत कम रेट मिलने से किसान खुद को ठगे महसूस कर रहे हैं. इसलिए वो मंडी में सोयाबीन बेचने की बजाय उसका स्टोर कर रहे हैं. ताकि सही समय पर सही दाम मिल सके.
हिंगोली जिले के रहने वाले किसान नितिन प्रभाकर राव नायक का कहना है कि मंडियों में सोयाबीन का भाव 3000 से लेकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है, जबकि सोयाबीन की खेती करने की लागत काफी बढ़ गई है. खाद, बीज, कीटनाशक, श्रमिक और खेत की तैयारी का खर्च काफी बढ़ गया है और दाम पिछले साल से कम हो रहा है. एक एकड़ में 8 से 10 क्विंटल उत्पादन निकलता है.नायक का कहना है कि अगर सोयाबीन का रेट 6000 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा. तब जाकर किसानों की लागत निकल पाएगी.
महाराष्ट्र के किसानों का कहना है कि वहां पर मध्य प्रदेश के मुकाबले ज्यादा उत्पादन लागत आती है.मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा सोयाबीन उत्पादन होता है. किसान नेता पाशा पटेल चार कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर दावा करते हैं कि महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 6234 रुपये आती है.
ऐसे में 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर किसान अपनी लागत नहीं निकाल पा रहे हैं. सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा मराठवाडा में की जाती है. वहां के किसान इसकी खेती पर ही निर्भर रहते हैं. ऐसे में उपज का उचित दाम नहीं मिलने से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है.केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है.
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