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महाराष्ट्र के आद‍िवासी क‍िसान ने कॉफी की खेती पर लगाया दांव, अब बदल गई ज‍िदंगी

महाराष्ट्र के आद‍िवासी क‍िसान ने कॉफी की खेती पर लगाया दांव, अब बदल गई ज‍िदंगी

Coffee Farming: देश में कॉफी आमतौर पर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में उगाई जाती है, लेक‍िन, महाराष्ट्र के अमरावती ज‍िला न‍िवासी आद‍िवासी क‍िसान प्रकाश जांभेकर ने भी कॉफी की खेती पर दांव लगाया. उनका दावा है क‍ि वह महाराष्ट्र के पहले क‍िसान हैं, जो राज्य में कॉफी की खेती कर रहा है.

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Coffee Farming Coffee Farming

कॉफी आमतौर पर कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में उगाई जाती है, लेक‍िन, महाराष्ट्र के अमरावती ज‍िला न‍िवासी आद‍िवासी क‍िसान प्रकाश जांभेकर ने भी कॉफी की खेती पर दांव लगाया. इसके बाद क‍िसानों की ज‍िदंगी ही बदल गई. नतीजतन कॉफी की खेती आद‍िवासी क‍िसान प्रकाश के ल‍िए फायदे का सौदा साब‍ि‍त हुई. क‍िसान की इस सफलता से अब दूसरे क‍िसान भी प्रभाव‍ित हुए हैं. ज‍िसके बाद अन्य क‍िसान भी इसके बारे में पूछ रहे हैं. कुल म‍िलाकर कॉफी की खेती ने प्रकाश की ज‍िदंगी बदल कर रख दी है. ज‍िससे प्रकाश बेहद खुश हैं.  

एक एकड़ में लगाए थे दो हजार पेड़ 

महाराष्ट्र के आद‍िवासी क‍िसान प्रकाश ने कॉफी की खेती करने का फैसला तब ल‍िया, जब वे पारंपर‍िक खेती में नुकसान उठा रहे थे. उन्होंने शुरुआत में महज एक एकड़ जमीन में कॉफी के 2000 पेड़ लगाए. आज उनका बाग खिल रहा है. इससे उन्हें साल भर में दो लाख रुपये का मुनाफा हुआ है. पारंपरिक खेती छोड़ते ही इस किसान की किस्मत बदलने लगी है.  

किसान ने बताया क‍ि उन्होंने पहले आम के पेड़ लगाए थे, लेकिन इससे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हो रहा था. जिसके बाद वो फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास से कॉफी के बीज लेकर आए और इसकी खेती में जुट गए. मालूम हो क‍ि आम बागवानी फसल में आता है, जबक‍ि कॉफी एक नकदी फसल है. जिसे कमर्शियल क्रॉप भी कहा जाता है. 

क‍ितना म‍िल रहा है दाम? 

क‍िसान ने बताया क‍ि इस खेती में कोई खास लागत नहीं लगी है, लेकिन मेहनत बहुत करनी पड़ी, क्योंकि उनके तालुका में पानी की सुविधा कम है. जिसके चलते उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था. उन्हें कॉफी की खेती करते हुए दो साल हो चुके हैं. वो एक एकड़ की खेती से दो क्विंटल से ज्यादा का उत्पादन लेते हैं. उन्हें अच्छी कॉफी का भाव 1000 रुपए प्रति किलो मिलता है. व्यापारी उनके घर पर आकर खरीदी करते हैं. 

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दूसरे क‍िसान भी हो रहे प्रेर‍ित 

जांभेकर का दावा है क‍ि महाराष्ट्र में उन्होंने पहली बार इस खेती की शुरुआत की थी. अब उनके पास दूसरे किसान भी इसके बारे में जानकारी लेने आ रहे हैं. कॉफी की ज्यादा खेती कर्नाटक में होती है. कॉफी के बाग को एक बार लगाने पर कई साल तक इसका उत्पादन ले सकते हैं. जांभेकर की सफलता से अब ऐसा लग रहा है क‍ि उनके आसपास के दूसरे क‍िसान भी इसकी खेती करेंगे. इसकी खेती में खास फायदा यह है क‍ि इसके के पौधे एक बार लग जाने पर कई साल तक पैदावार देते हैं. 

क्या है कॉपी बनाने की प्रक्र‍िया 

भारत में कॉफी की कई किस्में उगाई जाती है, जो अलग अलग प्रकार की मिट्टी में हो सकती है. इसके पेड़ों में जून और जुलाई के समय फूल लगना शुरू हो जाता है, जिसके बाद जनवरी और फरवरी में इसकी हार्वेस्टिंग की जाती है. उसके बाद कॉफी के बीजों को धूप में सुखा लिया जाता है और फिर उसे भूनकर उसका पाउडर तैयार कर बाजारों में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है.

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